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BHARTI TRIPATHI "lovely"
White आज फिर से मुस्कुराने को दिल किया । तेरी बाहों मे डूब जाने को दिल किया ।। नशा बन केछाने लगा है तू । ख्वाबों ख्यालों में आके सताने लगा है तू ।। तुझे याद करके ये दिल मुस्कुराने लगा है क्यों ? क्या यही प्यार है ???? ©BHARTI TRIPATHI "lovely" #Smile क्या यही प्यार है??
Internet Jockey
White यही बात ख़ास होनी चाहिए कि तुम बहुत आम हो ©Internet Jockey #mango यही बात ख़ास होनी चाहिए कि तुम बहुत आम हो
i_m_charlie...
White जब तक समझ नही थी तब तक ऊपरवाले से कुछ ना कुछ मांगते रहते थे, याद भी नही की वो देता भी था या नहीं, पर जब से सब समझ आ गया है तब से ऊपरवाले से बस एक ही चीज मांगते रहते है, मौत...😑 ©i_m_charlie... #good_night बस यही आखरी ख्वाहिश है।
Vandana Rana
White यही एक राहत थी और गिला भी यही, वो मिला तो सही मगर मिला ही नहीं ..!! ©Vandana Rana यही एक राहत थी और गिला भी यही, वो मिला तो सही मगर मिला ही नहीं ..!!
Dr Wasim Raja
White अब तो घर घर की बस यही कहानी है। रिश्तो में में भी ढूंढते सभी लाभ हानि है।। स्वतंत्रत भारत में सब करते मनमानी है। यह हसीनो जमील दुनिया तो फानी है।। यहां फिर भी इंसान कर रहा नादानी है। आपसी रंजिश में बर्बाद हो रही जवानी है।। भाई भाई के बीच आपसी तना तनी है। मां-बाप के अरमानों की दी जाती कुर्बानी है।। बच्चे नौजवान बूढ़ों से करते बदजुबानी है। अब कहां अनपढ़ गवार हर कोई ज्ञानी है।। सब जानते हैं चार दिन की जिंदगानी है। मदद करते सेल्फी लेते यह कैसा दानी है।। प्रचार तंत्र में अब कहां आंखों में पानी है। अंग प्रदर्शन बेहयाई की जिन्दा निशानी है।। ©Dr Wasim Raja #Hope क्या यही जिंदगानी है
Anuj Ray
यही बुराई है मुझ में" यही बुराई है मुझ में कि,ज़ुल्म सितम देख के औरत पर ,हम चुप नहीं रहते। कईयों की नज़र में, हम तीर से चुभते हैं , कईयों की नज़र में ,हम बद जुबान लगते। सब परेशान घर में और दुखी हैं हमसे, दहेज के लोभी, भाग रहे हैं तोड़ के रिश्ते। ©Anuj Ray # यही बुराई है मुझ में"
ranjit Kumar rathour
कितना मुश्किल होता है नए रिश्तों का बनना और आखिरी सांस तक निभाना सोचता हूँ तो सिहर जाता हूँ क्योंकि सवाल सोचता ही क्यों हूँ सोचना होता है आज मबहन की शादी है कल बेटी को भी विदाई होगी जब किसी को लाया था घर अपने तब शायद नही सोच पाया था आज लगता है जिगर का टुकड़ा अनजान के हाथों सौप रहा हूँ मगर सिर्फ फफक सकता हूँ रोक नही सकता क्योंकि यही परंपरा है यही है दस्तूर हा यही है दस्तूर ©ranjit Kumar rathour यही है दस्तूर