Find the Latest Status about लेखक पत्र from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, लेखक पत्र.
Divyanshu Pathak
अवचेतन मन जीवन को चलाता है। जो कुछ यहां स्मृति में संग्रहीत है, वही कार्यरत होता है। चेतना का जागरण बिना दृढ़ संकल्प के नहीं हो पाता। शिक्षा और तकनीकी विकास ने व्यक्ति के सामने इतने सारे विकल्प और चकाचौंध खड़ी कर दी है कि वह विकल्पों में खो गया। लक्ष्य से भटक गया। पेट भरने के अलावा जीवन में अन्य लक्ष्य ही नहीं रह गया। कर्ता बनकर अपने ही जाल में फंस गया। #preeti dadhich#deepali suyal# ragini jha गुलाब कोठारी लेखक पत्रिका समूह के प्रधान संपादक हैं
MANJEET SINGH THAKRAL
अमर शहीद सरदार भगतसिंह को एक क्रांतिकारी देशभक्त के रूप में ही जाना जाता है, किंतु वह केवल क्रांतिकारी देशभक्त ही नहीं अपितु एक अध्ययनशील, विचारक, कलम के धनी, दार्शनिक, चिंतक, लेखक, पत्रकार और महान मानव भी थे। सरदार भगत सिंह जी को उनकी जन्म जयंती पर शत शत नमन। #shaheedbhagatsingh अमर शहीद सरदार भगतसिंह को एक क्रांतिकारी देशभक्त के रूप में ही जाना जाता है, किंतु वह केवल क्रांतिकारी देशभक्त ही नहीं अपितु एक अध्ययनशील, व
Shayar Priyankur Shukla
स्वयं खड़ा है ऊपरवाला, स्वागत थाल लिए दरवाज़े पर। आसमां भी नम हुआ है, उस युग पुरुष के जनाज़े पर। "प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई जी""💐 "एक महान युग का अंत"🙏💐 #RIP💐 एक महान व्यक्तित्व , लेखक , पत्रकार एवं हमारे देश के प्र
JALAJ KUMAR RATHOUR
आज मैं जिनकी वजह से स्वतंत्र हो बोल पा रहा हूँ ।उसकी प्रमुख वजह मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे ब्रिटिश सम्राज्य के सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं व अंतिम संतान भिवा है। जिसने बचपन में क्लास चौथी टॉप करने के बाद अपने दादा से पुरुस्कार स्वरूप भगवान बुद्ध की जीवनी को प्राप्त किया और उसे पढकर उस समय फैली छुआछूत को मिटाने का संकल्प लिया।बचपं की शिक्षा पूर्ण कर भिवा ने मुंबई विश्वविद्यालय से बी ए और कोलंबिया से डॉ के उपाधि प्राप्त की और डॉ. भीम राव राम जी आंबेडकर बन कर भारत वापस लौटे। बचपन में बुद्ध की जीवनी थामने वाला भिवा बड़ा होकर संविधान निर्माता बाबा साहेब के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बाबा साहेब विधिवेत्ता,अर्थशास्त्री,राजनीतिज्ञ,शिक्षाविद्,दार्शनिक,लेखक,पत्रकार,समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्,धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर थे। भारत रत्न बाबा साहेब ने दलितों और शोषितों के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्यौछावर कर दिया ।14 अक्टूबर 1956 को भीमराव अंबेडकर ने अपने 5 लाख समर्थको के साथ में बुद्ध धर्म अपना लिया।इसके बाद उन्होंने बोधिसत्व की उपाधि ग्रहण की , इसी साल 6 दिसम्बर 1956 को भारत का यह रत्न पंचतत्व मे विलीन हो गया। अंबेडकर जी का उद्देश्य था भेदभाव मिटाना परंतु और उन्हे पता था की शिक्षा के बिना ये संभव नही। उन्होंने शिक्षा को हथियार बनाने के लियेे कहा पर कुछ फ़ायदा उठाने वालों ने अपने समाज से ही गद्दारी कर फिर से भोले लोगो को अशिक्षा की और ढकेल दिया। आज भी शिक्षा से दूर दलित समाज एक और भीम की आस में है जो शिक्षा के महत्व को समझाए और जो घृणा नही अपनाना सिखाये। मैं भारत का नागरिक अपने इस महान पूर्वज को नमन करता हूँ। जय हिंद जय भारत ..... #जलज राठौर #Ambedkar_Jayanti आज मैं जिनकी वजह से बोल पा रहा हूँ ।उसकी प्रमुख वजह मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे ब्रिटिश सम्राज्य के सू
