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Ajay Bishwas
पिता! पुश्तैनी रवायत दे दी मुझे विरासत में यही रवायत अब शामिल है अपनी आदत में सर्द सोच में भी गर्म लहू ही दौड़ता है मुलायमियत के साथ अंगार शुमार है चाहत में # पिता! पुश्तैनी रवायत दे दी मुझे विरासत में
Brijendra Dubey 'Bawra,
कलम साहिबे वक़्त के हुक्मरानों हिदायतें हद में जारी करो! सल्तनत पुश्तैनी जागीर नहीं है आज हमारी छिनी है तो कल तुम्हारी भी जायेगी!!!! ©बृजेन्द्र 'बावरा' www.facebook.com/bawraspotry/ #सल्तनत #पुश्तैनी #जागीर #नहीं #है #bawraspotry #Saltnat #ShairyNojoto #NojotoUrduSher-o-shairy #NojotoUrduKalaam Satyaprem Internet Jocke
Rachit Gupta
इश्क करके बेदाग रहने का रास्ता नहीं कोई बहुत आसां तेरा कहना मुझे वास्ता नहीं कोई है बेबस का बनाता मजाक बड़ा बेअदब है वो पुश्तैनी जायदाद पे भी इतना इतराता नहीं कोई ........ Rachit g. इश्क करके बेदाग रहने का रास्ता नहीं कोई बहुत आसां तेरा कहना मुझे वास्ता नहीं कोई है बेबस का बनाता मजाक बड़ा बेअदब है वो पुश्तैनी जायदाद प
Rajkumar Siwachiya
अरै इस जन्म भी पाप करै गा लाड़ले तो पिछले जन्म के पाप क्योंकर धोवय गा काली कमाई अर किसे का हक मार शाही जिंदगी जीन कै चक्कर में लाड़ले दादा लाही पुश्तैनी धन भी खोवय गा - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya _♠️✍️♠️_ अरै इस जन्म भी पाप करै गा लाड़ले तो पिछले जन्म के पाप क्योंकर धोवय गा काली कमाई अर किसे का हक मार शाही जिंदगी जीन कै चक्कर में ल
Er.Rajeev "ऋतुज"
" क्या जाने" .. जो रहते निज ऊँचे महलो में वो मिट्टी का घरौंधा क्या जानें। जो सोते हैं पक्की छत के नीचे वो छप्पर का टपकना क्या जाने। जो चलते सदा ए.सी. कारो में वो ज्येष्ठ दुपहरी क्या जाने। जो सोते मोटे गद्दो पर वो धरती पर सोना क्या जाने। जिनके सर माँ का आँचल है वो माँ का बिछड़ना क्या जाने। जिनको मिलता भरपेट अन्न वो भूखे सो जाना क्या जाने। जिनके घर हैं नौकर चाकर खुद वो नौकरी का मतलब क्या जाने। जिनको मिल जाती पुश्तैनी दौलत वो दौलत का कमाना क्या जाने। जिनके घर न कोई बेटी है वो बेटी की तमन्ना क्या जाने। जिनके दिल हैं पाषाण यहाँ वो मोम सा पिघलना क्या जाने। ©कच्ची कलम -"राख" " क्या जाने" .. जो रहते निज ऊँचे महलो में वो मिट्टी का घरौंधा क्या जानें। जो सोते हैं पक्की छत के नीचे वो छप्पर का टपकना क्या जाने।
Anita Saini
आबाई ए मकां में दरारें आ गई हैं, ख़ूनी रिश्तों की तरह सहन का दरख़्त आज भी, सैंकड़ों परिंदों की ख्वाबगाह है ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "आबाई" "aabaa.ii" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है ख़ानदानी, पुश्तैनी, पैतृक एवं अंग्
Divyanshu Pathak
व्यक्तिगत पहचान के लिए जीने का मार्ग खोला आज की शिक्षा पद्धति ने। आप घरों में होने वाले पंरपरागत गीत-संगीत का स्वरूप देखें तो वह भी समूह में ही रहा। जाति-समुदाय के रीति-रिवाज सामूहिक रहे। भाईचारे का एक वातावरण पूरे समूह पर छाया रहता। सुख-दु:ख में भागीदारी बहुत बड़ा संबल होती थी। यह समानता ही सम्मान था व्यक्ति का। समूह की मुख्य विशेषता ही यह थी कि वहां कोई छोटा-बड़ा नहीं होता था। धन, पद आदि सब बीच में नहीं आते थे। शिक्षा ने नौकरी का रास्ता दिखाया। घर से अलग होना मजबूरी बन गया। Good evening ji 💕🍫🍫🐒😊☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕☕🍉🍉🍉🍀☘🍎☕☕☕☕ : व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं स्वच्छन्द होकर हावी होने लगीं। पुश्तैनी ज्ञान का साथ छूट गया। पराधी
Vedantika
मजबूर होकर आबाई अदावत के हाथों वो कुछ ऐसा कर गए अदालत-ए-खुदा में हार गए मुकदमा और गुनहगार हो गए ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "आबाई" "aabaa.ii" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है ख़ानदानी, पुश्तैनी, पैतृक एवं अंग्
Dr Upama Singh
जो सुकून मिलता है गांव के आबाई में वो शहर के इमारतों में कहां मिलता है। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "आबाई" "aabaa.ii" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है ख़ानदानी, पुश्तैनी, पैतृक एवं अंग्
DR. SANJU TRIPATHI
रूआब हमारा नवाबी है. रूतबा हमारा आबाई है, शौक हमारे बहुत बड़े हैं इसीलिए मुश्किलें आई हैं। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "आबाई" "aabaa.ii" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है ख़ानदानी, पुश्तैनी, पैतृक एवं अंग्