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Mohit Kumar Goyal
*कुछ ख़त आज फिर डाकघर से लौट आये,,* *डाकिया बोला जज्बातों का कोई पता नहीं होता....* ©Mohit Kumar Goyal *कुछ ख़त आज फिर डाकघर से लौट आये,,* *डाकिया बोला जज्बातों का कोई पता नहीं होता....*
Pinki
मुर्शद ! उसे मुझसे खूबसुरत दौलत शौहर वाला , कोई गैर मिल गया, उनके शहर में मेरा भेजा ख़त भी, डाकिया वापिस ले आया... ©Pinki डाकिया
Vedantika
लिख दिया है अहल-ए-दिल हमने क़िर्तास पर तुमसे मिलने की ख्वाहिश मगर बाकी ही रही मोड़ कर एक कोना नाम तेरा लिखा है वहाँ रंगीन हो गया वो कोना स्याही अश्क़ में बही गहराइयों में दिल की तुम धड़कन बनकर रहती हो तुम बिन ये ज़िंदगी होगी कभी मुक़्क़मल नहीं (शेष अनुशीर्षक में) तन्हाइयों की महफ़िलों में हम भी बदनाम है आशिक़ों की जुबान से नाम ये हटता है नहीं लिखते है खत तुमको पर भेजते नहीं कभी बदल गया पता तुम्हारा जहा
Manmohan Dheer
कभी मुहब्बत तो कभी दर्द भी ले आता था दरवाज़े पे अक्सर बूढ़ा डाकिया आता था . नौकरी लाता था चूल्हों की आग लाता था आसमां में रूहों के इंतजाम भी लाता था ......दरवाज़े पे अक्सर.... . न दंगे लाता था न अफवाहें फैलाता था देर से आता था मगर दिल में आता था ......दरवाज़े पे अक्सर . राखी के बंधन लाता था ईदी लाता था दिसम्बर की ठंड में सैंटा बन आता था .....दरवाज़े पे अक्सर . बैठ दहलीज पे चार बातें जोड़कर वो हौसला सुनाता था उम्मीदें जगाता था .....दरवाज़े पे अक्सर . पूछो जो बार बार तो झूठा चिढ़ जाता था ठंडे पानी के इक़ गिलास से मान जाता था .....दरवाज़े पे अक्सर . कम ही देखे हैं धीर ने ऐसे दिलदार फ़क़ीर जो दुआएं लाता था दर्द की दवाएं लाता था ......दरवाज़े पे अक्सर . धीर डाकिया
Kulbhushan Arora
सुधा दी, ये सबने अपने अपने पापा को पत्र लिख कर भावुक कर दिया, आपको तो पता है जब में अतिभावुक होता हूं, आपकी गोद में सर रख कर, सुधा दी खो जाता हूं... अन्तर्मन लोक आदरणीय सुधा दी, मन तो सुधी कर के बोलने को था, सबके सामने कहना अच्छा नहीं ना। लो शाम की डाक में आपके नालायक भैया की चिट्ठी आई है। कमाल हो ना
Ashutosh Mishra
खत लिखना हम भूल गए, आया जब से फोन। चाचा चाची,नाना नानी सब हुए धूल के फूल। इंटरनेट डेस्क पर घंटों होते चैट। घंटों होती चैट, मन नहीं भरा। वीडियो काॅल की अब आई फरमाइश। कुछ दिन तो गुपचुप गुपचुप बातें,, प्रेम रस से भरे हुए और कभी तू तू मैं मैं, के भी प्रसंग छिडे। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra घंटों का काम हुआ सेकंडो में,डाकिया डाकघर का भी,,,इंतजार खत्म हुआ। खाने खिलाने घूमने घुमाने का पैसा भी बच लगा।पर हाय रे,, कमबख्त नेट सारे पै
Shubham Saxena
सुनो एक बात मैं सबको यहां अब बोलने आया, दबा था राज़ जो दिल में उसे मैं खोलने आया। बँधे थे बाल उसके तब तलक खामोश बैठा था, खुली जुल्फें तो दिल का हाल उसको बोलने आया । निहारा शाम तक रस्ता, पलक झपकी न इक पल को, बड़ी लंबी सी चिठ्ठी ले के घर फिर डाकिया आया । न साकी था, न मधुशाला के दरवाजे पे कोई था, शराबी था नशे में चूर उसको क्या नज़र आया ! बड़ा सहमा था सूखे खेत को बेज़ार करके मैं, मगर इक अब्र को देखा तो मुझको हौसला आया । मुझे मालूम हुआ ऐसा कि घर पर माँ अकेली है, तो दुनिया छोड़ कर सारी मैं अपने घर चला आया । ©Shubham Saxena सुनो एक बात मैं सबको यहां अब बोलने आया, दबा था राज़ जो दिल में उसे मैं खोलने आया। बँधे थे बाल उसके तब तलक खामोश बैठा था, खुली जुल्फें तो दि
Härsh Päñdëy
ख़त जो लिखा मैनें वफादारी के पते पर, डाकिया चल बसा शहर ढूंढते-ढूंढते... खत जो लिखा मैनें वफादारी के पते पर डाकिया चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते #yqquotes #yqtales #khat #wafa #postman #life #yqdidi #oneliner
अनिता कुमावत
लफ्ज़ रुठे मेरे हुई , न उनसे मुलाकात उनके सपनों के बिना , कैसे बीते रैन प्रिय लेखकों, नमस्ते। दोहा अभ्यास को आगे बढ़ाते हुए अभ्यास के लिए 2 पंक्तियां दी जा रही हैं। अपनी इच्छानुसार इन्हें पूरा करें। दोहे के बारे
kumaarkikalamse
पता दिया था मैंने तुम्हें आखिरी मुलाकात में, तब से अब तक रोज डाकिए से बात करता हूँ!! #kumaarsthought #letter #चिट्ठी #पत्र #डाकिया