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Parasram Arora
ज़ो कौम जितनी भयभीत होती है उतना पुराने का आदर करती है....... पुराने के आदर के पीछे फियर. भय कामकरता है.. ज़ो कौम जितनी निर्भय होती है उतने नए की खोज करती है.. नए का एडवेंचर् नए का साहस..जो नही जाना है उसे जानना.. निश्चित ही इसमें खतरे है... क्योंकि हो सकता है नया रास्ता गड्डो में ले जाए पहाड़ो में ले जाय खतरों में ऎसी जगह ले जाय जहाँ जिंदगी मुश्किल में पड जाय.... नया खतरे में ले जा सकता है.. पुराना पहचाना हुआ है. उस रास्ते पर हज़ारो के चरणहींन्ह है .वह रस्ता पहचाना हुआ. परिचित है सुरक्षित है l . जितना ज्ञात होता जितना जीवन सुरक्षित होता है उतना ही मर जाताहै जितनी असुरक्षा. हो जीवन . उतना ही लिविंग और जीवंत होता है ©Parasram Arora लिविंग और जीवंत....
Parasram Arora
ज़ो चमन गुलज़ार था पहले अब बर्बादी की ओर बड़ रहा मजहब की आड़ मे दरन्दगीया पल रही है हर शहर मे कहर की लहर चल रही है नेताओं की दीवानगी बस कुर्सी क़े लीए जी रही है इन दिनों मैखानो मे शराब की किल्ल्त बड़ रही है क्योंकि मस्जिदों मे मुफ्त की अफीम बंट रही है ©Parasram Arora इन दिनों......
Abhishek Kumar
इन दिनो, बादलों में बरसात थोड़ा कम है, दुआओं की सौगात मे थोड़ा गम है, इस मौसम मे भी धूप ढूंढ रही मेरी आँखें इन सभी की वजह मैं नहीं हम हैं! हालांकि कोई शिकायत नहीं मैंने हमेशा सफर को जिया है, इसमे "हम" की यादें मे थोड़ी ताज़गी भी है, थोड़ी उबासगी भी है, दोनों सही है दोनों वहीं है, दिल के करीब.... इन दिनो....
kuldeep singh (akku Bhai)
इन फूलों कि चमक को तुमसे कम्पेयर करना चाहता हूं तुम हो जाओ विनर फूलो को लूजर करना चाहता हूं महसूस करना चाहता हु फूलो कि खुशबू तुम्हारे अन्दर बस यही गुस्ताखी में हर बार करना चाहता हूं बार बार करना चाहता हूं ©kuldeep singh (akku Bhai) इन फूलों
चन्देल साहिब
"इन दिनों" हाथ अच्छी तरह से धोएं, पानी को भी थोड़ा बचाएं! सोशल डिस्टेनसिंग अपनाएं, दिल से किसी को न भुलाएं! रोप प्रत्यऱोप न लगाएं, मदद का एक हाथ आगे बढ़ाएं! मंदिर कुछ दिन न जा पाएं, घऱ से रोशनी का दीपक जलाएं! ईश्वर पर विश्वास बनाएं, अंधविश्वास पर क़भी न जाएं! अफ़वाहें बिल्कुल भी न फैलाएं, डर-तनाव को बाहर भगाएं! सकारात्मकता को लाएं, नकारात्मकता को मिटाएं! "चंदेल साहिब" "इन दिनों"