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Shivkumar
नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां ब्रह्मचारिणी का l मां दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारिणी का ll तपस्विनी माता , सात्विक रुप धारण करती है l पूजा करने से भक्तों के , सारे कष्ट को वो हरती है l श्वेत वस्त्र मां धारण करती , तपस्या सदा ही वो करती है l तपस्या करने से , सारी सिद्धियां भक्तों को वो देती है ll दूध चावल से बना भोग , मां बड़ा प्रिय वो लगता है l खीर,पतासे, पान, सुपारी , मां को बहुत चढ़ाते हैं ll स्वच्छ आसन पर बैठकर , मां का करें ध्यान l मंत्र जाप करने से , माता कल्याण करती है ll राजा हिमाचल के यहां , माता उत्पन्न हुई थी l विधाता उनके लिए , शिव-संबंध रच रखे थे ll वह पति रुप में , भगवान शिव को चाहती थी l घोर तपस्या करने , वह फिर जंगल में चली गई ll भोलेशंकर , मां के तपस्या जब प्रसन्न हुए मनवांछित वर देने के लिए हो गए तत्पर ll तपस्विनी रुप में , मां को देखकर बोले शिवशंकर l ब्रह्मचारिणी नाम से , विख्यात होने का दिए वर ll ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारि
Devesh Dixit
महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये सुर ताल।। बीच वर्ग के हैं पिसे, देख हुए नाकाम। अब सोचें वह क्या करें, बढ़ा सकें कुछ काम।। फिर भी हैं कुछ घुट रहे, मिला न जिनको काम। महँगाई के दर्द में, जीना हुआ हराम।। चिंतित सब परिवार हैं, दें किसको अब दोष। महँगाई ऐसी बढ़ी, थमें नहीं अब रोष।। विद्यालय व्यवसाय हैं, दिखते हैं सब ओर। शुल्क मांँगते हैं बहुत, पाप करें ये घोर।। मुश्किल से शिक्षा मिले, कहते सभी सुजान। महँगाई की मार है, यही बड़ा व्यवधान।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #महँगाई_की_मार #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये
bhim ka लाडला official
Vivek
घोर ईमानदारी है प्यार बुराई नहीं है गहरी इससे ज्यादा कोई सच्चाई नहीं हैं किसी ने कह दी है कोई कह पाई नहीं है तुमने लिख के मिटा दी है पर मैंने मिटाई नहीं है घोर ईमानदारी है प्यार बुराई नहीं है...!!! ©Vivek #घोर ईमानदारी है प्यार
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- पाकर बेटी खुशी मनाते , कम ही है माँ बाप । बिटिया की प्यारी सूरत पर , रीझ गये हैं आप ।। बेटी पाकर खुशी मनाते.... थोड़ी हम पर थोड़ी तुम पर , आयी है सरकार । इसका भाग्य सँवारे गिरधर , इतनी है दरकार ।। माना जीवन में मेरे है , थोडें से संताप । बेटी पाकर खुशी मनाते , कम ही है माँ बाप ।।... इसको दूजी मनु हम समझे , मन में आज विचार । अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिलाकर , करना है तैयार ।। लेकिन कलयुग घोर चढ़ा है , इसका पश्चाताप । बेटी पाकर खुशी मनाते , कम ही है माँ बाप ।। नगर-नगर में बाँट मिठाई , खुशियाँ आई देख । दीप जलाओ खुशी मनाओ , बदली जीवन रेख ।। हमको उनमें गिनों न भैय्या , बैठा करूँ विलाप । बेटी पाकर खुशी मनाते , कम ही है माँ बाप ।। चलो करे रघुवर को वंदन , किए मनोरथ पूर्ण । वह तो दाता सारे जग के , करते रहते घूर्ण ।। आज वही आशीष दिए तो , देखो हुआ मिलाप । बेटी पाकर खुशी मनाते , कम ही है माँ बाप ।। पाकर बेटी खुशी मनाते , कम ही है माँ बाप । बिटिया की प्यारी सूरत पर , रीझ गये हैं आप ।। २४/०१/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR पाकर बेटी खुशी मनाते , कम ही है माँ बाप । बिटिया की प्यारी सूरत पर , रीझ गये हैं आप ।। बेटी पाकर खुशी मनाते.... थोड़ी हम पर थोड़ी तुम पर ,
