Nojoto: Largest Storytelling Platform

New कर्तव्यनिष्ठा पर कहानी Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about कर्तव्यनिष्ठा पर कहानी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कर्तव्यनिष्ठा पर कहानी.

    PopularLatestVideo

परमार सोमेश..!

कर्तव्यनिष्ठा!

read more
"गन्त्व्य को निकल् चुका राहगीर हु मे ,
बापस ना लौट पाउगा,
समय जरुर लगेगा ,
मगर मजिल जरुर पाउगा।"
                   -----बर्बाद बाशिन्दा

©barbad bashinda somesh कर्तव्यनिष्ठा!

vk motivation

mute video

XYZ INDORI

#शिक्षा पर कहानी भेदभाव की कहानी

read more
इंदौर में सोहन नाम का एक व्यक्ति रहता था जिसके दो बच्चे थे जिनका नाम करण और आकाश था करण बहुत ही शरारती बच्चा था और आकाश पढ़ाई में बहुत ही ध्यान लगाता था एक समय की बात थी करण पढ़ाई नहीं करता था तो उसके पापा बहुत उसे मारते थे पीटते थे जभी भी वह पढ़ाई नहीं करता था उसके पापा ने उसे हॉस्टल में डाल दिया। आकाश पढ़ाई में मन तो लगाता था पर बहुत ही कम उसके पापा उसकी सारी बातें सुनते थे उसे बहुत ही आगे बढ़ाने के लिए उसके पापा अपने सपने संजोए रखते थे पर वहां कम उम्र में ही शराब सिगरेट और अनेक प्रकार की नशे के नशे का आदी हो गया जब उसके पापा को पता चला तो उन्होंने कुछ नहीं कहा क्योंकि उसके पापा को आकाश पर बहुत भरोसा था परंतु आकाश 12वीं पास हो गया उसके बाद कॉलेज गया और वहां पर भी शराब का सेवन करता था उसे कॉलेज से भी निकाल दिया था परंतु उसके पापा को बहुत ही विश्वास था कि मेरा बच्चा यह नहीं कर सकता और आकाश अब छुप छुप कर नशे का सेवन करता था अब वह अपनी कॉलेज पास कर ली और उसे नौकरी कोई नहीं दे रहा था क्योंकि उसके चरित्र अच्छा ना होने के कारण और शराब का आदि होने के कारण और शराब की बदबू आने लगती थी इसलिए उसे नौकरी नहीं मिली और उसके पापा ने उसे मजदूरी करने लगा दिया आकाश का भाई हॉस्टल में बहुत ही शरारती के कारण वहां खेलकूद मैं बहुत ही आगे था और हमेशा अनेक इनाम ट्रॉफी जीत कल आता था और एक दिन वह मध्य प्रदेश राज्य मैं उसे क्रिकेट मैच के लिए बुलाया और वह प्रथम आया और उसकी टीम जीत गई उसे सरकार द्वारा 50,000 का इनाम दीया और उसे इंडियन लेवल पर आगे जाने के लिए प्रोत्साहित किया एक समय मैं करण इंडियन लेवल पर और अंतरराष्ट्रीय लेवल पर उसने बहुत ही सारी ट्रॉफी जीती और भारत के भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया उसके पापा कम उम्र में ही उससे रिश्ते नाते तोड़ दिए थे एक दिन जब वहां अपने घर आया तो पापा ने उसे नहीं पहचाना उसने बोला कि आप कौन हो बच्चे की आंखों में आंसू भर आए रोते हुए बोला पापा आपने मुझे नहीं पहचाना मैं करण हूं आपका वही शरारती बच्चा आज मैं इंदौरी क्रिकेटर के नाम से पूरे अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में मेरी प्रसिद्धि है । और उसके पापा रोते हुए बोले बेटा मुझे माफ कर दो मेरे से गलती हो गई मुझे दोनों पर बराबर ध्यान देना था आज तूने मेरा नाम गर्व से ऊंचा कर दिया।






दोस्त आपको यह कहानी कैसी लगी और इस से क्या शिक्षा मिली है आप अपने कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं मैं आपके लिए ऐसी अनेक सारी कहानियां लाता रहूंगा।

©Ranvijay indori #शिक्षा पर कहानी भेदभाव की कहानी

XYZ INDORI

#कहानी पर सुविचार

read more
कहानियों के साथ साथ रिश्ते बदलते हैं।

©Ranvijay indori #कहानी पर सुविचार

balwant

चिडियो पर कहानी ॥।॥ #जानकारी

read more
चिडिया आसमान मे कितना भी ऊपर चली जाये लेकिन वह निचे ही रहता है क्यो कि वो ऊपर उड कर तो चला जाता है मगर उसका जिवन निचे पेडो पर ही है ॥।

