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Anamika Raj
White न जाने यह कोनसा जमाना आ गया जहा पर तोह अपने भी बेगाने से लगते है। ©Anamika Raj न जाने यह कोनसा जमाना आ गया..
न जाने यह कोनसा जमाना आ गया..
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी सर फिर से उठा चुके अधर्मी मर्यादा तब तार तार है होती तपस्या भंग सच्चाई की राक्षसों की प्रव्रत्ति सर उठा रही है माँस और सुरा सुंदरी का बढ़ा प्रचलन साधु भेष में हठधर्मिता पनपायी जा रही है असत्यता का कद बढ़ा कर त्यागी तपस्वी को मिटाने की धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है चीटी भी ना मारी हो जिसने उसे विधर्मी बताकर नींव धर्म की हिलायी जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है
#sad_quotes धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है
read moreShashi Bhushan Mishra
आज, कल, परसों पे टलता जा रहा, साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा, तैरने वाले गये उस पार कबके, कुछ किनारे हाथ मलता जा रहा, भूलने वाले भुला बैठे अदावत, टीसने वाले को खलता जा रहा, जम गई है बर्फ़ सी संवेदनाएं, वेदना से ग़म पिघलता जा रहा, कोई बच पाया नहीं इस काल से, समय की चक्की में दलता जा रहा, संभलकर ही कर्म करना जगत में, भाग्य बनकर बीज फलता जा रहा, ज्ञान दीपक से मिटे अंधियार 'गुंजन', हृदय में सुख-शांति पलता जा रहा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #दिन निकलता जा रहा#
#दिन निकलता जा रहा#
read moreमिहिर
White ये क्या पूछा ये बिंदी कैसी लगती ये साड़ी कैसी दिखती है ये काजल ठीक तो लगते है ना ! जो सच पूछो तो ये जचना खिलना मत पूछो तुम बिंदी पर जँचती हो तुम साड़ी पर खिलती हो तुम काजल से तीखी हो तुम सोने से ज्यादा चमकती हो तेरे होने से इनका होना है तू हंसती है तो ये सोना है तेरे आगे इनका क्या मोल अरे ओ बावली तू क्या जाने तू अनमोल !! ©मिहिर #तू क्या जाने
#तू क्या जाने
read moreF M POETRY
White मुझे अंदर से खाये जा रही है... तुम्हारी याद आये जा रही है... यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #तुम्हारी याद आये जा रही है......
#तुम्हारी याद आये जा रही है......
read moredilkibaatwithamit
White तिरे भूल जाने की आदत के सदक़े तुझे भूल जाने को जी चाहता है ©words_of_heart_pa #love_shayari तिरे भूल जाने की आदत के सदक़े तुझे भूल जाने को जी चाहता है
#love_shayari तिरे भूल जाने की आदत के सदक़े तुझे भूल जाने को जी चाहता है
read moreAvni Saraff
जाने क्या बात है, उद्वेलित रहता है धीर गंभीर सागर इतना औ प्रफुल्लित कल कल, छल छल बहती रहती क्यूं नदियां ©Avni Saraff #जाने क्या बात है Aryan Ved Mugdha's poetry
#जाने क्या बात है Aryan Ved Mugdha's poetry
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