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Indian Kanoon In Hindi
किडनेपिंग पर कानून :- * किसी नाबालिग लड़के, जिसकी उम्र सोलह साल से कम है या नाबालिग लड़की, जिसकी उम्र अट्ठारह साल से कम है, को उसके सरंक्षक की आज्ञा के बिना कहीं ले जाना किडनेपिंग का अपराध है, अगर कोई बहला फुसला कर भी बच्चों को ले जाए तो कहने को तो बच्चा अपनी मर्जी से गया, लेकिन कानून में वह अपराध होगा। ©Indian Kanoon In Hindi किडनेपिंग पर कानून :-
किडनेपिंग पर कानून :-
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White प्ली बार्गेनिंग कानून :- * ' प्ली बार्गेनिग ' एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा आपराधिक मुकदमों का निपटारा किया जाता है। * प्ली बार्गेनिंग के तहत वैसे मामलों की सुनवाई होती है, जिनमें अधिकतम सजा 7 साल कैद से कम हो। * प्ली बार्गेनिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि प्ली बार्गेनिंग में एक से दो तारीख में ही दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के बाद केस का निपटारा कर दिया जाता है। * अगर दो महीने में समझौता नहीं होता है तो केस वापस संबंधित अदालत में भेज दिया जाता है। * प्ली बार्गेनिंग के तहत दोनों पक्षों में स्वैच्छिक समझौता होना जरूरी है। इसके तहत आरोपी और पीड़ित पक्ष के बीच मामले को निपटाने के लिए सहमत होना जरूरी है। * इस प्रक्रिया के तहत आरोपी अपने अपराध को मर्जी से स्वीकार करता है। दोनों पक्षों के बीच होने वाला समझौता अदालत की देखरेख में होता है। समझौते के बाद मैजिस्ट्रेट के सामने आरोपी अपने गुनाह कबूल करता है। आरोपी की सजा उस केस की न्यूनतम सजा से आधी या उससे भी कम कर दी जाती है। ©Indian Kanoon In Hindi प्ली बार्गेनिंग कानून :-
प्ली बार्गेनिंग कानून :-
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White विद्युत अधिनियम कानून :- * भारत वर्ष मे विद्युत आपूर्ति उद्योग सबसे पहले 1910 मे भारतीय विद्युत अधिनियम-1910 के अंतर्गत कानूनी रूप से नियंत्रित किया गया था। 1948 मे विद्युत आपूर्ति अधिनियम लागू किया गया एवं विद्युत नियामक आयोग अधिनियम 1998 के द्वारा इसमे सुधार किये गये इन तीनो अधिनियमो के प्रावधानो को समग्र रूप से विवेक युक्त बनाने के लिये राज्यो, स्टैक धारको तथा विशेषज्ञो से विचार विमर्श के बाद विद्युत अधिनियम 2003 को भारतीय संसद से पारित कराया गया। * विद्युत के उत्पादन, पारेषण, वितरण , व्यापार और प्रयोग से संबंधित, विद्युत उद्योग में प्रतियोगितात्मक विकास करने के लिये तथा उपभोक्ताओ के हित संरक्षण हेतु देश के समस्त हिस्से में विद्युत की आपूर्ति करने, विद्युत शुल्क के युक्तियुक्तकरण करने, बिजली की दरो मे सबसिडियो से संबंधित पारदर्शी नीतियो को सुनिश्चित करने, विद्युत प्रदाय की हितैषी नीतियो को दक्ष एवं पर्यावरणीय तरीके से विकसित करने, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, राज्य नियामक आयोगो का गठन करने एवं अपीलिय अधिकारण की स्थापना करने के लिये कानून को सुव्यवस्थित रूप से स्थापित करने हेतु विद्युत अधिनियम 2003 लाया गया है। * विद्युत की चोरी, विद्युत लाइनो और सामग्रियो की चोरी, चुराई गई सामग्री वापस प्राप्त करने पर दंड के प्रावधान, विद्युत संपत्ति को नुकसान पहुचाने पर शासकीय न्याय निर्णयन अधिकारी द्वारा ध्यान में रखे जाने वाले घटक इत्यादि के प्रावधान अधिनियम के भाग 14 में दिये गये है। भाग 15 एवं 16 विशेष विद्युत न्यायालय के गठन संबंधी प्रक्रिया, विशेष विद्युत न्यायालयो की शक्तियां एवं विद्युत संबंधी विवादो के निपटारे पर केंद्रित है। भाग 17 में रेलमार्गो, राजमार्गो, विमान पत्तनो, नहरो इत्यादि सार्वजनिक स्थलो के संरक्षणात्मक उपबंध हैं। ©Indian Kanoon In Hindi विद्युत अधिनियम कानून :-
विद्युत अधिनियम कानून :-
