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theABHAYSINGH_BIPIN
White बार-बार कोशिशें की मैंने, हर बार चोट मैं खाता हूँ। फिर भी हिम्मत है इतनी, जीत की कसम मैं खाता हूँ। लक्ष्य नए नहीं, ये संकल्प है, मेहनत से मैं ना घबराता हूँ। हुंकार भरूंगा फिर से मैं, संकल्प का फल मैं पाता हूँ। वचन ही मेरा शस्त्र बना, हर कदम पर धार लगाता हूँ। हिम्मत मेरी कभी ना टूटे, महादेव का ध्यान लगाता हूँ। पक्की करती जीत मेरी, जब ईश्वर का गुण गाता हूँ। लक्ष्य से परे नहीं अस्तित्व मेरा, संघर्षों का मैं आदि हूँ। थकूंगा नहीं बिना जीत के, विजयी विश्व का वासी हूँ। ©theABHAYSINGH_BIPIN #बार-बार कोशिशें की मैंने, हर बार चोट मैं खाता हूँ। फिर भी हिम्मत है इतनी, जीत की कसम मैं खाता हूँ। लक्ष्य नए नहीं, ये संकल्प है, मेहनत से
#बार-बार कोशिशें की मैंने, हर बार चोट मैं खाता हूँ। फिर भी हिम्मत है इतनी, जीत की कसम मैं खाता हूँ। लक्ष्य नए नहीं, ये संकल्प है, मेहनत से
read moreSumitGaurav2005
बहुत ही साधारण दिखता हूँ मैं। बड़ी ही सरल भाषा में लिखता हूँ मैं। मुझे देख कर धोखा मत खाना दोस्तों, तलवार नहीं कलम से प्रहार करता हूँ मैं। ✍
read morearun mourya1c
मुझे वहाँ से पढ़िए जहां से मैं खामोश हूँ yeh rona ore hasana mera to purana huner hai ©arun mourya1c मुझे वहाँ से पढ़िए जहां से मैं खामोश हूँ yeh rona ore hasana mera to purana huner hai✍️✍️✍️✍️🔥
मुझे वहाँ से पढ़िए जहां से मैं खामोश हूँ yeh rona ore hasana mera to purana huner hai✍️✍️✍️✍️🔥
read moreManisha Keshav https://www.audible.in/pd/Jab-Tera-Zikr-Hota-Hai-When-You-Are-Mentioned-Audiobook/B0D94RCK97
White https://www.amazon.in/dp/9363303624/ref=sr_1_1?crid=1BG7ESUNE99LA&dib=eyJ2IjoiMSJ9.u_X-ACLRxc3Bp_N1TlG0rQ.6Qiwd2Wla8gtRO9hqyOuf_aJyG0p-vE3cHJ7OViYmlY&dib_tag=se&keywords=9789363303621&qid=1730815253&sprefix=9789363306233%2Caps%2C378&sr=8-1 ©Manisha Keshav https://www.audible.in/pd/Jab-Tera-Zikr-Hota-Hai-When-You-Are-Mentioned-Audiobook/B0D94RCK97 #समझ सको तो अर्थ हूँ #कविता #Love
नवनीत ठाकुर
कमियां मेरी, मेरी पहचान बन गई, हर ठोकर से मेरी राह जान बन गई। हर मोड़ पर मिला एक नया इम्तिहान, उन्हीं सबकों से मेरी उड़ान बन गई।। अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान, भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान। जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ, अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।। ©नवनीत ठाकुर अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान, भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान। जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ, अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।
अलग हूँ मैं, यही है मेरी पहचान, भीड़ से जुदा, मेरी अपनी दास्तान। जीवन का मंच है, मैं कलाकार यहाँ, अपनी तकदीर का हूँ मैं खुद निगहबान।
read moreकवि प्रभात
मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब तक प्रियतम | जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम || ©कवि प्रभात हिंदी कविता कविता कोश कविता
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