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Amaan Moradabadi
अन्नाहजारे जी से मेरा कोई बेर नहीं है परतु उनकी चुप्पी साधने कि वजह क्या है
Ajij shaikh press
सुसि ग़ाफ़िल
बहुत प्यारी है स्त्रियों को अपनी पीठ परतुं पीठ को कभी किसी ने सहलाया ही नहीं किसी ने चुम्मा तो उनको गर्दन पर और कमर के नीचे नहीं चूम पाया कोई पीठ पर बना आकाशगंगाओं का गलियारा उनके लिए वह सिर्फ कोरी जख्मों का संग्रहालय रही | बहुत प्यारी है स्त्रियों को अपनी पीठ परतुं पीठ को कभी किसी ने सहलाया ही नहीं किसी ने चुम्मा तो उनको गर्दन पर और कमर के नीचे नहीं चूम पाया
yogesh atmaram ambawale
खरे आहे, जन्मलो तर मृत्यू हा येणारच, खूप जगलो जीवन,आता परतुनी जाणारच, निघायची वेळ झाली,पाठीशी सुख-दुःखाचे अनुभव घेऊनी, नाही आठवत,काय कमावले नि काय गमावले ह्या जीवनी, प्रेमाने वागलो,सर्वांशीस नाते जोडले जे काही जमवलं ते मागेच सोडले. श्वास थांबला जीवन यात्रा संपली, सर्व काही मागे ठेवुनी निघण्याची वेळ झाली. शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे निघण्याची वेळ झाली... #निघण्याची #झाली #collab #yqtaai Best YQ Marathi Quotes पेज ला भेट द्या. लिहीत राह
Vinod Umratkar
खाऊनिया केळी। ती साल फेकली। रस्त्याच्या मधी। मी एकदा।। रस्त्याने पुन्हा। येता परतुनी। पाय घसरूनी। पडलो मी।। माझ्या कर्माचे। फळ ते मिळाले। पाय हे मोडले। माझ्या कर्मे।। झाले खरे अंती। फळ जे मिळते। प्रत्येकाच्या कर्मे। नुसार ते।। खाऊनिया केळी। ती साल फेकली । रस्त्याच्या मधी। मी एकदा।। रस्त्याने पुन्हा। येता परतुनी। पाय घसरूनी।
vaishali
🇮🇳 परतीचा क्षण 🇮🇳 सोडूनि घरदार निघालो मायभूमीच्या रक्षणी डोळ्यात दाटले पाणी निघता परतीच्या क्षणी आसवांनी भरले जरी डोळे माझ्या सखीचे थांबू कसा मी राणी ऋण फेडायचे मला मातीचे सोडू नकोस ग तू धीर मी येईल पुन्हा परतुनी आहे तुझ्याच हृदयात जरी मी गेलो दूर निघूनी सांभाळ स्वतःला राणी आता तूच घराचा आधार तुझ्याच खांद्यावर आहे आपल्या संसाराचा भार कुशीत तुझ्या राणी अंश आपल्या प्रेमाचा सांभाळ आठवणीत माझ्या करू नको स्वतःची आबाळ दिला मला जन्म असे ते धन्य माझे मातापिता ऋणात जिच्या मी असे ती श्रेष्ठ माझी भारतमाता 🌹 सर्व सैनिक बंधूंना मनापासून सलाम 🌹 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🙏🙏🙏 🇮🇳 परतीचा क्षण 🇮🇳 सोडूनि घरदार निघालो मायभूमीच्या रक्षणी डोळ्यात दाटले पाणी निघता परतीच्या क्षणी आसवांनी भरले जरी डोळे माझ्या सखीचे थां
yogesh atmaram ambawale