©balwant चिडियो पर कहानी ॥।॥

Nitin Davey

सबकी जुबां पर मेरी कहानी #nojotovideo

read more
mute video

Anju

कहानी शहीद दिवस पर #holdinghands #प्रेरक

read more
शहीद वीरो की दास्तान मेरी जुबानी।
 वो इस देश पर मर मिटने वाले  वीर योद्धा है। 
ना उन्हें आज का होश है और ना कल का। 
ना अपनो का ना ही अपने आप के आते कहर का ।
उनकी दिलदुबा हैं तो वो भारत माता हैं। 
अपने दिल में एक सम्मान और सच्चा प्यार लिए खुद को निशा कर देने का हौसला हैं उनमे वो सबको तबाही और गदारो से बचाने के लिए खुद को न्योछावर करने की अनूठी क्षमता रखते हैं। भारत के लिए खुद हमेशा शहीद होने को तैयार हैं। 
ये धरती उनके लिए माता हैं। 
वो अपनी माँ को आँच तक नहीं आने देते है। 
जब -जब गदारो ने इस धरती पर आँख उठा कर भी देखा है। 
वीरो ने उनको उनकी भाषा में ही समझाया है। 
देश के लिए खुद शहीद हो गए। 
पर अपनी इस धरती माँ पर आँच नहीं आने दी है। 
शहीद हुए हैं पर ज्जबा़ आज भी उनका वही है। 
उन देश के वीरो को याद करो जो देश के लिए खुद को न्योछावर कर चुके हैं। और हजार योद्धा आजाद वतन के लिए अपनी जान देने को तैयार हैं। 
अपने परिवार और बच्चों से दूर रह कर इस देश की शान बढ़ा रहे है। नही है इनके दिल में किसी के लिए देश भावना। 
बस ये इश्क़ कर बैठे हैं अपनी धरती माँ से। 
ये वतन पे कुर्बान होने वाले वीर योद्धा है।
 शहीद होने को तत्पर है हमेशा।
 अहंकार ,इशा नही इनके दिल में ये खुद ही धरती बलिदानो के लिए सौप चुके हैं। 
इन वीरो के ख़ातिर ही आज देश के लोग निचिन्त होके सोता है और ये भारत को बचाने को अपनी नींद उडा चुके हैं। 
ये वो वीर है जो शहीद तो हो जाएगे। 
पर डर कर हर हाल मे नहीं पीठ नही दिखाते है। 
ये भारत के वीर है इनको मेरा दिल से आभार है।

©Anju कहानी शहीद दिवस पर 

#holdinghands

Navin

विधवा पुनर्विवाह पर एक कहानी। #freebird #story

read more
शीर्षक - एक शिक्षित नारी। ( विधवा )।। कहानी।।

एक गांव में मध्यम वर्गीय परिवार रहता था। उसमें कुल पांच सदस्य थे। माता पिता ओर तीन बच्चे थे। जिनमें दो लडकियां ओर एक लड़का था। लड़का MBA कर रहा था। और लडकिया भी ग्रेजुएट कि हुई थी।
              बच्चे जवान हो गये थे। बड़ी लडकी के लिए रिश्ते आने चालु हो गये थे। कुछ रिश्तो को टालने के बाद लड़की को एक लड़का पसंद आया। लड़के का परिवार भी मध्यम वर्गी ही था। ज्यादा धन दौलत कि लालच न थी इसलिए दहेज की भी मांग न थी। लडकी का ससुर समाज का मुखिया था। उन्हे बस अपने घर के लिए एक बहु चाहिए थी। सबको यह रिश्ता बहुत पसंद आया। 
             कुछ दिनों बाद लड़की कि शादी हो गई। लड़का लडकी दोनों अपनी शादीशुदा जिन्दगी से बहुत खुश थे। लडके के पिता का समाज मे मान सम्मान था। गाँव के हर फेसले में सही-गलत का सुझाव वही देते थे। साथ ही अनुभवी भी थे। परन्तु एक और वह कुप प्रथाओ के रक्षक भी थे। उनका मानना था, कि विद्यवा होना एक श्राप है। और विद्यवा औरत को घर की चार दिवारी में बंद ही रहना चाहिए। पराये मर्द के सामने देखना भी गलत है। वे नारी जात को बच्चे पैदा करने कि मशिन समझते थे। समाज में हर बार पुरूषो को ही प्रोत्साहीत क
रते रहते थे। औरतो को सिर्फ घर के काम काज करना ही उचित समझते थे।
               कुछ सालों बाद मुखिया के बेटे कि कार एक्सिड़ेन्ट में मौत हो गई। उसकी बहु कम उम्र में ही विद्यवा हो गई थी। उसकी कोई संतान नही थी। वह पढ़ी लिखी होने के कारण अपने पति के काम काज को धिरे धिरे करने लगी थी।
वह श्वेत वस्त्रो में भी शहर आना जाना करती रहती थी।
                  कुछ दिनों बाद समाज में यह मुद्दा उठा कि मुखिया जी के घर की बहु विद्यवा होते हुए भी बाहर घूमती है। उसमें संस्कार नाम कि चिज नही है । मुखिया जी ने अपनी बहु को गाँव के रिती रिवाजों के साथ चलने को पाबन्द करते रहे। परन्तु बहु शिक्षित युवा थी। वह अपने पति के काम को खुद चलाती रही। उसने समाज के आडम्बर धारी समस्त लोगों को यह संदेश दिया कि विद्यवा
होना कोई श्राप नही अपितु यह तो नारी का दुसरा स्वरूप है। आप जिस स्त्री को चार दिवारी मे कैद करना चाहते हो। वह समाज का गौरव है, और जो समाज नारी को विद्यवा कहकर तिरस्कृत करता है। उसका कभी उत्थान हो ही नहीं सकता।
          विद्यवा बहु कि इस सोच ने समाज की ओर भी विघवा औरतो का हौसला बढ़ाया। वह सब ने मिलकर समाज कि कु-प्रथाओं को बन्द करने का बेडा उठाया
ओर संगठीत नारी, सशक्त नारी का पैगाम दिया।

विशेष- औरतो को अपने हक खातिर समाज मे आवाज उठानी चाहिए।

नाम- नटवर चरपोटा। जिला - बॉसवाड़ा । राज़ ।।

©Navin विधवा पुनर्विवाह पर एक कहानी।
#freebird

R Choudhary

प्यार पर लिखी एक कहानी #True_line #Nojotovoice

read more
mute video
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile