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Mohammad Ibraheem Sultan Mirza

झूझती रही टूटती रही बिखरती रही कुछ इस तरह से ज़िन्दगी गुज़रती रही

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झूझती रही, टूटती रही, बिखरती रही,

कुछ इस तरह से ज़िन्दगी गुज़रती रही,
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मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, झूझती रही
टूटती रही
बिखरती रही
कुछ इस तरह से ज़िन्दगी गुज़रती रही

Rakesh Khichi

हम थेलेसिमिया बीमारी से पीड़ित बच्चे है । हमारे हर 15 दिन में ब्लड चड़वाना पड़ता है ।। भविष्य में आपके बच्चो को इस बीमारी से ना झूझना पड़े #nojotophoto

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 हम थेलेसिमिया बीमारी से पीड़ित बच्चे है । 

हमारे हर 15 दिन में ब्लड चड़वाना पड़ता है ।।

भविष्य में आपके बच्चो को इस बीमारी से 

ना झूझना पड़े

Vikas Sharma Shivaaya'

'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं क्लीं क्लीं गण‍पति वर वरद सर्व लोकं में वशमानय स्वाहा।' यह मंत्र आकर्षण शक्ति में वृद्धि करता है,साक्षात्कार में सफलता #समाज

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'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं क्लीं क्लीं गण‍पति वर वरद सर्व लोकं में वशमानय स्वाहा।'
यह मंत्र आकर्षण शक्ति में वृद्धि करता है,साक्षात्कार में सफलता दिलाता है। समाज में प्रतिष्ठा देता है।

सब प्राचीन अच्छा और सब नया बुरा नहीं होता, बुद्धिमान पुरुष स्वयं परीक्षा द्वारा गुण-दोषों का विवेचन करते हैं। - कालिदास

जिंदगी हर पल हर लम्हा बदलती है -झूझती -टूटती -बिखरती-नई उम्मीद देती -हौसला देती -उतार चढ़ाव -धूप छाँव दिखाती जिंदगी ..  


🙏 सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं क्लीं क्लीं गण‍पति वर वरद सर्व लोकं में वशमानय स्वाहा।'
यह मंत्र आकर्षण शक्ति में वृद्धि करता है,साक्षात्कार में सफलता

Namit Raturi

इस गुलाब को बडी तहजीब से देख रहा हूँ, कभी दूर से देख रहा हूँ,कभी नजदीक से देख रहा हूँ, इसकी बनावट का,कभी ऊपर से तो कभी निचे से नक्स देख रहा #Beauty #Hindi #Rose #yqbaba #yqdidi #yqhindi

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"गुलाब" इस गुलाब को बडी तहजीब से देख रहा हूँ,
कभी दूर से देख रहा हूँ,कभी नजदीक से देख रहा हूँ,

इसकी बनावट का,कभी ऊपर से तो कभी निचे से नक्स देख रहा

✍️ लिकेश ठाकुर

इश्क़ की आग में,ख़ुद को जलाना पड़ा, अश्क भरें नयनों को,दर्द से झूझाना पड़ा। तू मेरी मैं तेरा इश्क़,सबको बताना ही पड़ा। खोके दिल का चैन,कुछ पल सुकू #शायरी

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इश्क़ की आग में,ख़ुद को जलाना पड़ा,
अश्क भरें नयनों को,दर्द से झूझाना पड़ा।
तू मेरी मैं तेरा इश्क़,सबको बताना ही पड़ा।
खोके दिल का चैन,कुछ पल सुकून भरा।
देती दुहाई तू मुझकों,ख़ुद मुझे कहना पड़ा।
तू वफ़ाओं की रंजिश,तीर खंजर सा लगा।
कह तू देती हँसते,क्यों वफ़ाई करना पड़ा।
आरजू वादों के लिए,तुझे लड़ना पड़ा।
साँझ तेरी महफ़िल में,मुझे आँसू बहाना पड़ा।
रूठी चाँदनी को जगा,मुझे मनाना पड़ा।
वादा सर्द में किये,बारिश तक निभाना पड़ा।
कितने सावन भादों,तुम बिन बिताना पड़ा।
बेहोशी में ख़ुद को,तेरे लिए जगाना पड़ा।
बेपरवाह मेरी तन्हाई को,समझाना पड़ा।
इश्क़ की ये इम्तेहां हैं,ख़ुद को गवाना पड़ा।
चार दिन की ज़िंदगी हैं,मुझे मनाना पड़ा।। इश्क़ की आग में,ख़ुद को जलाना पड़ा,
अश्क भरें नयनों को,दर्द से झूझाना पड़ा।
तू मेरी मैं तेरा इश्क़,सबको बताना ही पड़ा।
खोके दिल का चैन,कुछ पल सुकू

✍️ लिकेश ठाकुर

इश्क़ की आग में,ख़ुद को जलाना पड़ा, अश्क भरें नयनों को,दर्द से झूझाना पड़ा। तू मेरी मैं तेरा इश्क़,सबको बताना ही पड़ा। खोके दिल का चैन,कुछ पल सुकू #शायरी