जा ना कोरोना जा ना.. तुझा पाहुणचार काही कमी होईना. पाहूणा म्हणून आलास 9/10 महिन्याचा मुक्काम केलास. जाण्यापूर्वी कित्येक जीव नाहक खाऊन गेलास. वाटलं होतं आता काही तू परतणार नाहीस, पण तू तर कुत्र्याप्रमाणे निघालास अर्ध्या वाटेतून पुन्हा परत आलास. भूख काही तुझी भागली नव्हती, परतुनी जाण्याची ही तुझी इच्छा नव्हती. पण धुत्कार आणि हाडतुड केल्यामुळे तू परतीला निघालास, जरा आम्ही दुर्लक्ष काय केलं,तू परत माघारी आलास. जा रे बाबा जा एकदाचा कशाला नाहक छळतो आम्हाला, तू जावे निघूनी पुन्हा कधीच न येणे,हीच इच्छा प्रत्येक मनाला. शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे कोरोना जा ना... #कोरोनाजाना चला तर मग लिहूया. #collab #yqtaai लिहित राहा आणि मजेत राहा. #YourQuoteAndMine
Rashmi Hule
अस्वस्थ्य आहे जग, काळ सोकावलेला पाहता झरोक्यातून, वाटे थांबलेला शिंकले जरी कोणी,साशंकता जनात सर्वत्र व्यापलेली, भीती आहे मनात... अशी कशी ही देवा,वेदना जगाची करे रुग्ण सेवा, ताटातूट पिलांची डाॅक्टर, नर्स आणी कुटुंबे पोलिसांची वाटेवरी डोळे येतील कधी परतुनी सेवेत रत राहती घरास अंतरुनी जावे घरी जरी तर भीती आहे मनात ना जाणे उद्या मी तरी राहीन का जीवंत पाहू नका ना आता त्यांच्या तरी अंत राहूनी घरात आपण, पाळू थोडा एकांत कृपा करून देवा,ठेव सर्वांना सुरक्षित... 🙏🌹🙏 अस्वस्थ्य आहे जग, काळ सोकावलेला पाहता झरोक्यातून, वाटे थांबलेला शिंकले जरी कोणी,साशंकता जनात सर्वत्र व्यापलेली, भीती आहे मनात... अशी कशी ह
N S Yadav GoldMine
श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व द्वादश अध्याय: श्लोक 1-17 :- श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना. 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं -राजन्! तदनन्तर सेवक-गण शौच-सम्बन्धी कार्य सम्पन्न कराने के लिय राजा धृतराष्ट्र-की सेवा में उपस्थित हुए। जब वे शौच कृत्य पूर्ण कर चुके, तब भगवान मधुसुदन ने फिर उनसे कहा-राजन! आपने वेदों और नाना प्रकार के शास्त्रों का अध्ययन किया है। सभी पुराणों और केवल राजधर्मों का भी श्रवण किया है। 📙 ऐसे विद्वान, परम बुद्धिमान् और बलाबल का निर्णय करने में समर्थ होकर भी अपने ही अपराध से होने वाले इस विनाश को देखकर आप ऐसा क्रोध क्यों कर रहे हैं ? भरतनन्दन! मैंने तो उसी समय आपसे यह बात कह दी थी, भीष्म, द्रोणाचार्य, विदुर और संजय ने भी आपको समझाया था। राजन्! परंतु आपने किसी की बात नहीं मानी। 📙 कुरुनन्दन! हम लोगों ने आपको बहुत रोका; परंतु आपने बल और शौर्य में पाण्डवोंको बढा-चढ़ा जानकर भी हमारा कहना नहीं माना। जिसकी बुद्धि स्थिर है, ऐसा जो राजा स्वयं दोषों को देखता और देश-काल के विभाग को समझता है, वह परम कल्याण का भागी होता है। 📙 जो हित की बात बताने पर भी हिता हित की बातको नहीं समझ पाता, वह अन्याय का आश्रय ले बड़ी भारी विपत्तिbमें पड़कर शोक करता है। भरत नन्दन! आप अपनी ओर तो देखिये। आपका बर्ताव सदा ही न्याय के विपरीत रहा है। राजन्! आप अपने मन को वश में न करके सदा दुर्योधन के अधीन रहे हैं। अपने ही अपराध से विपत्ती में पड़कर आप भीमसेन को क्यों मार डालना चाहते हैं? 