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Jashvant
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा किस से पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा आइना देख के निकला था मैं घर से बाहर आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा ©Jashvant नींद में बिस्तर मेरा narendra bhakuni Preeti Kumari Neema SEJAL Rajdeep
Shivkumar
" तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ वैसी ही रखी हैँ ,, वह चाय का कप और हिसाब की किताब, बिस्तर के सरआने पर बिलकुल वैसी ही अधूरी रखी हैँ ,, जहाँ बिताए थे कुछ पल बैठकर साथ अब वहां धूल चढ़ी है, जहाँ चलते थे दो कदम साथ वहां अब दूब बढ़ गयी है ,, तेरे जाने के बाद से वह हमारी तस्वीर अब अधूरी रह गयी है, रंग सब सूख गए हैँ और तस्वीर में रंग की जगह खाली रह गयी है ,, तेरे गिटार के तार अब टूट गए हैँ तेरी आधी पढ़ी कहानी की किताब अभी वहीँ पड़ी है, उन गीतों का क्या होगा जिसकी धुन अभी आधी बनी है ,, घर की चाबी अभी भी उस दराज़ में तेरे छल्ले के साथ मैंने रखी है, वह पर्दे जो जो लगाए थे कमरों में रंग भरने उन पर अभी कुछ धूल चढ़ी है ,, वह कमरा जहाँ बिताए थे पल यादगार, वीरान हो गया है, वह कंघा, वह आइना, अभी भी तेरे टूटे बाल, तेरी बिंदिया के निशान खोज रहा है ,, वह कमरे की खिड़की अभी भी आधी खुली है, कुछ छनी धूप वहां से झाँक रही है ,, वह खुश्क़ चादर अपनी अब भी कोने में पड़ी है, तेरी टूटी हुईं चूड़ियाँ भी मैंने वहीँ सहेज कर रखी है ,, ~शिवकुमार बर्मन ✍🥀 ©Shivkumar #aaina #आइना #दर्पण #Nojoto #nojotohindi #कविता " तेरे जाने के बाद से घर के आइनो पर धूल चढ़ी है, वह अख़बार, वह गुलाब, वह किताबें, सब वहीँ
AJAY NAYAK
नई सुबह हर रोज उठता हूं बैठता हूं, चलता हूं शाम होते होते हर रोज गिर जाता हूं । वही रात जो शीतलता देती है उष्ण बनकर मुझ पर टूट पड़ती है । करवटे बदल बदल कैसे कैसे रात कटती है फूल जैसे बिस्तर भी रात भर शूल बन चुभते हैं । फिर जीवन में आती है वही सुबह जिसका रहता है संध्याकाल से ही इन्तजार । एक नई ऊर्जा लिए एक नए विश्वास लिए उठाती है, और खड़ा करती है । फिर से जीवन के नए आयाम स्थापित कर उस ओर हमारे पगों को बढ़ा देती है। हर रोज उठता हूं। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #bicycleride नई सुबह हर रोज उठता हूं बैठता हूं, चलता हूं शाम होते होते हर रोज गिर जाता हूं ।
Sarfaraj idrishi
कीमत से ज्यादा रुलाऐंगे ये बिस्तर तुम्हें, मेरी मानो और कब्र का इंतजार कर लो। ©Sarfaraj idrishi #Exploration कीमत से ज्यादा रुलाऐंगे ये बिस्तर तुम्हें, मेरी मानो और कब्र का इंतजार कर लो।Praveen Storyteller Raj-Simran Dhanraj Gamare Jeev
Ak.writer_2.0
जो बिस्तर तक ले गया उसे प्रेम कहती हो, तो जो सीने से लिपटकर रोया वो कौन था? ......🥺..... ©Ak.writer_2.0 जो बिस्तर तक ले गया उसे प्रेम कहती हो, तो जो सीने से लिपटकर रोया वो कौन था? #walkingalone #sad #sadness #brockenheart Smrit (दिवि)divi P@nde