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Juhi Grover
मैं कभी अर्द्ध विराम या फिर कभी अल्प विराम ही बन पाई थी, तेरे आने के बाद पूर्ण विराम हो गई, और..... और..... ..... ..... तेरे जाने के बाद प्रश्न चिन्ह बन कर रह गई, अब न ही अर्द्ध विराम या फिर अल्प विराम ही बन सकती हूँ, और..... और..... ..... ..... पूर्ण विराम बन कर फिर से प्रश्न चिन्ह नहीं बनना है, प्रायः विस्मयादिबोधक चिन्ह बन कर उद्धरण चिन्ह में आने का भी शायद अवसर मिल ही जाए, मग़र..... ..... ..... निर्देशक चिन्ह बन कर किसी के संवाद का विषय बनना नहीं चाहती मैं। 13.09.2021 #विराम #अर्द्धविराम #अल्पविराम #पूर्णविराम #विस्मयादिबोधक #उद्धरण
Moin Khan
विस्मयादिबोधक सी आवाज में प्रश्नवाचक सी कही गई बात सिर्फ पल्ला झाड़ने जैसा प्रतीत होता है , जैसे हमने तो कहा था 🙀 ताकि आगे कोई बात न बने। ©Moin Khan विस्मयादिबोधक सी आवाज में प्रश्नवाचक सी कही गई बात सिर्फ पल्ला झाड़ने जैसा प्रतीत होता है , जैसे हमने तो कहा था 🙀 ताकि आगे कोई बात न बने।
Abhay Bhadouriya
मेरे लिए प्रेम कभी भी नहीं बन पाया वर्णमाला का कोई अक्षर या व्यंजन वो तो रहा जीवन भर मात्र एक विस्मयादिबोधक चिन्ह ! -अभय भदौरिया
Divyanshu Pathak
दाम्पत्य भाव जीवन का सबसे बड़ा क्लास रूम है। सबसे बड़ा परीक्षा केन्द्र है। ईश्वर कुछ भी देने से पूर्व पात्रता की परीक्षा लेता ही रहता है। घर बसाने और चलाने के लिए कैसे कैसे पापड़ नहीं बेलने पड़ते। पति-पत्नी दोनों प्रात: जल्दी उठकर काम में लग जाते हैं। गृहस्थ जीवन को शारीरिक दृष्टि से मौज-मस्ती और भौतिक सुखों की चकाचौंध भी कहा जा सकता है। व्यक्ति का कर्ताभाव परिवार को नरक बना देगा। इसी को आ
Bhaskar Anand
Divyanshu Pathak
जानता है तू क्यों आया है इस नर देह में काटने को कर्म-फल पिछले जन्मों के। जनम भी कितने चौरासी लाख! कैसे काटेगा ?.......☺ भ्रमण कर-करके भू-मण्डल पर जल और नभ में, और इस बीच सृजित करोगे नित नए कर्म भी भोगते रहने को भविष्य में भी। करती है सारे खेल माया महामाया प्रक
Divyanshu Pathak
🙏🌼🍫🍫☕☕☕🙏 #Good morning 😊🌼🌼🍫🍫☕ #कैप्शन में जो है कर के देखिए ☕☕☕☕🙏🙏☕☕🙏☕☕☕☕☕☕☕🍫🍫🍫🍫🍫 ☕😊🌼🍫☕🌼🍫☕ : आँखे बंद की काला काला दिखाई दिया कुछ देर बाद स्वेत झिलमिल होता दूध सा अब इसे स्थिर करना है दही सा और फिर प्रमथन कर मक्खन निकलना ह
Divyanshu Pathak
यह मुस्कान किसी चेहरे पर आसानी से नहीं आ सकती। इसके लिए मन बहुत पवित्र चाहिए। अहंकार मुक्त होना चाहिए। मन में कुछ दूसरों के लिए करने का भाव होना चाहिए। वापिस कुछ मांगे बिना, बिना अपेक्षा भाव के। आज इस मुस्कान का स्थान गंभीरता ने, अहंकार ने, अकेलेपन या व्यष्टि भाव ने ले लिया है। हर कोई गंभीर चिन्तक नजर आना चाहता है। हंसना-गाना तो बच्चों से भी छीना जा रहा है। मां-बाप स्वयं साक्षी बनते हैं। 😊💕#सुप्रभातम💕😊🌷 आप सभी को मकरसंक्रांति एवं लोहणी पर्व की शुभकामनाएं ईश्वर आपको मंगलकारी वातारण दे । आप उम्र भर हँसते रहें । कृष्ण की तरह ---