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विष्णु कांत
White ये चांद आसमां पर क्यों है, जमीं पर उतारो इसे.. मुझे पहरेदार लगाने हैं..!! ©विष्णु कांत #Chand
दिवाकर
Unsplash हुस्न फिर फ़ित्नागर है क्या कहिए दिल की जानिब नज़र है क्या कहिए फिर वही रहगुज़र है क्या कहिए ज़िंदगी राह पर है क्या कहिए हुस्न ख़ुद पर्दा-वर है क्या कहिए ये हमारी नज़र है क्या कहिए आह तो बे-असर थी बरसों से नग़्मा भी बे-असर है क्या कहिए हुस्न है अब न हुस्न के जल्वे अब नज़र ही नज़र है क्या कहिए आज भी है 'मजाज़' ख़ाक-नशीं और नज़र अर्श पर है क्या कहिए ©दिवाकर Kalam- Asraal-ul-haq Majaaz shayari sad attitude shayari attitude shayari
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read moreYogita Harne
Unsplash अपने हर दाग के साथ-साथ यह चांद हर हाल मे चमकता है कभी सूरज से कोई होड़ नही की जो मिला प्रकाश उसी मे निखरता है न मिला दिन का साम्राज्य वो रात से दोस्ती करता है.. वो चांद है पर मुझे अपनी तरह ही लगता है... ©Yogita Harne Chand
Chand
read morepuja udeshi
White चाँद तो एक ही होता हैं और होना भी चाहिए तो क्यो, मन का चाँद बदल जाता हैं और दिखावा......रह जाता हैं, जैसा बोओगे वैसा पाओगे, सच्चा प्यार.......... दोगे तो एक ही चाँद के पास जाओगे...... गहरी बात 🫡🤷🏻♀️💕🫶🏻 ©puja udeshi #karwachouth #Chand #pujaudeshi
#karwachouth #Chand #pujaudeshi
read moreRiyanka Alok Madeshiya
चाॅंद तू चकोर मैं तेरे चहुँ ओर चक्कर लगा के चित्त तेरा मैं चुराउॅंगी। मनभावन, मनमोहनी मूरतियाॅं को मतवारे इस मन में बसाऊॅंगी। प्रेम जो अगर पा लिया इस पागल मन में, तो देख-देख दर्पण में छवि अपनी ही इतराऊँगी। जग -जग रतियों को सोच कर तेरी बतियों को, मौन रहकर मंद मंद मुस्काऊॅंगी। करके श्रृंगार करुॅंगी तेरा इंतजार, तू आए या ना आए मैं तो जग कर पूरी रात गुजरूॅंगी। चाहे दुनियाँ अब बावली कहें मुझको, लेकिन अब मैं तुझको ना बिसराउॅंगी। माना मैं हूंँ गोरी ;तू सांवला सलोना है, प्रेम में तेरे रंग मैं भी रंग जाऊॅंगी। दूॅंगी बिसरा दुख -दर्द इस दुनियाँ के, बस तेरी हो के तुझमे समा जाऊंगी। ©Riyanka Alok Madeshiya #chand
MaxVaghela
उम्मीद ना छोड़ो यें शाम क़भी ख़ुशनुमा भी होगी, यें ज़ो डूब रहाँ हैं ईसी से कल रौशनी भी होगी... ©MaxVaghela #shayri
kuchpanktiyan
उस चांद और मुझमें एक बात समान थी, वो सितारों के बीच में अकेला और मैं अपना में। ©kuchpanktiyan #Chand #Nojoto #alone
SHIVA KANT(Shayar)
White ख़्वाहिशों के चाँद संग,जमीं पे ज़ुल्म सहते रह गए..! अँधेरे को मुसीबतों का,वो मसीहा कहते रह गए..! ©SHIVA KANT(Shayar) #chand