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दि कु पां

मैं शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार-क्षार। डमरू की वह प्रलय-ध्वनि हूं जिसमें नचता भीषण संहार। रणचण्डी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का

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हिंदू तन मन.... मैं शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार-क्षार।
डमरू की वह प्रलय-ध्वनि हूं जिसमें नचता भीषण संहार।
रणचण्डी की अतृप्त प्यास, मैं दुर्गा का

अमर रस्तोगी

अटल जी की कविता

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Bk Solanki

#अटल जी की कविता,,,,,,,,,

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राजेश कुमार बी.जी

अटल जी की पंक्तियां

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Lalit Mohan

#अटल जी की कविता।

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shiv ganga

#myvoice अटल जी की कविता

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योगेश चन्द्र बड़

अटल जी की कविता #JalFlute

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vivek shukla

अटल जी

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 अटल जी

dwriterlife(Ankur Goswami)

अटल जी

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आज मैं एक ऐसी शख्सियत को कलम्बन्ध करूँगा जिनके बहुत सारे यादगार लम्हें है, जिनके प्रोत्साहित करने वाले नग्में हैं।
श्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी।
पूरी हयत ये हमारे ज़ेहन में रहेंगे, और सिर्फ यही कहेंगे कि मैं अटल था, अटल हूँ, और अटल ही रहूँगा।
इंसान के रूप में खुदा का जन्म लेने वाले, राजनीती की दिशा को बदलने वाले, गरीबों का दर्द महसूस करने वाले, सिर्फ एक आप ही तो थे जो सचाई का प्रतीक था, जलता हुआ हमारे देश का दीप था।
रात में सुनाने वाली वो माँ की लोरी था,
कभी ना टूटने वाली रिश्तों की डोरी था,
बहता हुआ  सागर था।
बिछा हुआ दरगाह में जैसे कोई चादर था।
रब की भी क्या मर्ज़ी थी, कैसी ये खुदगर्ज़ी थी
जो उनको इस दुनिया से छिन लिया।
आखिरकार उन्होंने भी भारत के आज़ादी को 71 साल गींन लिया।
आज हम अपने शूरवीर, स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रन्तिकारी को श्रधांजलि देते हुए उनको नमन करते हैं। अटल जी

गौतम गुँजाल

अटल जी अटल थे अटल ही रहेंगे #कविता

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राजनीति के महापंक में , खिला जो कमल हे।कमल वो अटल हे , अटल ही कमल हे।
पंक का एक दाग भी, लगने नही दिया है।त्याग तेज तप बल से, पंक को उज्जवल किया है।
हिमालय सा हे अटल,द्वंद्व के सम्मुख अड़ा है,चिर कर सब घोर तम को,तेज बनकर वो खड़ा है।
कर दिया तन राष्ट्र अर्पित, जीवन समर्पित कर दिया है।इहलोक से परलोक के उस पथ पे वो अब चल दिया है।
                                                    ✍️ उत्कर्ष अटल जी अटल थे अटल ही रहेंगे
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