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White पोक्सो कानून :- * बच्चों के खिलाफ बढ़ते यौन अपराध को रोकने के लिए और बच्चों को ऐसे अपराधों से संरक्षण देने के लिए सरकार ने 14 नवंबर 2012 में प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्शुअल ऑफेंसेस (पोक्सो) ऐक्ट बनाया था। * ऐसे मामलों का जल्द से जल्द निपटारा हो और दोषियों को सजा सुनाए जाने से अपराध पर लगाम लगे। ये मामले संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते हैं। * नाबालिग बच्चों को प्रोटेक्ट करने के लिए यह कानून बनाया गया है। प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेज (पोक्सो) ऐक्ट जेंडर न्यूट्रल कानून है * 8 साल से कम उम्र के बच्चों (लड़का या लड़की) के साथ किसी तरह का सेक्शुअल ऑफेंस पोक्सो कानून के तहत अपराध होगा। इसमें पेनेट्रेटिव या नॉन पेनेट्रेटिव दोनों तरह के ऐक्ट के लिए सजा का प्रावधान है। बच्चों को अगर किसी भी तरह से सेक्शुअली अब्यूज किया जाता है, जिनमें पॉरनॉग्रफी आदि के जरिये शोषण भी शामिल है, तो इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इस कानून में सजा का प्रावधान, अपराध की गंभीरता के हिसाब से किया गया है । ©Indian Kanoon In Hindi पोक्सो कानून :-
पोक्सो कानून :-
read moreRajnish Shrivastava
कुदरत की खूबसूरती का बखान करें भी तो कैसे शब्दकोश में खोजने से भी ऐसे शब्द नहीं मिलते । ©Rajnish Shrivastava #कुदरत
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सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :- * सूचना का अधिकार अधिनियम (Right to Information Act) भारत के संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्तूबर, 2005 को लागू हुआ (15 जून, 2005 को इसके कानून बनने के 120 वें दिन)। भारत में भ्रटाचार को रोकने और समाप्त करने के लिये इसे बहुत ही प्रभावी कदम बताया जाता है। इस नियम के द्वारा भारत के सभी नागरिकों को सरकारी रेकार्डों और प्रपत्रों में दर्ज सूचना को देखने और उसे प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जम्मू एवं काश्मीर मे यह जम्मू एवं काश्मीर सूचना का अधिकार अधिनियम 2012 के अन्तर्गत लागू है। * आरटीआई शिकायत :- यदि आपको किसी जानकारी देने से मना किया गया है तो आप केन्द्रीय सूचना आयोग में अपनी अपील / शिकायत जमा करा सकते हैं। * अपनी अर्जी कहाँ जमा करें? :- आप ऐसा पीआईओ या एपीआईओ के पास कर सकते हैं. केंद्र सरकार के विभागों के मामलों में, 629 डाकघरों को एपीआईओ बनाया गया है. अर्थात् आप इन डाकघरों में से किसी एक में जाकर आरटीआई पटल पर अपनी अर्जी व फीस जमा करा सकते हैं. वे आपको एक रसीद व आभार जारी करेंगे और यह उस डाकघर का उत्तरदायित्व है कि वो उसे उचित पीआईओ के पास भेजे। * क्या इसके लिए कोई फीस है? इसे कैसे जमा करें? :- एक अर्ज़ी फीस होती है. केंद्र सरकार के विभागों के लिए यह 10रु. है. हालांकि विभिन्न राज्यों ने भिन्न फीसें रखीं हैं. सूचना पाने के लिए, आपको 2रु. प्रति सूचना पृष्ठ केंद्र सरकार के विभागों के लिए देना होता है. यह विभिन्न राज्यों के लिए अलग- अलग है. इसी प्रकार दस्तावेजों के निरीक्षण के लिए भी फीस का प्रावधान है. निरीक्षण के पहले घंटे की कोई फीस नहीं है लेकिन उसके पश्चात् प्रत्येक घंटे या उसके भाग की 5रु. प्रतिघंटा फीस होगी. यह केन्द्रीय कानून के अनुसार है। * क्या सूचना प्राप्ति की कोई समय सीमा है? :- हाँ, यदि आपने अपनी अर्जी पीआईओ को दी है, आपको 30 दिनों के भीतर सूचना मिल जानी चाहिए. यदि आपने अपनी अर्जी सहायक पीआईओ को दी है तो सूचना 35 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए. उन मामलों में जहाँ सूचना किसी एकल के जीवन और स्वतंत्रता को प्रभावित करती हो, सूचना 48 घंटों के भीतर उपलब्ध हो जानी चाहिए। ©Indian Kanoon In Hindi सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :-
सूचना का अधिकार अधिनियम कानून :-
read moreParasram Arora
White कुदरत का वो नज़ारा वाकई अद्भुत और खूबसूरत लगा ज़ब उस साँझ मैंने रेगिस्तान के आकाश मे एक मनोरम इंद्रधनुष को लटका हुआ देखा ©Parasram Arora कुदरत का अद्भुत nzara😍
कुदरत का अद्भुत nzara😍
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किडनेपिंग पर कानून :- * किसी नाबालिग लड़के, जिसकी उम्र सोलह साल से कम है या नाबालिग लड़की, जिसकी उम्र अट्ठारह साल से कम है, को उसके सरंक्षक की आज्ञा के बिना कहीं ले जाना किडनेपिंग का अपराध है, अगर कोई बहला फुसला कर भी बच्चों को ले जाए तो कहने को तो बच्चा अपनी मर्जी से गया, लेकिन कानून में वह अपराध होगा। ©Indian Kanoon In Hindi किडनेपिंग पर कानून
किडनेपिंग पर कानून
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विद्युत अधिनियम कानून :- * भारत वर्ष मे विद्युत आपूर्ति उद्योग सबसे पहले 1910 मे भारतीय विद्युत अधिनियम-1910 के अंतर्गत कानूनी रूप से नियंत्रित किया गया था। 1948 मे विद्युत आपूर्ति अधिनियम लागू किया गया एवं विद्युत नियामक आयोग अधिनियम 1998 के द्वारा इसमे सुधार किये गये इन तीनो अधिनियमो के प्रावधानो को समग्र रूप से विवेक युक्त बनाने के लिये राज्यो, स्टैक धारको तथा विशेषज्ञो से विचार विमर्श के बाद विद्युत अधिनियम 2003 को भारतीय संसद से पारित कराया गया। * विद्युत के उत्पादन, पारेषण, वितरण , व्यापार और प्रयोग से संबंधित, विद्युत उद्योग में प्रतियोगितात्मक विकास करने के लिये तथा उपभोक्ताओ के हित संरक्षण हेतु देश के समस्त हिस्से में विद्युत की आपूर्ति करने, विद्युत शुल्क के युक्तियुक्तकरण करने, बिजली की दरो मे सबसिडियो से संबंधित पारदर्शी नीतियो को सुनिश्चित करने, विद्युत प्रदाय की हितैषी नीतियो को दक्ष एवं पर्यावरणीय तरीके से विकसित करने, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण, राज्य नियामक आयोगो का गठन करने एवं अपीलिय अधिकारण की स्थापना करने के लिये कानून को सुव्यवस्थित रूप से स्थापित करने हेतु विद्युत अधिनियम 2003 लाया गया है। * विद्युत की चोरी, विद्युत लाइनो और सामग्रियो की चोरी, चुराई गई सामग्री वापस प्राप्त करने पर दंड के प्रावधान, विद्युत संपत्ति को नुकसान पहुचाने पर शासकीय न्याय निर्णयन अधिकारी द्वारा ध्यान में रखे जाने वाले घटक इत्यादि के प्रावधान अधिनियम के भाग 14 में दिये गये है। भाग 15 एवं 16 विशेष विद्युत न्यायालय के गठन संबंधी प्रक्रिया, विशेष विद्युत न्यायालयो की शक्तियां एवं विद्युत संबंधी विवादो के निपटारे पर केंद्रित है। भाग 17 में रेलमार्गो, राजमार्गो, विमान पत्तनो, नहरो इत्यादि सार्वजनिक स्थलो के संरक्षणात्मक उपबंध हैं। ©Indian Kanoon In Hindi विद्युत अधिनियम कानून
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बलात्कार पर कानून :- * जब कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध सम्भोग करता है तो उसे बलात्कार कहते हैं। सम्भोग का अर्थ – पुरुष के लिंग का स्त्री की योनि में प्रवेश होना ही सम्भोग है। किसी भी कारण से सम्भोग क्रिया पूरी हुई हो या नहीं वह बलात्कार ही कहलायेगा। बलात्कार तब माना जाता है यदि कोई पुरुष किसी स्त्री साथ निम्नलिखित परिस्थितियों में से किसी भी परिस्थिति में मैथुन करता है वह पुरुष बलात्कार करता है, यह कहा जाता है * उसकी इच्छा के विरुद्ध * उसकी सहमति के बिना * उसकी सहमति डरा धमकाकर ली गई हो * उसकी सहमति नकली पति बनकर ली गई हो जबकि वह उसका पति नहीं है * उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह दिमागी रूप से कमजोर या पागल हो * उसकी सहमति तब ली गई हो जब वह शराब या अन्य नशीले पदार्थ के कारण होश में नहीं हो * यदि वह 16 वर्ष से कम उम्र की है, चाहे उसकी सहमति से हो या बिना सहमति के * 15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ पति द्वारा किया गया सम्भोग भी बलात्कार है ©Indian Kanoon In Hindi बलात्कार पर कानून
बलात्कार पर कानून
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