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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी जिंदगी को, संकटो से पार लगाने में खतरों से खेलना पड़ता है निर्वाह समाजिक पारिवारिक पूरा हो टूट टूटकर जुड़ना पड़ता है जकड़ा हुआ बन्धनों में मानव तप तप कर निखरना पड़ता है अपने लिये कुछ खास नही परिवार और रिश्तो के लिये दिन रात खपना पड़ता है करते होंगे सिद्दी साधु संत अपने लिये लेकिन हम ग्रहस्थ को कितने बलिदान देकर सबको खुश रखना पड़ता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #2023Recap करते होंगे सिद्दी साधु संत अपने लिये, #nojotohindi
Naveen Mittal
"तुम इंसान पर अपनी ताकत दिखाओगे ऊपरवाला तुम पर अपनी ताकत दिखाएगा।" साधु संतों को ऐसे तड़पाओगे अगर बना पीएम अगला संत तो झेल भी नहीं पाओगे। #पालघरहत्याकांड #staysafe #staystrongforever #yqquotes #yqdidi #50t
श्री सबरी भजन मंडल
हे भोलेनाथ बस इतना कर देना शंकर शिव शम्भु साधु संतन हितकारी || लोचन त्रय अति विशाल सोहे नव चन्द्र भाल | रुण्ड मुण्ड व्याल माल जटा गंग धारी || पार्वती पति सुजान प्रमथराज वृषभयान | सुर नर मुनि सेव्यमान त्रिविध ताप हारी || ©श्री सबरी भजन मंडल 🙏🌹🕉️शंकर शिव शम्भु साधु संतन हितकारी || लोचन त्रय अति विशाल सोहे नव चन्द्र भाल | रुण्ड मुण्ड व्याल माल जटा गंग धारी || पार्वती पति सुजान प
Sultan Mohit Bajpai
ये मेहरो–माह,आबों–गुल,जमीं–जीनत,सितारें सब फकीरों की निगहबानी से, कायम है, मुतज़यन है ©Sultan Mohit Bajpai #Walk #Nojoto #Hindi #Love #poem #SAD #Music #News #sultan_mohit_bajpai #alone मेहरों– माह – चांद सूरज,दुनियां की अहम चीजे या अहम लोग आब –
Kulvant Kumar
N S Yadav GoldMine
मनुष्य की चेतना को चार भागों में बाँटा जा सकता है। {Bolo Ji Radhey Radhey} १. चेतन मन, २ अवचेतन मन ३. अचेतन मन, ४. अतीन्द्रिय चेतन। अग्रेजी में इसे कान्सेश माइंड, सबकान्सेश माइंड, अनकान्सेश माइंड, सुपरकान्सेशमाइंड, कहते हैं। साधु संतों की साधुक्कड़ी भाषा में इसे :-१ जाग्रत अवस्था, २. स्वप्न अवस्था, ३ सुषुप्ति अवस्था, ४. तुरीया अवस्था, कहते हैं। ©N S Yadav GoldMine मनुष्य की चेतना को चार भागों में बाँटा जा सकता है। {Bolo Ji Radhey Radhey} १. चेतन मन, २ अवचेतन मन ३. अचेतन मन, ४. अतीन्द्रिय चेतन। अग्रे
ashish gupta
लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों कि रेलगाड़ी मिट्टी की मूर्त की तुम चेक करते रहना नाड़ी ऐसा न हो झटका खा कर बंद हो जाए गाड़ी लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों की रेल गाड़ी ऊची नीची खाई पर्वत फिर आती है बंगाल की खाड़ी डर के भाग न जाना खतरो के तुम हो अच्छे खिलाड़ी लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों की रेल गाड़ी ईमान के चुभते काटो की जला दो तुम झाड़ी साधु संत फकीर संग आशीष ये लिख देता माड़ी ©ashish gupta #Time लम्हों की रेलगाड़ी आई लम्हों कि रेलगाड़ी मिट्टी की मूर्त की तुम चेक करते रहना नाड़ी ऐसा न हो झटका खा कर बंद हो जाए गाड़ी लम्हों की
Dr Wasim Raja
Sonu Delhi