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Jitendra Giri Hindu
Unsplash "सत्यं तु सर्वदा ब्रूयात् नानृतं धर्मसंहितम्। यः सत्यं त्यजते मोहात् स नरकं व्रजत्यधः॥" ©Jitendra Giri Hindu अर्थात्: व्यक्ति को सदा सत्य बोलना चाहिए और धर्म की मर्यादा में रहना चाहिए। जो मोह या लोभवश सत्य को छोड़ देता है और झूठ बोलता है, वह पाप करक
अर्थात्: व्यक्ति को सदा सत्य बोलना चाहिए और धर्म की मर्यादा में रहना चाहिए। जो मोह या लोभवश सत्य को छोड़ देता है और झूठ बोलता है, वह पाप करक
read moreVs Nagerkoti
White जीवन मैं हमेशा खुद को साबित किया जाय ऐसा जरूरी नहीं जो आप हकीकत मै हो वो सभी जानते है । कभी कभी कुछ चीजें ईश्वर को सौंप देना ही उचित है । बांकी जो आपके खिलाफ है । वो कभी नहीं सुधरेंगे उन्हें उनके कर्मों पर ही छोड़ दें । आप चिंता ना करें। क्योंकी दाग हमेशा सफेद वस्त्रों पर ही लगते है । ©Vs Nagerkoti #Sad_Status आपकी हकीकत सभी जानते है । अगर कोई नहीं भी जानता तो ईश्वर और खुद उसकी आत्मा जो उसे कभी चेन से जीने ही नही देगी ।
#Sad_Status आपकी हकीकत सभी जानते है । अगर कोई नहीं भी जानता तो ईश्वर और खुद उसकी आत्मा जो उसे कभी चेन से जीने ही नही देगी ।
read moreJitendra Giri Hindu
"जीवन का उद्देश्य केवल निष्क्रियता नहीं, बल्कि आत्मा के उत्थान और आध्यात्मिक जागरूकता की ओर अग्रसर होना है।" "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।" (गीता, अध्याय 2, श्लोक 47) ©Jitendra Giri Hindu "निष्क्रियता से कर्म तक: गीता का संदेश आत्मा के उत्थान के लिए" #गीता_ज्ञान #कर्मयोग #आध्यात्मिक_प्रेरणा Hinduism गोल्डन कोट्स इन हिंदी
"निष्क्रियता से कर्म तक: गीता का संदेश आत्मा के उत्थान के लिए" #गीता_ज्ञान #कर्मयोग #आध्यात्मिक_प्रेरणा Hinduism गोल्डन कोट्स इन हिंदी
read moreritesh Kumar
आत्मा जब परमात्मा के पास चली जाती है तो उसके पश्चात मृत्युलोक के सारे संबंध छूट जाते हैं फिर वह अपने कर्म के हिसाब से अगले योनि में जाने की तैयारी कर रही होती है ,जैसे हमने आज से चार दिनों पहले कौन से वस्त्र ,आभूषण पहने थे,कैसे भोजन किए थे ,किनसे क्या-क्या वार्तालाप हुई थी;ऐसा कुछ भी तो स्मरण नहीं रहता! ये।मानव शरीर भी आत्मा का साधन मात्र है,पुराने वस्त्र की भांति देह त्याग के बाद वह उसे भी विस्मृत कर देती है। - ऋतेश ©ritesh Kumar आत्मा
आत्मा
read moreRakesh frnds4ever
White वो पुरुष कैसे संभाले खुद को जो कि ना तो नशा करता है ,,,,,,,,ना ही गाली देता है जिसका न कोई संगी साथी है ,,,,,,,,,,,,न की प्रेमी न दुश्मन जिसके ना कोई अपने हैं ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,न कोई पराये जिसमें ना कोई चालाकी है ,,,,,,,,,,,,,,,,न कोई बेईमानी जो इस कलियुगी युग के माहौल जैसा नहीं है ,,,,, वो जो कि दिल, दिमाग ,आत्मा, तन - मन ,शरीर से इस नरकीय, क्रूर, जहन्नुम जैसी दुनिया में आर्थिक, सामाजिक ,शारीरिक, संवेदनात्मक, भावात्मक ,मानसिक बौद्धिक, संवेगात्मक, आत्मिक ,वंशानुगत, पारिवारिक आदि सभी स्वरूपों में निरंतर प्रताड़ित किया जा रहा है,,,नोचा जा रहा है,,, मारा जा रहा है,,,... कैसे संभाले वो खुद को ©Rakesh frnds4ever वो #पुरुष कैसे #संभाले खुद को जो कि ना तो #नशा करता है ना ही गाली देता है जिसका न कोई संगी #साथी है न की #प्रेमी न दुश्मन जिसके
Rakesh frnds4ever
White बर्फ बनकर जी रहे हैं हम इस मोम से जलते पिघलते कखोल में जूझ रहें हैं अकेले ही इस अंधकार, धुएं से धुंधलेपन में धूप होना लग रहा है मुश्किल झुलस सिकुड़ रहें हैं आत्मा से नरकीय माहौल में ©Rakesh frnds4ever #बर्फ बनकर जी रहे हैं #हम इस #मोम से जलते #पिघलते कखोल में जूझ रहें हैं अकेले ही इस #अंधकार , धुएं से धुंधलेपन में
Rameshkumar Mehra Mehra
किसी को चूमना भी............. एक तरह का सबांद है....! जिसमें शब्द तो नही...!! पर ब्याकरण जरुर है...!!! चूमने का ब्याकरण नही समझ पाते है..!!!! जो जिस्म से पहले....!!!!! आत्मा को चूमना जानते है... ©Rameshkumar Mehra Mehra # किसी को चूमना भी,एक तरह का सबांद है,जिसमें शब्द तो नही,पर ब्याकरण जरुर है,चूमने का ब्याकरण नही समझ पाते है,जो जिस्म से पहले,आत्मा को चूमना
# किसी को चूमना भी,एक तरह का सबांद है,जिसमें शब्द तो नही,पर ब्याकरण जरुर है,चूमने का ब्याकरण नही समझ पाते है,जो जिस्म से पहले,आत्मा को चूमना
read moreYashvant Singh Life Coach ( Motivational Speaker )
Parasram Arora
White यह सही है कि हमने अपने बच्चों को देह देने मे उनका सहयोग किया है . पर उनके अंदर की आत्मा को रोपने का काम हमारे द्वारा नहीं हुआ है lll ©Parasram Arora आत्मा का रोपण
आत्मा का रोपण
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