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Rajesh rajak
कई बुरे दौर गुजरे हैं यारो जिंदगी में,फिर भी हौसला न हारे हम, ये बुरा दौर भी गुजर जाएगा, बस,एक ही अपेक्षा है आपसे,थाम लो पांव अपने घर में, ये Corona भी हमसे हार जाएगा,, खुद समझो दूजों को भी समझाओ,की न निकलो घर से, कुछ समय की बात है,फिर दौर खुशियों का लौट आएगा, नोट_जिंदगी का सवाल है दोस्तो,जब हम ही नहीं रहेंगे तो मजार किस काम का,घर पर रहें खुश रहें। 🙏🙏😃😃👍👍 घर एक मंदिर,
Tarakeshwar Dubey
घर एक मंदिर """'"'""""""'"""""" संस्कारो की धरा जितनी उर्वरक होती है, संस्कृति की फसलें उतनी अच्छी लहलहाती है। संस्कृतियों से परिपूर्ण हमारे सहस्रों वर्ष से गतिशील व जागरुक सभ्यता ने सदियों से घर को मंदिर का दर्जा दिया है। हमारे पूर्वजों की मान्यता रही है कि इस पवित्र मंदिर में माता-पिता रुपी दो जीवंत देवता निवास करते हैं जिनके संरक्षण में और जिनके आशिर्वाद से यह मंदिर सदैव महकता रहता है। संयुक्त परिवार की छत्रछाया मे पली एवं विकसित हुई हमारी सभ्यता में खुशियों को थालियों मे परोस कर मिल कर ग्रहण करने और गमों को कंधों पर बांट कर हल्का करने की परंपरा रही है। इसी परंपरा की छांव मे हमारा पारिवारिक व सामाजिक जीवन न सिर्फ खिलता व महकता रहा है बल्कि सदैव सुरक्षित बोध करता रहा है। इस एकता की मूल में नारी कभी शारदा बन कर ज्ञान की आलौकिक ज्योति जलाती रही तो कभी लक्ष्मी, अन्नपुर्णा बन कर धन और अन्न का भंडार भर कर घर में खुशियाँ लुटाती रही। वहीं जब कभी विपत्ति आई तो वे दूर्गा, काली का रूद्र रुप धर कर बैरी के विनाश का कारण भी बनी। पाश्चात्य के प्रभाव से हमारे समाज पर एक प्रतिकुल प्रभाव पड़ा और हम कुछ स्वार्थी और संकीर्ण विचारधारा के जीव बन गए। विलासिता से प्रेम करना हमे रास आने लगा। माता-पिता रुपी जीवित देवों को हमने घर रुपी मंदिर से निकाल कर वृद्धाश्रम रुपी काल कोठरी में तड़पने के लिए मजबूर कर दिया। परिणामत: हमारे बच्चे उदंड हो गए और बच्चियाँ असुरक्षित। कोरोना के इस महाकाल में हमारे पूर्वजों की विचारधारा एक बार फिर न सिर्फ प्रासंगिक है बल्कि पूरी दुनिया को जीवन सुरक्षा प्रदान कर रही है। घर रुपी मंदिर ही है जहाँ हम पूरी तरह संतुष्ट और सुरक्षित महसुस करते हैं। और पूरी दुनिया के विशेषज्ञ आज यही सलाह दे रहे हैं, "घर मे रहें, सुरक्षित रहें।" समय आ गया है कि हम अपने पूर्वजों के वैज्ञानिक विचारधारा का अनुसरण करें और खुद को तथा अपने पूर्वजों को गौरवान्वित करें। नमस्कार। जय हिन्द। ©Tarakeshwar Dubey घर एक मंदिर #Trees