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Ankur tiwari
White नैनों से नैन मिले ही थे आंखों ने ही था इजहार किया दिल ने दिल को समझा और दिल ने ही इकरार किया फिर प्रेम गीत के राग छिड़े इश्क़ के कोपल नए उगे हम अनायास ही उनके झील से नयनों के लहरों में डूबे बाते हुई और होती गई इश्क भी कुछ परवान चढ़ा मुझसे ज्यादा उनके मन में अंकुर प्रेम का पला बढ़ा फिर दोनो ही मिलने भी लगे कभी रस्ते चौक चौबारो में कभी छुप छुप मिल जाते हम गलियों और बाजारों में कुछ दिन बीते चिंता बढ़ी कि क्या होगा अब अंजाम प्रिये इस सोच में डूबे डूबे होने लगे सुबह और शाम प्रिये कुछ शर्ते उसने रखी थीं कुछ बातों पर वो राजी थे हम तो ठहरे सीधे सादे पंडित पर अब्बा उसके काज़ी थे फिर बात बात पर बहस हुई और बातो में तकरार हुआ फिर ताना तानी बढ़ने लगीं जीना भी जब दुश्वार हुआ तो उसने मुझसे कहा प्रिये घर छोड़ चलो संग भाग मेरे यह दुसह विरह सही जाय न अब हर लो सब संताप मेरे उसके संग जीवन जीना है मन में मैने भी ठान लिया दुनियां से भी लड़ भिड़ जाऊं वो राजी है जब जान लिया घर पर मैने यह बात कहीं पूछा क्या उचित है क्या हैं सही सबने हाथ कर लिए खड़े कोई संग मेरे था खड़ा नही.... ©Ankur tiwari #love_shayari कुछ शर्ते उसने रखी थीं कुछ बातों पर वो राजी थे हम तो ठहरे सीधे सादे पंडित पर अब्बा उसके काज़ी थे फिर बात बात पर बहस हुई और
mautila registan(Naveen Pandey)
White मेरे हृदय के अरोह अवरोह में तुम्हारा ही नाम है रक्त के संचार मे तेरा प्रेम अविराम है। रिक्त हैं वो हतकंपन जिसमे तेरा वास नहीं नहीं लेता मैं स्वास, गर तेरी आस नही पुरुषार्थ का अर्थ तेरे आलिंगन से है तुझ बिन सारा संसार मेरा आवास नहीं। ©mautila registan(Naveen Pandey) #प्रिये
Ankur tiwari
तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन की तुमसे ही घर की मर्यादा हैं तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको संग लेकर चलना हैं थोड़ा सा मैं ढल जाऊंगा थोड़ा तुमको भी ढलना हैं हर बात पर गुस्सा मत करना ना पहुंचाना तुम ठेस प्रिये अक्सर मत कंपेयर करना मेरा घर और परिवेश प्रियें मेरे घर को दोष तुम मत देना चाहें कोई भी कमी रहे थोड़ी बातों को भी सह लेना गर कोई रुड़ली बिहैब करे माना नाजों से पली हो तुम पर बिटिया थी उनकी बहु नही तो वैसा ही सब यहां रहे यह सोच तुम्हारी सही नही बिटिया एक घर की मर्यादा हैं पर बहु से घर मान बढ़े जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं जब पिता उसका कन्यादान करें तो उन बढ़ती जिम्मेदारियों का मान तुम्हें रखना होगा मायके और ससुराल का सम्मान तुम्हें रखना होगा मैं वादा करता हूं तुमसे तेरा दामन सारी खुशियां भर दूंगा गर दे दो जो तुम साथ मेरा हर मंजिल फतह मैं कर लूंगा एक बात हमारी तुम सुन लो सौ बात तुम्हारी सुन लूंगा तुम हिम्मत से बस धीर धरो हर सपना पूरा कर दूंगा मैं यकीं दिलाता हूं तुमको कभी बिगड़ेगा ये माहौल नही परिवार के संग जो पल गुजरते है उनका कोई मोल नहीं ©Ankur tiwari तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको
Ankur tiwari
तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको संग लेकर चलना हैं थोड़ा सा मैं ढल जाऊंगा थोड़ा तुमको भी ढलना हैं हर बात पर गुस्सा मत करना ना पहुंचाना तुम ठेस प्रिये अक्सर मत कंपेयर करना मेरा घर और परिवेश प्रियें मेरे घर को दोष तुम मत देना चाहें कोई भी कमी रहे थोड़ी बातों को भी सह लेना गर कोई रुड़ली बिहैब करे माना नाजों से पली हो तुम पर बिटिया थी उनकी बहु नही तो वैसा ही सब यहां रहे यह सोच तुम्हारी सही नही बिटिया एक घर की मर्यादा हैं पर बहु से घर मान बढ़े जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं जब पिता उसका कन्यादान करें तो उन बढ़ती जिम्मेदारियों का मान तुम्हें रखना होगा मायके और ससुराल का सम्मान तुम्हें रखना होगा मैं वादा करता हूं तुमसे तेरा दामन सारी खुशियां भर दूंगा गर दे दो जो तुम साथ मेरा हर मंजिल फतह मैं कर लूंगा एक बात हमारी तुम सुन लो सौ बात तुम्हारी सुन लूंगा तुम हिम्मत से बस धीर धरो हर सपना पूरा कर दूंगा मैं यकीं दिलाता हूं तुमको कभी बिगड़ेगा ये माहौल नही परिवार के संग जो पल गुजरते है उनका कोई मोल नहीं ©Ankur tiwari तुमको लाया हूं ब्याह कर मैं ना मोल में तुझे खरीदा हैं तुम हो लक्ष्मी मेरे आंगन तुमसे ही घर की मर्यादा हैं तो बात गांठ यह बांध लो तुम सबको
Sumit Kumar
मैं कैद सा पंछी हूँ तुम खुली हवा सी आजाद प्रिये, मैं जिम्मेदारीयों का मारा हूँ कैसे निभाऊं तेरा साथ प्रिये.. ©Sumit Kumar तेरा साथ प्रिये..