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Soulmate (Yuhee)

पशोपेश में है जिंदगी

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कैसे कहें, जो कहना चाहे दिल 
पशोपेश में हैं ज़माना क्या कहेगा 
तू किसी और के लिए बनीं है
मैंने रिहाई दे दी तुझे यूँही 
 पशोपेश में है जिंदगी

Ayush kumar gautam

दिमाग पशोपेश में है

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दिमाग बहुत पशोपेश में है
कामयाबी आसपास ही है कहीं
समझ ही नहीं आ रहा किस वेश में है

आयुष कुमार गौतम दिमाग पशोपेश में है

"Midnighter"

#me पशोपेश (आदिल रिज़वी एवं डॉ. राखी) #Poetry

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Abhijeet Yadav

कभी ज्यादा तो कभी कम लगता है ये वक़्त भी मुझको अब बेरहम लगता है . . मैं इस पशोपेश हूँ क़ि, मैं टूटा हूँ या बना हूँ कभी ये मेरा अंत तो कभी आरंभ #Motivational #Gif #thought #Self #nojotohindi #determind

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कभी ज्यादा तो कभी कम लगता है
ये वक़्त भी मुझको अब बेरहम लगता है
.
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मैं इस पशोपेश हूँ क़ि,
मैं टूटा हूँ या बना हूँ
कभी ये मेरा अंत तो कभी आरंभ लगता है #gif कभी ज्यादा तो कभी कम लगता है
ये वक़्त भी मुझको अब बेरहम लगता है
.
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मैं इस पशोपेश हूँ क़ि,
मैं टूटा हूँ या बना हूँ
कभी ये मेरा अंत तो कभी आरंभ

Shree

पशोपेश ( जो दूसरों के नाम बस उतनी ही जिन्दगी चाहें! ) _________ कहते रहते हैं वो बेचैनियां बेमानी है... और, बिना बात के सोचने की बीमारी है #Motivation #yqbaba #yqdidi #musingtime #a_journey_of_thoughts #unboundeddesires

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कहते रहते हैं वो बेचैनियां बेमानी है...
और, बिना बात के सोचने की बीमारी है!
पर, जब-जब 
इलाज़ के हकीम ढ़ूंढे
समय की कमी थी,
या दर्द लाइलाज चुने,
महफिल में चाशनी डुबो नगमें गाते रहे...
कि गुलों के रंग के रुबरु कहकहे लगाते रहे...

/Caption/ पशोपेश 
( जो दूसरों के नाम बस उतनी ही जिन्दगी चाहें! )
_________

कहते रहते हैं वो बेचैनियां बेमानी है...
और, बिना बात के सोचने की बीमारी है

TabishAhmad 'تابش '

तालिबे-इल्म के अंधेरे कोठरी के रौशनदान हो आप, हमारे लिए सच्चाई और अच्छाई के रहबर हो आप, हाँ मेरे इलमगाह के मुदर्रिस हो आप... बैठे बिठाए हाल #Hindi #HappyTeachersday #poem #Shayari #urdu

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My mentor तालिबे-इल्म के अंधेरे कोठरी के रौशनदान हो आप,
हमारे लिए सच्चाई और अच्छाई के रहबर हो आप, 
हाँ मेरे इलमगाह के मुदर्रिस हो आप...
बैठे बिठाए हालात-माजी और जहाँ की सैर कराते हो आप,
दुनियाँ से परे दहर तलक की इल्म हमें देते हो आप,
हाँ मेरे इलमगाह के मुदर्रिस हो आप... 
जब भी लगता है उबाऊपन हमें अफ़साना सुना देते हो आप,
उस अफ़साने से भी कुछ अच्छा सीखा देते हो आप,
हाँ मेरे इलमगाह के मुदर्रिस हो आप...
जब भी कहीं होता हूँ पशोपेश में तो याद आ जाते हो आप,
दी हुई आपके इल्म से पशोपेश की भी हो जाती है मात,
हाँ मेरे इलमगाह के मुदर्रिस हो आप... 
हर सवालों के जवाब की खुली किताब हो आप,
दौर-ए-इंटरनेट के गूगल के सरदार हो आप ,
हाँ मेरे इलमगाह के मुदर्रिस हो आप... तालिबे-इल्म के अंधेरे कोठरी के रौशनदान हो आप,
हमारे लिए सच्चाई और अच्छाई के रहबर हो आप, 
हाँ मेरे इलमगाह के मुदर्रिस हो आप...
बैठे बिठाए हाल

