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Stories related to लेखक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

Sdm Jaypur

#snow सन्तोष त्रिपाठी

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Unsplash आसमां के परींदो से उड़ना सीख लो,सूरज की गर्मी की तरह तपना सीख लो, चाहे कैसा भी रास्ता हो मंज़िल का, बस सपनों की राहों में चलना सीख लो। 🚶‍♀️🚶‍♂️

©Sdm Jaypur #snow सन्तोष त्रिपाठी

Neha Yadav

Unsplash अबे सुन बे गुलाब 
भूल मत जो पाई ख़ुशबू रंगो आब।
खून चूसा खाद का तूने अशिष्ट।
डाल पर इतरा रहा है कैपेटलिस्ट।।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'

©Neha Yadav #निराला #कुकुरमुत्ता #कविता #leafbook

Yashpal Sharma&J.K

तुम्हें याद रखने का मेरा अंदाज थोड़ा निराला है, मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं, शब्दों में सम्भाला है। कभी लिख दी दो लाइन की शायरी, तुम प

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तुम्हें याद रखने का
मेरा अंदाज थोड़ा निराला है,

मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं,
शब्दों में सम्भाला है।

कभी लिख दी
दो लाइन की शायरी, तुम पर...
तो कभी तुम्हारी यादों में
पूरा खाली पन्ना ही भर डाला है।।

©Yashpal Sharma&J.K तुम्हें याद रखने का
मेरा अंदाज थोड़ा निराला है,

मैंने तुम्हें तस्वीरों में नहीं,
शब्दों में सम्भाला है।

कभी लिख दी
दो लाइन की शायरी, तुम प

SumitGaurav2005

प्रस्तुत कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है। इसका किसी भी तरह का किसी से कोई भी सम्बंध नहीं है। विद्युत उपकरण कंपनी के नाम का इस्तेमाल करके लेखक

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संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु

स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित अनुवाद सहित शीर्षक विचित्रः प्रतिद्वन्द्वी . . विधा गहन विचार भाव वास्तविक

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गुरु देव[Alone Shayar]

दस्तूर ही निराला...ll शायरी लव शायरी हिंदी में शायरी दर्द शेरो शायरी खूबसूरत दो लाइन शायरी

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gudiya

#love_shayari nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प

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White वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती पत्थर 
कोई ना छायादार 
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
 नत नयन ,प्रिय-  कर्म -रत मन,
 गुरु हथोड़ा हाथ ,
करती बार-बार प्रहार ;- 
सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार ।

चढ़ रही थी धूप;
 गर्मियों के दिन 
दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू 

रूई - ज्यों जलती हुई भू
गर्द   चिनगी छा गई,
 प्राय: हुई दुपहर :- 
वह तोड़ती पत्थर !
देखे देखा मुझे तो एक बार 
उस भवन की ओर देखा,  छिन्नतार;
 देखकर कोई नहीं,
 देखा मुझे इस दृष्टि से 
जो मार खा गई रोई नहीं,
 सजा सहज सीतार ,
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार;
 एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,
ढोलक माथे से गिरे  सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा -
मैं तोड़ती पत्थर 
                'मैं तोड़ती पत्थर।'
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

©gudiya #love_shayari 
#Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish 
वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती प

Shivkumar barman

बस यु ही किसी ने हमसे पूछा कि -: क्या " आप लेखक हो " ? हमने कहा.... " नही " बस किसी ऐसे से प्रेम है जिसे शायरी , कविताएं और कहानिया

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White बस यु ही किसी ने हमसे पूछा कि -:
क्या " आप लेखक हो " ?
हमने कहा.... " नही " बस किसी ऐसे से प्रेम है 
जिसे शायरी, कविताएं और कहानियां पढ़ने में रुचि है "

©Shivkumar barman
  बस यु ही किसी ने हमसे पूछा कि -:
क्या " आप #लेखक  हो " ?
हमने कहा.... " नही " बस किसी ऐसे से #प्रेम  है 
जिसे #शायरी , #कविताएं  और #कहानिया
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