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New परिनिर्वाण स्तूप Quotes, Status, Photo, Video

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B.L. Paras

मराठी के विद्रोही कवि नामदेव ढसाल को परिनिर्वाण दिवस पर सादर नमन !! #कविता

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हे मेरी प्रिय कविता !
नहीं बसाना है मुझे अलग से कोई द्वीप,
तू चलती रह, आम से आम आदमी की उँगली पकड़
मेरी प्रिय कविते,
जहाँ से मैंने यात्रा शुरू की थी
फिर से वहीं आकर रुकना मुझे नहीं पसंद,
मैं लाँघना चाहता हूँ
अपना पुराना क्षितिज ।
© नामदेव ढसाल मराठी के विद्रोही कवि नामदेव ढसाल को परिनिर्वाण दिवस पर सादर नमन !!

sarfaraz vaishalvi

विशव शांति स्तूप. बिहार के वैशाली मे। अति सुंदर। आप भी आकर देख लीजिये। #Life

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Manoj Devdutt galib ke shahar agra se

#mahamanavparinirvandivas #6Dec बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर मनोज कुमार की कलम से 🖊️🖊️

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लेखक             मनोज कुमार   
           देवदत्त
किताबों से इक इन्सान ने हजारों इन्सानों (दलितों, महिलाओं) को सम्मान से जीना दिया,
यूं ही नहीं मिरे बाबा साहब ने संविधान बना दिया,
महामानव भारतरत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के 65वे परिनिर्वाण दिवस पर मनोज कुमार देवदत्त की कलम से 🖊️🖊️🖊️ भावपूर्ण श्रद्धांजलि
Manoj Mithilesh Quotes

©Manoj Kumar #mahamanavparinirvandivas
#6dec
बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर मनोज कुमार की कलम से 🖊️🖊️

Keshav Kamal

आईये कभी बिहार के पूर्वी चम्पारण में मेरे गाँव बौद्ध नगरी केसरिया (कढ़ान) हम आपको घुमाते हैं विश्व का सबसे उच्चा बौद्ध स्तूप "केसरिया बौद्ध #India #border #buddha #Watan #पौराणिककथा #keshav_kamal #Kesariya_Buddha_Stupa

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SANTU KUMAR

#SunSet संविधान के रचयिता, शोषितों वंचितों एवं महिलाओं के मुक्तिदाता, ज्ञान के प्रतीक विश्वरत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर जी को उनके परि #सस्पेंस #ranjanmangoliya

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संविधान के रचयिता, शोषितों वंचितों एवं महिलाओं के मुक्तिदाता, ज्ञान के प्रतीक विश्वरत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर जी को उनके परिनिर्वाण दिवस पर शत शत नमन।

#ranjanmangoliya

©SANTU KUMAR #SunSet संविधान के रचयिता, शोषितों वंचितों एवं महिलाओं के मुक्तिदाता, ज्ञान के प्रतीक विश्वरत्न डॉ. बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर जी को उनके परि

Santosh Bsp

बामसेफ, डी0एस0-4 व बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक सामाजिक परिवर्तन के महानायक मान्यवर कांशीराम साहब के 13वें परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर मान्य #nojotophoto

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 बामसेफ, डी0एस0-4 व बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक सामाजिक परिवर्तन के महानायक मान्यवर कांशीराम साहब के 13वें परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर मान्य

Vandana

सूफी बोलो या सूफियाना मौन बोलो या वीराना,,, शांति बोलो या निर्वाणा संत बोलो या ज्ञानी,,,, किसी नदी किनारे पत्थर पर ध्यान करते हुए मौन में,

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अक्सर शाम के वक़्त छत पर अकेले में
आसमां को देखती रहती हूँ एक टक,,,

तन को को छू के गुजर जाती
पवन को महसूस करती हूं,,,

शाम को रात में बदलते देखती हूँ
अंधेरा होते ही तारों को टिमटिमाते देखती हूँ,,,

मैं इतनी मौन हो जाती हूं कि पृथ्वी की गति 
को महसूस करती हूं,,,

मैं और प्रकृति एक हो जाते हैं फिर हमारे 
बीच कोई अंतर नहीं बचता,,,, सूफी बोलो या सूफियाना
मौन बोलो या वीराना,,,

शांति बोलो या निर्वाणा
संत बोलो या ज्ञानी,,,,

किसी नदी किनारे पत्थर पर
ध्यान करते हुए मौन में,

Anil Ray

🌟🌟निज दीपक स्वयं बनो🌟🌟 🌟 ईश्वर होना आसान है लेकिन बुद्ध होना कठिन। बुद्ध पूजा नहीं है, इबादत भी नहीं है, बुद्ध मूर्ति नहीं है, स्तूप भी नही #पौराणिककथा #BudhhaPurnima

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किसी भी स्याही से लिख दो 
कुछ यादें तो सदा....
हृदय में हरी ही रहती है।

🪔अप्पो दीपो भव:🪔

बुद्धम् शरणं गच्छामि!.
धम्म शरणं गच्छामि !!..
संघम् शरणं गच्छामि !!!.
 🙏🏻🕯️🪔नमो बुद्धाय🪔🕯️🙏🏻

©Anil Ray 🌟🌟निज दीपक स्वयं बनो🌟🌟

🌟 ईश्वर होना आसान है लेकिन बुद्ध होना कठिन। बुद्ध पूजा नहीं है, इबादत भी नहीं है, बुद्ध मूर्ति नहीं है, स्तूप भी नही

अनिल मालवीय मन्नत*

मैं जय हिंद बोलूं, मैं जय भारत बोलूं, मैं वंदे मातरम बोलूं मैं अजय भारत बोलूं। ऐ! हिंदुस्तान की माटी तेरे कण- कण को सलाम, तुझे दिल से सलाम अ #AzaadKalakaar

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#AzaadKalakaar  स्वतंत्रता दिवस विशेष :-

मैं जय हिंद बोलूं, मैं जय भारत बोलूं,
मैं वंदे मातरम बोलूं मैं अजय भारत बोलूं।
ऐ! हिंदुस्तान की माटी तेरे कण- कण को सलाम,
तुझे दिल से सलाम अलैकुम और अंतर्मन से राम राम।
तिरंगा केसरिया है श्वेत है और हरा है,
इसे हर कौम ने अपने लहू से भरा है।
देश के शहीदों को नमन आजादी के परवानों को नमन,
हर खिलाड़ी को नमन और सरहद के जवानों को नमन।

(पढ़ें पूरी कविता अनुशीर्षक में।)

©Anil Mannat Malviya मैं जय हिंद बोलूं, मैं जय भारत बोलूं,
मैं वंदे मातरम बोलूं मैं अजय भारत बोलूं।
ऐ! हिंदुस्तान की माटी तेरे कण- कण को सलाम,
तुझे दिल से सलाम अ

Anil Siwach

|| श्री हरि: || 64 - छाक आयी 'दादा, दादा, छाक आ गयी!' श्यामसुंदर प्रसन्नता से नाच उठा है। पर्वत की ऊंची चोटी पर यह यही देखने चढा था कि छाक #Books

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|| श्री हरि: ||
64 - छाक आयी

'दादा, दादा, छाक आ गयी!' श्यामसुंदर प्रसन्नता से नाच उठा है। पर्वत की ऊंची चोटी पर यह यही देखने चढा था कि छाक
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