Shree

मत आंकिए मेरी सोच की सीमा, मत तोलिए मेरी जरूरतों के गट्ठर, सब्र बहुत है हसरतों में इस दिल के, कहर उम्मीदों के ना हम पर लादिए! पशोपेश में दिख

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मत आंकिए मेरी सोच की सीमा,
मत तोलिए मेरी जरूरतों के गट्ठर,
सब्र बहुत है हसरतों में इस दिल के,
कहर उम्मीदों के ना हम पर लादिए!
पशोपेश में दिखाई देंगे कभी-कभार,
तबियत नासाज, कमजोर ना समझिए।
मासूम इरादों की पंखों वाली उड़ानों को
अपने भौतिक सुखों के पर्याय ना मानो।
अनन्त हूं मैं, अनन्त मेरी आवाज़ सुनो,
संकीर्ण मनोभावों को दरकिनार रखो। मत आंकिए मेरी सोच की सीमा,
मत तोलिए मेरी जरूरतों के गट्ठर,
सब्र बहुत है हसरतों में इस दिल के,
कहर उम्मीदों के ना हम पर लादिए!
पशोपेश में दिख

Poonam Suyal

नीलकंठ की तरह ज़हर उगलती हैं आँखें, जब दिल रहा हो धधकता पशोपेश में बीतती है ज़िंदगी परेशानियों का दौर नहीं है थमता दिल को सुकून, #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #rzलेखकसमूह #rzwriteshindi #rztask436

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नीलकंठ की तरह 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) नीलकंठ की तरह 

ज़हर उगलती हैं आँखें,
जब दिल रहा हो धधकता 
पशोपेश में बीतती है ज़िंदगी 
परेशानियों का दौर नहीं है थमता 

दिल को सुकून,

Ripudaman Jha Pinaki

मैं हो गया हूँ आजकल बेकार आदमी मुझसा अभी कोई नहीं बेज़ार आदमी। बनकर निठल्ला बैठा हूँ बरसों से अपने घर बेरोजगारी से हुआ लाचार आदमी। पड़ता ह #शायरी #Drops

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मैं हो गया हूँ आजकल बेकार आदमी
मुझसा अभी कोई नहीं बेज़ार आदमी।

बनकर निठल्ला बैठा हूँ बरसों से अपने घर
बेरोजगारी से हुआ लाचार आदमी।

पड़ता हूँ पशोपेश में उस वक्त बहुत मैं
करते हो क्या पूछे कभी जो चार आदमी।

दो बात इधर से सुनूं दो बात उधर से
सुनता हूँ सबकी बनके शर्मसार आदमी।

दिन रात तोड़ता है मुफ़्त की जो रोटियां
खा कर नहीं डकार ले मक्कार आदमी।

दुश्मन अनाज के न करें कामकाज कुछ
करते हैं वार बन के सब तलवार आदमी।

मन मेरा कोसता है खीझता है खुद ही पर
मरता नहीं क्यूं तू कहीं ऐ ख़्वार आदमी।

गुलशन था बहारों भरा एक वक्त मैं कभी
अब तो हूँ रंजोगम से मैं गुलज़ार आदमी।

मन धीरे-धीरे हो रहा है मेरा अपाहिज
तन से "पिनाकी" हो गया बीमार आदमी।

रिपुदमन झा "पिनाकी"
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki मैं हो गया हूँ आजकल बेकार आदमी
मुझसा अभी कोई नहीं बेज़ार आदमी।

बनकर निठल्ला बैठा हूँ बरसों से अपने घर
बेरोजगारी से हुआ लाचार आदमी।

पड़ता ह

Shree

प्रिय बाबा, सबसे पहले 'ईश्वर को पत्र' लिखने के संदर्भ में नव वर्ष पर प्रतियोगिता आयोजित करने की के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।🙏🏻 विजेताओं की स #a_journey_of_thoughts #कुलभूषणदीप #unboundeddesires

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Book review
पुस्तक समीक्षा प्रिय बाबा, 
सबसे पहले 'ईश्वर को पत्र' लिखने के संदर्भ में नव वर्ष पर प्रतियोगिता आयोजित करने की के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।🙏🏻 

विजेताओं की स
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