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Stories related to arjun rampal and mehr

Vivek Singh

#Allu Arjun ki giraftari per bharke Ravi kishan

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NAVRANG

pushpa 2 roll Allu Arjun

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Aavran

दिखता शून्य, समर में भरा हुआ
अवचेतन है मन, कुछ डरा हुआ
किससे युद्ध करूं मै पार्थ
तुम सुलझाओ, मन का स्वार्थ।
रणभेरी जो हमने आज उकेरी
कल अपने ही मिटते होंगे
बहेंगे अश्रु और होगी लाशों की ढेरी। 
धनुष धर्म की ओर उठा है
है नजर तो, फिर भी अपनों ने ही फेरी। 
लहू बहेगा, श्वेत वस्त्र का होगा मातम
क्रंदन मय होगी हर रात घनेरी। 
मुक्त करो, है अर्ज दास की
पाप प्रलय सा हर पन्नों मे होगा 
सर्वस्व नाश में होगी न देरी।

Contd.......

©Aavran Krishna and Arjun Samvad  #Krishna    Hinduism #आवरण #जिंदगी #इनदिनों #मोहब्बत #Love #life #lifeisbeautiful

nazish hameed

Pushpa 2 allu Arjun

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Sudrshàn Gupta

#sad_quotes Jagadguru tatvdarshi sant Rampal Ji Bhagwan ki Jay

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White यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।। 
भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे। उसकी पिटाई की जाएगी। शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि की जानकारी के लिए विजिट करें संत रामपाल जी महाराज यूट्यून चैन

©Sudrshàn Gupta #sad_quotes Jagadguru tatvdarshi sant Rampal Ji Bhagwan ki Jay

Sudrshàn Gupta

#sad_quotes furniture satguru Rampal Ji Bhagwan ki Jay

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White यह दम टूटै पिण्डा फूटै, हो लेखा दरगाह मांही।
उस दरगाह में मार पड़ैगी, जम पकड़ेंगे बांही।। 

भक्ति न करने वाले या शास्त्रविरुद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाएंगे। उसकी पिटाई की जाएगी। 

शास्त्र अनुकूल भक्ति विधि की जानकारी के लिए विजिट करें संत रामपाल जी महाराज यूट्यून चैनल

©Sudrshàn Gupta #sad_quotes furniture satguru Rampal Ji Bhagwan ki Jay

Avinash Jha

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha #संशय
#Mythology  #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun

Sudrshàn Gupta

jagatguru tatvdarshi sant Rampal Ji Bhagwan ki Jay

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Annu Dilwale

Shanthi Shanthi

arjun in mysore

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