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इश्क़ की आग में,ख़ुद को जलाना पड़ा,
अश्क भरें नयनों को,दर्द से झूझाना पड़ा।
तू मेरी मैं तेरा इश्क़,सबको बताना ही पड़ा।
खोके दिल का चैन,कुछ पल सुकून भरा।
देती दुहाई तू मुझकों,ख़ुद मुझे कहना पड़ा।
तू वफ़ाओं की रंजिश,तीर खंजर सा लगा।
कह तू देती हँसते,क्यों वफ़ाई करना पड़ा।
आरजू वादों के लिए,तुझे लड़ना पड़ा।
साँझ तेरी महफ़िल में,मुझे आँसू बहाना पड़ा।
रूठी चाँदनी को जगा,मुझे मनाना पड़ा।
वादा सर्द में किये,बारिश तक निभाना पड़ा।
कितने सावन भादों,तुम बिन बिताना पड़ा।
बेहोशी में ख़ुद को,तेरे लिए जगाना पड़ा।
बेपरवाह मेरी तन्हाई को,समझाना पड़ा।
इश्क़ की ये इम्तेहां हैं,ख़ुद को गवाना पड़ा।
चार दिन की ज़िंदगी हैं,मुझे मनाना पड़ा।।
 इश्क़ की आग में,ख़ुद को जलाना पड़ा,
अश्क भरें नयनों को,दर्द से झूझाना पड़ा।
तू मेरी मैं तेरा इश्क़,सबको बताना ही पड़ा।
खोके दिल का चैन,कुछ पल सुकू

Drg

प्रतिदिन सवेरे ६.३०-७.०० के आस पास, अलार्म से झूझकर, मैं अक्सर पलट कर बालकनी की ओर मुँह फेर कर, लेटी रहती हूँ। सर्दियों में तो कंबल के बाह #yqbaba #yqdidi #यादें #drg_diaries

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  नियमानुसार आज भी वो आया था; और जोड़ गया मेरा मन कई सवालों के साथ। कल्पना के सागर में गोते लगाते लगाते, सवालों के उत्तर ढूँढते ढूँढते, मैं अन्य सवालों के जंजाल में झूझ गई। अंततः यादों ने अपना पिटारा खोल दिया!

  हमारे जीवन में, कई यादें, बस उस कबूतर जैसी हैं। अनूठी नहीं, पर नियम सी हैं। प्रतिदिन दस्तक देती हैं।मन को विचलित कर, उड़ जाती हैं। कुछ जानती हैं, समझती हैं, कुछ इशारा करती हैं.. कोई एहसास नहीं जगाती, बस छोड़ जाती हैं कुछ अधूरी उलझाती पहेलियाँ..

(अनुशीर्षक में पढ़े)   प्रतिदिन सवेरे ६.३०-७.०० के आस पास, अलार्म से झूझकर, मैं अक्सर पलट कर बालकनी की ओर मुँह फेर कर, लेटी रहती हूँ। सर्दियों में तो कंबल के बाह

Drg

प्रतिदिन सवेरे ६.३०-७.०० के आस पास, अलार्म से झूझकर, मैं अक्सर पलट कर बालकनी की ओर मुँह फेर कर, लेटी रहती हूँ। सर्दियों में तो कंबल के बाह #yqbaba #yqdidi #यादें #drg_diaries

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  नियमानुसार आज भी वो आया था; और जोड़ गया मेरा मन कई सवालों के साथ। कल्पना के सागर में गोते लगाते लगाते, सवालों के उत्तर ढूँढते ढूँढते, मैं अन्य सवालों के जंजाल में झूझ गई। अंततः यादों ने अपना पिटारा खोल दिया!

  हमारे जीवन में, कई यादें, बस उस कबूतर जैसी हैं। अनूठी नहीं, पर नियम सी हैं। प्रतिदिन दस्तक देती हैं।मन को विचलित कर, उड़ जाती हैं। कुछ जानती हैं, समझती हैं, कुछ इशारा करती हैं.. कोई एहसास नहीं जगाती, बस छोड़ जाती हैं कुछ अधूरी उलझाती पहेलियाँ..

(अनुशीर्षक में पढ़े)   प्रतिदिन सवेरे ६.३०-७.०० के आस पास, अलार्म से झूझकर, मैं अक्सर पलट कर बालकनी की ओर मुँह फेर कर, लेटी रहती हूँ। सर्दियों में तो कंबल के बाह

Insprational Qoute

#lifewithpoetry_कहानी (अधिकतम 300 शब्दों में) -- कहानी यहाँ से लिखें--- 'भैया' एक दम्पति रेशमा और बदरी थे।उनके दो बच्चे थे।एक लड़की (चाँदनी) #YourQuoteAndMine #Lifewithpoetrylwp #LoveWithPoetryLWP #Lifewithpoetey_कहानी

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कैप्शन में पढ़े। #lifewithpoetry_कहानी (अधिकतम 300 शब्दों में)
-- कहानी यहाँ से लिखें---
'भैया'

एक दम्पति रेशमा और बदरी थे।उनके दो बच्चे थे।एक लड़की (चाँदनी)

Haqeeqat 💯

"खुद को ही भूल गया था मैं" हालातों से झूझते-झूझते , कहीं खो गया था मैं और खुदको ही भूल गया था मैं । जी रहा था इस उमंग के साथ-की कल सवेरा

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"खुद को ही भूल गया था मैं"

हालातों से झूझते-झूझते ,
कहीं खो गया था मैं 
और
खुदको ही भूल गया था मैं ।

जी रहा था इस उमंग के साथ-की कल सवेरा
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