Bhupendra Rawat
शून्य से शुरुआत कर संघर्षों की सीढ़ी को पार कर सफलता अपना रास्ता स्वयं बना लेती है पारिस्थितियो से हार कर गिरना स्वीकार नही पराजय स्वीकार कर सीखना बेकार नही मुश्किलों से घबरा कर क़दम कभी डिगे नही घोर अंधियारे मे भी संघर्ष की कहानी सफलता का एक दीप जला ही देती है ©Bhupendra Rawat #GoldenHour शून्य से शुरुआत कर संघर्षों की सीढ़ी को पार कर सफलता अपना रास्ता स्वयं बना लेती है पारिस्थितियो से हार कर गिरना स्वीकार नही प
Devesh Dixit
अनंत (दोहे) लीला अनंत आपकी, ओ गिरिधर गोपाल। जकड़े जिसमें हैं सभी, वो है माया जाल।। जिसे रचा है आपने, माया वही अनंत। कैसे अब दीदार हों, ओ मेरे भगवंत।। महिमा अनंत आपकी, कहते सभी सुजान। एक न पत्ता हिल सके, जाने सकल जहान।। भजे आपको जो कभी, उसका बेडा पार। सुख साधन से हो धनी, ऐ मेरे भरतार।। सत्य बचाने के लिए, रूप किया विस्तार। चलता अनंत काल से, जीवन का ये सार।। कलियुग ने घेरा अभी, है उसका ही जोर। हुए अनंत प्रहार हैं, दर्द सहें अब घोर।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अनंत #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अनंत (दोहे) लीला अनंत आपकी, ओ गिरिधर गोपाल। जकड़े जिसमें हैं सभी, वो है माया जाल।। जिसे रचा ह
Rajkumar Siwachiya
होवय बरकत बेसक, नीत नहीं रय गिरना पक्का तेरा सै या दो दिन बसनी चमक चांदनी पाछय घोर अंधेरा सै यो भी मेरा वो भी मेरा फेर कै बता चाल तेरा ना सुरज अस्त बिन रात ना होवय सुरज उदय बिन सवेरा ना जबलक इंसान, इंसान सै मखा पड़य उसपय माया का घेरा ना किस घमंड म सना फिरय तनय खुद की मौत का भी बेरा ना ✨🔭✍️ - Rajkumar Siwachiya ♠️ ©Rajkumar Siwachiya होवय बरकत बेसक, नीत नहीं रय गिरना पक्का तेरा सै या दो दिन बसनी चमक चांदनी पाछय घोर अंधेरा सै #rajkumarsiwachiya #haryana #loharu #bhiwani #J
ANIL KUMAR
गीत "बोल कबीरा” जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे रोज चलो सुख-दुःख का संगम है जीवन, धीरे-धीरे रोज बढ़ो कुछ ख्वाहिश दफनाते चलना, कुछ सपने बुनते जाना फूलों की चाहत हो लेकिन, काँटों को चुनते जाना कल क्या होगा किसको पता है, किसने जाना है आखिर कल की चिंता आज पे भारी, किसने माना है आखिर काली रजनी-सा जीवन में,कब? घोर अंधेरा छाएगा खुशियों के इक-इक पल को तुम, खोज-खोज के हार गए अपने हाथों ही पैरो पे ख़ुद, रोज कुल्हाड़ी मार गए जितना खोते हैं जीवन में, उससे ज्यादा मिल जाता जैसा बोते है मधुवन में, वैसा ही तो मिल पाता. घूम-घूम के लोट-लौट के, कर्म हमारे ही आते और इन्ही का लेखा जीवन, वेद शास्त्र भी बतलाते काँटे बोकर कौन भला फिर, वापस फूलों को पाएगा लड़ जाना हालातों से, बस, धीरज हिम्मत से डटकर डर लगता हो साँस भरो बस, साहस पौरूष से उठकर अपना काम करो सब प्यारे, घबराना अब ठीक नहीं मिट्टी से ऊपर उठकर भी, इतराना अब ठीक नहीं आज मगन हो चाहे जितना, झोली अपनी भर लेना शायद कल फिर मिले कभी ना, हँसते गाते जी लेना पहले पन्नो में शुरुआती, नाम तुम्हारा लिख जाएगा अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर, बुन्देलखण्ड ©ANIL KUMAR गीत "बोल कबीरा” जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे