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Devesh Dixit
एक सा कफ़न देखा शमशान घाट पर जाकर मैंने, मुर्दों का ऐसा हाल देखा। अमीर - गरीब दोनों पर मैंने, पड़ा एक सा कफ़न देखा। वही विधि थी वही क्रिया थी, ऐसा मैंने अनुशासन देखा। भेद-भाव की जगह नहीं थी, ईश का ऐसा विधान देखा। पाँच तत्वों में विभक्त हो गये, उस काया को मिटते देखा। जो वे अपने तब कर्म बो गये, उन कर्मों पर भी रोते देखा। इस कलयुगी जीवन में यहाँ, लोगों को है बिखरते देखा। ऐसी नहीं कोई जगह जहाँ, उसको है मुस्कराते देखा। मौत के दर्शन तब पाकर उसका, जीवन से नाता टूटते देखा। क्या मतलब है अमीर गरीब का, अगर एक सा कफ़न देखा। ............................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #एक_सा_कफ़न_देखा #nojotohindi #nojotohindipoetry एक सा कफ़न देखा शमशान घाट पर जाकर मैंने, मुर्दों का ऐसा हाल देखा। अमीर - गरीब दोनों पर मैं
#एक_सा_कफ़न_देखा #nojotohindi #nojotohindipoetry एक सा कफ़न देखा शमशान घाट पर जाकर मैंने, मुर्दों का ऐसा हाल देखा। अमीर - गरीब दोनों पर मैं #Poetry #sandiprohila
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कहूँ कृष्ण हैं मीत ।। करते बातें लोग है , आज सुदामा देख । आये दर पे श्याम के , बदलेंगे वो रेख ।। शयन कक्ष बैठा दिया, मित्र सुदामा देख । नयन नयन पढ़ने लगे , देखो विधि की रेख ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कह
दोहा :- देख सुदामा की दशा , नगर लोग बेहाल । झर-झर झरते नीर से , पग धुलते गोपाल ।। देख सुदामा यह भवन , हुए बहुत भयभीत । कैसे पहरेदार से , कह #कविता
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वरप्रणिधान इत्यादि, श्रुति-स्मृति प्रतिपादित विधि वाक्य धर्म हैं। धर्म का त्याग करके अनीति करने वाला अन्त में नष्ट हो ही जाता है। कंस, रावणादि अनीति के कारण अन्त में नष्ट हो गये। ©N S Yadav GoldMine #life_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वरप्रणिधान इत्यादि, श्रुत
#life_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वरप्रणिधान इत्यादि, श्रुत #मोटिवेशनल
read moreRaj kumar kumar
National Cancer Institute is an American governmental health agency. NCI is the oldest and has the largest budget and research program of the 27 institutes and centers of the NIH ($6.9 billion in 2020). राष्ट्रीय कैंसर संस्थान एक अमेरिकी सरकारी स्वास्थ्य एजेंसी है। NCI सबसे पुराना है और NIH के 27 संस्थानों और केंद्रों में सबसे बड़ा बजट और अनुसंधान कार्यक्रम है (2020 में $6.9 बिलियन)। ©Raj kumar kumar National Cancer Institute is an American governmental health agency. NCI is the oldest and has the largest budget and research program of
National Cancer Institute is an American governmental health agency. NCI is the oldest and has the largest budget and research program of #Videos
read moreRanjit Kumar
healthdoj
@healthdoj ©healthdoj मल त्याग करने की विधि जाने...? . . . #health#trending #trendingreels #viral #health #foryou
Internet Jockey
चमत्कार तभी होते हैं जब आस्था होती है वरना तो सब विधि का विधान है ©Internet Jockey चमत्कार तभी होते हैं जब आस्था होती है वरना तो सब विधि का विधान है
चमत्कार तभी होते हैं जब आस्था होती है वरना तो सब विधि का विधान है #Quotes
read moreMahadev Son
ॐ नमो महाकाली रूपम, शक्ति तु ज्योति स्वरूपम शुम्भ निशुम्भ को मारा, रक्तबीज को संहारा दुष्टों को संहारने वाली, भक्तों के दुःख हरने वाली, सन्त गुणी जन सब पूजते, पूजा की तिथि विधि ना जानू, मंत्र तंत्र को मैं ना जानू, मैया बस पढ़ुं चालीसा जीवन में माँ करना उजाला, बीच भंवर में फंसी है नैया, आकर लाज बचाना, सद्-बुद्धि का दान ही देना, ॐ नमो माँ काली शक्ति स्वरूपम मैया प्यारी, दया करो महाकाली ©Mahadev Son ॐ नमो महाकाली रूपम, शक्ति तु ज्योति स्वरूपम शुम्भ निशुम्भ को मारा, रक्तबीज को संहारा दुष्टों को संहारने वाली, भक्तों के दुःख हरने वाली, सन्
ॐ नमो महाकाली रूपम, शक्ति तु ज्योति स्वरूपम शुम्भ निशुम्भ को मारा, रक्तबीज को संहारा दुष्टों को संहारने वाली, भक्तों के दुःख हरने वाली, सन् #Bhakti
read moreN S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी यग्न का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया है। इस यग्न को सनातन समाज में देवी माहात्म्यं भी कहा जाता है। सामूहिक लोगों की अलग-अलग इच्छा शक्तियों को इस यज्ञ के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यग्न बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है। 📜 मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है। सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है। यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है। इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Beautiful Moon Night दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अब , कष्ट हमारे देख ।।२ जीवन से मैं हार कर , होता नही निराश । करता रहता कर्म हूँ , होगा क्यों न प्रकाश ।।३ इस दुनिया में मातु पर , रखना नित विश्वास । वे ही अपने लाल के , रहती हैं निज पास ।।४ कहकर उसको क्यों बुरा , बुरे बने हम आज । ये तो विधि का लेख है , करता वह जो काज ।।५ कभी किसी के कष्ट को , देख हँसे मत आप । वह भी माँ का लाल है , हँसकर मत लो श्राप ।।६ मदद नही जब कर सको , रहना उनसे दूर । कल उनके जैसे कहीं , आप न हों मजबूर ।।७ करने उसकी ही मदद , भेजे हैं रघुवीर । ज्यादा मत कुछ कर सको ,बँधा उसे फिर धीर ।।८ जग में सबकी मातु है, जीव-जन्तु इंसान । कर ले उनकी वंदना , मिल जाये भगवान ।।९ माँ की सेवा से कभी , मुख मत लेना मोड़ । उनकी सेवा से जुड़े , हैं जीवन के जोड़ ।।१० ११/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अ
दोहा :- माता तेरे नाम का , रखता हूँ उपवास । सुत मेरा भी हो सही , बस इतनी है आस ।।१ बदलो मेरे भाग्य की , माता जी अब रेख । हँसते हैं सब लोग अ #शायरी
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