JALAJ KUMAR RATHOUR
आज मैं जिनकी वजह से बोल पा रहा हूँ ।उसकी प्रमुख वजह मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे ब्रिटिश सम्राज्य के सूबेदार रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं व अंतिम संतान भिवा है। जिसने बचपन में क्लास चौथी टॉप करने के बाद अपने दादा से पुरुस्कार स्वरूप भगवान बुद्ध की जीवनी को प्राप्त किया और उसे पढकर उस समय फैली छुआछूत को मिटाने का संकल्प लिया।बचपंन की शिक्षा पूर्ण कर भिवा ने मुंबई विश्वविद्यालय से बी ए और कोलंबिया से डॉ के उपाधि प्राप्त की और डॉ. भीम राव राम जी आंबेडकर बन कर भारत वापस लौटे। बचपन में बुद्ध की जीवनी थामने वाला भिवा बड़ा होकर संविधान निर्माता बाबा साहेब के नाम से प्रसिद्ध हुआ। बाबा साहेब विधिवेत्ता,अर्थशास्त्री,राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्,दार्शनिक,लेखक,पत्रकार,समाजशास्त्री,मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्,धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर थे। भारत रत्न बाबा साहेब ने दलितों और शोषितों के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्यौछावर कर दिया ।14 अक्टूबर 1956 को भीमराव अंबेडकर जी ने अपने 5 लाख समर्थको के साथ में बुद्ध धर्म अपना लिया।इसके बाद उन्होंने बोधिसत्व की उपाधि ग्रहण की , अंबेडकर जी का उद्देश्य था भेदभाव मिटाना परंतु और उन्हे पता था की शिक्षा के बिना ये संभव नही। उन्होंने शिक्षा को हथियार बनाने के लियेे कहा पर कुछ फ़ायदा उठाने वालों ने अपने समाज से ही गद्दारी कर फिर से भोले लोगो को अशिक्षा की और ढकेल दिया। आज भी शिक्षा से दूर दलित समाज एक और भीम की आस में है जो शिक्षा के महत्व को समझाए और जो घृणा नही अपनाना सिखाये। मैं भारत का नागरिक अपने इस महान पूर्वज को नमन करता हूँ। 6 दिसम्बर 1956 को भारत का यह रत्न पंचतत्व मे विलीन हो गया। जय हिंद जय भारत ..... #जलज राठौर #Hum_bhartiya_hain आज मैं जिनकी वजह से बोल पा रहा हूँ ।उसकी प्रमुख वजह मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्मे ब्रिटिश सम्राज्य के सू
Mr.Poet
कलम हिंदी पत्रकारिता दिवस पर सभी पत्रकार साथियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं...! हिंदी पत्रकार दिवस के अवसर पर पढ़िए पत्रकार ने लिखी पत्रकारो की कहानी... 👇👇👇👇 #wod चौथा स्तम्भ धूप में छांव में हम बरसात में भी खड़े रहते हैं, कलमवाले हैं हम इसलिए चौथा स्तम्भ कहलाते हैं। भूख प्यास को भूलकर हम सबको दिन
Vikas Sharma Shivaaya'
एक प्रसिद्ध लेखक पत्रकार और राजनयिक जो बेहद ही हंसमुख स्वभाव और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी है। उनकी पत्रकारिता देश ही नहीं अपितु विदेश में भी प्रसिद्ध है। उन्होंने वैसे जगह पर भी पत्रकारिता की है जहां अन्य पत्रकारों के लिए संभव नहीं है।उनकी हसमुख प्रवृत्ति और हाजिर जवाब का कोई सानी नहीं है। एक समय की बात है वह एक सभा को संबोधित कर रहे थे , सभा में जनसैलाब उमड़ा था , लोग उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से आए हुए थे। जब वह अपना भाषण समाप्त कर बाहर निकले , तब उनकी ओर भीड़ ऑटोग्राफ के लिए बढ़ी। तभी एक नौजवान उस भीड़ से उनके सामने आया उस नौजवान ने उनसे कहा -” मैं आपका बहुत बड़ा श्रोता और प्रशंसक हूं , मैं साहित्य प्रेमी हूं , जिसके कारण मुझे आपकी लेखनी बेहद रुचिकर लगती है। इस कारण आप मेरे सबसे प्रिय लेखक भी हैं। मैंने आपकी सभी पुस्तकें पढ़ी है और आपके व्यक्तित्व को अपने जीवन में उतारना चाहता हूं। किंतु मैं ऐसा क्या करूं जिससे मैं एक अलग पहचान बना सकूं। आपकी तरह ख्याति पा सकूं।” ऐसा कहते हुए उस नौजवान ने अपनी पुस्तिका ऑटोग्राफ के लिए उनकी ओर बढ़ाई। उन्होंने उस समय कुछ नहीं कहा और उसकी पुस्तिका में कुछ शब्द लिखें और ऑटोग्राफ देकर उस नौजवान को पुस्तिका वापस कर दी। इस पुस्तिका में यह लिखा हुआ था – ” आप अपना समय स्वयं को पहचान दिलाने के लिए लगाएं , किसी दूसरे के ऑटोग्राफ से आपकी पहचान नहीं बनेगी। जो समय आप दूसरे लोगों को लिए देते हैं वह समय आप स्वयं के लिए दें। “ नौजवान इस जवाब को पढ़कर बेहद प्रसन्न हुआ और उसने उन्हें धन्यवाद कहा कि – “मैं आपका यह वचन जीवन भर याद रखूंगा और अपनी एक अलग पहचान बना कर दिखाऊंगा। “ उन्होंने उस नौजवान को धन्यवाद दिया और सफलता के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं भी दी। Moral of the story:- Create your own unique personality and identity instead of following others. The one who follows will always have to remain under the shadow of the topper. The biggest thing in life is respect and uniqueness you have for which people remember you. So stop following. Start creating followers. विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 670 से 681 नाम :- 670 ब्राह्मणप्रियः जो ब्राह्मणों को प्रिय हैं 671 महाक्रमः जिनका डग महान है 672 महाकर्मा जगत की उत्पत्ति जैसे जिनके कर्म महान हैं 673 महातेजा जिनका तेज महान है 674 महोरगः जो महान उरग (वासुकि सर्परूप) है 675 महाक्रतुः जो महान क्रतु (यज्ञ) है 676 महायज्वा महान हैं और लोक संग्रह के लिए यज्ञानुष्ठान करने से यज्वा भी हैं 677 महायज्ञः महान हैं और यज्ञ हैं 678 महाहविः महान हैं और हवि हैं 679 स्तव्यः जिनकी सब स्तुति करते हैं लेकिन स्वयं किसीकी स्तुति नहीं करते 680 स्तवप्रियः जिनकी सभी स्तुति करते हैं 681 स्तोत्रम् वह गुण कीर्तन हैं जिससे उन्ही की स्तुति की जाती है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' एक प्रसिद्ध लेखक पत्रकार और राजनयिक जो बेहद ही हंसमुख स्वभाव और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी है। उनकी पत्रकारिता देश ही नहीं अपितु विदेश में भी
Divyanshu Pathak
दुनिया बदल रही है ये बदलाब हर क्षेत्र में ,हर एक हिस्से में हो रहे है।आर्थिक,राजनैतिक,सामाजिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों में शक्तियों का बंटवारा नए सिरे से हो रहा है। पिछले पांच सौ बर्षों के दौरान शक्ति के तीन भौगौलिक स्थानांतरण हुये हैं । ताकत बंटवारे के क्षेत्र में बुनियादी बदलाव अंतरराष्ट्रीय जीवन की शक्ल फिर से तय कर रहे थे। कैप्शन पढ़कर देखिए 💕🙏#सुप्रभातम💕🙏 : राजनीति अर्थशास्त्र और संस्कृति में पहला स्थानांतरण पश्चिमी जगत में उदय हुआ । यह प्रक्रिया 15 वी शताब्दी में प्रारंभ हुई और
Srk writes
एक दिन अपना पत्र मुझ पे नाज़िल हो गया,, 🤎 उस को पढ़ते ही मिरी सारी ख़ताएँ मर गईं ©Srk writes #पत्र,, प्रेम पत्र