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Vishal Dixit
Life is not about distance, it’s about direction. मसाला चाय पुस्तक से यह पंकित जो कि TIME के पृष्ठों से चुरा ली है मैनें जिस पुस्तक के लेखक हैं - Divyaprakash dubey ji✌️✌️ #yqbaba #time #yqd
एक इबादत
वृक्ष और पादप परिवार में मातम....😭😭 जन्म 09 जनवरी 1927 मरोडा, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखण्ड मृत्यु 21 मई 2021 (उम्र 94) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश, उत्तराखण्ड व्यवसाय
रजनीश "स्वच्छंद"
छद्मावरण।। उपवन में पुष्प बन मुदित हुआ, तने में दंश छुपाया था। बना शिखंडी छद्मावरण को, मन मे तंज छुपाया था। वाणी रही मधुर मेरी, पर, मुख में राम बगल में छुरी थी। हर बात मुखर मैं कहता गया, मन मे पलती पर दूरी थी। बन चंद्रमा चक्कर काटूँ, अंतर्मन में स्वार्थ की धूरी थी। चुरा रौशनी सूरज की, क्या क्षणिक चमक जरूरी थी। जीवन को कहता पानी था, कृत्यों में रंग छुपाया था। बना शिखंडी छद्मावरण को, मन मे तंज छुपाया था। घर का तानाबाना बुना, पर था परिवार कोई नहीं। कुशलक्षेम पूछा बस मुख से, पर था सरोकार कोई नहीं। सम्मान बसा है कृत्यों में, बिन दिए सत्कार कोई नहीं। एक हाथ न ताली बज पाती, बिन मिले झंकार कोई नहीं। एक हाथ उठा हवा में अपने, बाकी का अंग छुपाया था। बना शिखंडी छद्मावरण को, मन मे तंज छुपाया था। अहं रहा जीवन मे इतना कि, हर राह मैं अपनी गढ़ता हूँ। निपट अनाड़ी दुनिया सारी, बस मैं नयनों को पढ़ता हूं। पांव तले दबा अपनों को, सफल मैं सीढ़ी चढ़ता हूँ। जो मैं से हम मैं हो न सका, इस मृत्यलोक मे तरता हूँ। मुस्कान सजा होंठों पे अपने, मन का दम्भ छुपाया था। बना शिखंडी छद्मावरण को, मन मे तंज छुपाया था। कहो कहाँ बंजर में कभी, जलधारा कहाँ संचित होगी। मैंभाव प्रहार करे गहरा, मानवता रक्त से रंजित होगी। स्वार्थधिन जो बढ़े कदम, वो आंसू कंधों से वंचित होगी। जीवनधारा मलीन हुई जो, नदितीर छिछली पंकित होगी। पग पग जो बेड़ी जड़ी कदमों में, चलने का ढंग छुपाया था। बना शिखंडी छद्मावरण को, मन मे तंज छुपाया था। ©रजनीश "स्वछंद" छद्मावरण।। उपवन में पुष्प बन मुदित हुआ, तने में दंश छुपाया था। बना शिखंडी छद्मावरण को, मन मे तंज छुपाया था। वाणी रही मधुर मेरी, पर,