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Mohammad Arif (WordsOfArif)
झूठ का बोलबाला कितना भी बढ़ जाए सच एक दिन जरूर सबके सामने आ जाए अपनी गलत नीतियों से तुम कुछ भी कर लो मामला अगर बिगडा़ तो सबके सामने आ जाए ©Mohammad Arif (WordsOfArif) झूठ का बोलबाला कितना भी बढ़ जाए सच एक दिन जरूर सबके सामने आ जाए अपनी गलत नीतियों से तुम कुछ भी कर लो मामला अगर बिगडा़ तो सबके सामने आ जाए #
Sonu Mishra
मैं सत्ता के साथ नही, उसके समानांतर रहता चाहता हूं, विरोधी नही प्रश्नकर्ता मैं तो सवालात करूँगा, जहाँ मुझे लगेगा कि गलत हो रहा है तो मैं सवाल खड़े करूँगा. चाहे सरकार किसी की भी क्यों न हो, और हाँ मैं भाजपा की नीतियों
Manjeet Singh Thakral
Manjeet Singh Thakral
देश के संविधान द्वारा आम नागरिकों को दी गई शक्तियों में सरकार की गलत नीतियों का शांतिपूर्ण विरोध करना भी है और हम नागरिकों के अहिंसात्मक और
Agrawal Vinay Vinayak
सच्चाई जाने अफवाहों से दूर रहें पिछले कुछ दिनों से सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पे एक अजब टॉपिक छाया हुआ है , 5G टेस्टिंग को लेकर फेक न्यूज़ का बाजार गर्म है , लोग भी बिना सो
Ek villain
आर्थिक चुनौती का सामना शीर्षक से लेख अपने आलेख में संजय गुप्ता ने बिल्कुल ठीक लिखा है कि देश के पेट्रोलियम पदार्थ की मूल्य वृद्धि के लिए अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम तथा रूस यूक्रेन का युद्ध जिम्मेदार है किंतु भारत में विपक्ष केंद्र सरकार को कोसने में लगा हुआ है उल्लेखनीय है कि महंगाई विरोधी प्रदर्शन केयर करने वाले राहुल गांधी की कांग्रेस शासित राज्यों में पेट्रोल डीजल के दाम शासित राज्यों से कहीं अधिक है फिर भी मोदी सरकार पर लगा रहे हैं सभी चुनौतियों के होते हुए भी यह जनता के मन में यह प्रश्न उठता है कि अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के विपरीत होते हुए भी पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पेट्रोलियम पदार्थ के मूल्य नियंत्रण व्यवस्था को सुधारने के लिए आयात पर निर्भरता घटेगी और चीन से आयात की जाने वाली वस्तुओं को देखा जाए तो वस्तुएं आती है भारत में निर्मित वस्तुओं से सस्ती होती है सरकार को इस पर ध्यान देना होगा कि क्या कारण है कि चीन से आने वाली सस्ते पड़ते हैं जबकि भारत में निर्मित पर यह महंगे पड़ते हैं ©Ek villain #नीतियों में बदलाव जरूरी #VantinesDay
Ek villain
हमारे संविधान को लागू हुए आज 72 वर्ष हो गए हैं इन वर्ष में देश के अनेक उपलब्धियां हासिल की है वैश्विक स्तर पर अपनी धाक जमाई है सबसे बड़ी बात यह है कि सामान और व्यक्त मतदाता अधिकार के जरिए देश में लोकतंत्र का जो मेरा भरोसा है वह और लोकतांत्रिक इतिहास का वक्त मिक्स बन गया है निश्चित तौर पर तमाम मोर्चे पर हासिल देश की उपलब्धियों की सबसे मजबूत बुनियाद भारतीय संविधान और उनकी परंपरा है आज जिस संविधान की बनाई पटरी पर राष्ट्रीय रूपी दिल तेजी से आगे बढ़ रही है उनमें सर्व अनुमति सबसे बड़ी ताकत रही है इसका यह मतलब नहीं है कि संविधान रखे जाते हैं वक्त हर मुद्दे पर सिर्फ सहमति के ही सुन रहे सर्वजनिक उपलब्धियों और अनुच्छेदों पर चर्चा के दौरान कई बार या समितियां भी उभरी भारतीय संविधान को स्वीकृति मिली वक्त कई प्रावधानों को लेकर सवाल उठाया देश ने जो संघवाद स्वीकार किया है उसमें एक हद के बाद केंद्रीय व्यवस्था ज्यादा ताकतवर नहीं है सरदार पटेल ने देशी रियासतों और ब्रिटिश भारत के करण की जो सफल परीक्षण उसका मूल उद्देश्य राष्ट्र के तौर पर भारत की सत्ता को मजबूत बनाना था मजबूत भारत की सत्ता का सामान्य मतलब केंद्रीय व्यवस्था का ताकतवर हो ना ही होता है लेकिन आज स्थिति यह है कि कई मौकों पर राज्य भी अपने ढंग से मनमानी करते नजर आते हैं संविधान सभा की बहसों से गुजरते हुए कम से कम 3 सदस्य से देखते हैं जो मानते हैं कि मजदूर रास्ते के तौर पर भारत की अस्मिता के केंद्र सत्ता का ताकतवर होना जरूरी है ©Ek villain # ऐसी नीतियों को याद करने का समय #RepublicDay
virutha sahaj
युग त्रेता धर्म युग, न पावन बन पाता यदि कोई राम, रावण के विरुद्ध शस्त्र न उठाता द्वापर युग भी बुराई का, चक्रव्यूह बन जाता यदि कोई कृष्ण, कंस के विरुद्ध चक्र न घुमाता। कलयुग भी काल का नहीं,कलरव का युग कहलाता यदि प्रत्येक मनुष्य,राम -कृष्ण बन ,बुराई के विरुद्ध खड़ा हो पाता। ©virutha sahaj #गलत गलत होता है
virutha sahaj
अक्सर लोग अपनों को, गलत कहने से इतराते हैं उनके काले कृत्यों पर सफेद चादर डाल, स्वयं को शहंशाह पातें हैं, कर्म -फल शरीर नहीं समझता किन्तु "सत्य"आत्मा सदैव जानती है क्यूंकि गलत करने वाले, समय पड़ने पर ,अपनों पे भी तरस नहीं खाते हैं। ©virutha sahaj #गलत गलत होता है