📙 इसलिये क्रोधको रोकिये और अपने दुष्कर्मोंको याद कीजिये। जिस नीच दुर्योधन ने मनमें जलन रखनेके कारण पात्र्चाल राजकुमारी कृष्णाको भरी सभामें बुलाकर अपमानित किया, उसे वैरका बदला लेनेकी इच्छासे भीमसेनने मार डाला। आप अपने और दुरात्मा पुत्र दुर्योधनके उस अत्याचारपर तो दृष्टि डालिये, जब कि बिना किसी अपराधके ही आपने पाण्डवों का परित्याग कर दिया था। 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पाचनजी कहते हैं – नरेश्वर! जब इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण ने सब सच्ची-सच्ची बातें कह डालीं, तब पृथ्वी पति धृतराष्ट्र ने देवकी नन्दन श्रीकृष्ण से कहा- महाबाहु! माधव! आप जैसा कह रहे हैं, ठीक ऐसी ही बात है; परतु पुत्र का स्नेह प्रबल होता है, जिसने मुझे धैर्य से विचलित कर दिया था। 📙 श्रीकृष्ण! सौभग्य की बात है कि आपसे सुरक्षित होकर बलवान् सत्य पराक्रमी पुरुष सिंह भीमसेन मेरी दोनों भुजाओं- के बीच में नही आये। माधव! अब इस समय मैं शान्त हूँ। मेरा क्रोध उतर गया है, और चिन्ता भी दूर हो गयी है अत: मैं मध्यम पाण्डव वीर अर्जुन को देखना चाहता हूँ। समस्त राजाओं तथा अपने पुत्रों के मारे जाने पर अब मेरा प्रेम और हित चिन्तन पाण्डु के इन पुत्रों पर ही आश्रित है। 📙 तदनन्तर रोते हुए धृतराष्ट्र ने सुन्दर शरीर वाले भीमसेन, अर्जुन तथा माद्री के दोनों पुत्र नरवीर नकुल-सहदेव को अपने अगों से लगाया और उन्हें सान्तवना देकर कहा – तुम्हारा कल्याण हो। 📙 इस प्रकार श्रीमहाभारत स्त्रीपर्व के अन्तर्गत जल प्रदानिक पर्व में धृतराष्ट्र का क्रोध छोड़कर पाण्डवों को हृदयसे लगाना नामक तेरहवॉं अध्याय पूरा हुआ। N S Yadav .... ©N S Yadav GoldMine #gururavidas श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝
JALAJ KUMAR RATHOUR
"पापा हम क्यों पढते हैं इतिहास कितना बोरिंग है ये सब्जेक्ट हैं ना मैं जब पैदा ही नही हुआ मुझे तब की भी तारीखों को याद करना पड़ता है " पास में ही बैठे अपने पापा से प्रेम ने ये पूछा ,देश पांडे साहब ने मजाकिया लहजे से कहा बेटा तेरे बाप ने भी पढा और हर बार मन में यही प्रश्न उठा पर आज तक इस सवाल का जबाब ना मिला, बगल में ही बैठे प्रेम के दादा जी भारत पांडे जी ने उसके पापा देश पांडे के कान को ऐंठते हुए कहा , "तेरे में इतनी बुद्दी ही कहाँ थी रे मोड़ा जो तू जू सवाल पुछतो जू तो हमाओ नाती है जो जे सवाल पूछ रहो है , प्रेम को अपने पास बैठा कर भारत पांडे जी ने कहा "बिटवा जो जे इतिहास होवे है ना जी हमें तासो पढाओ जावे है कि हम अपनी पुरखों की गलतियों से सीख ले और जिने फिर ना दोहराये, प्रेम ने दादा से पूछा पापा वो कैसे तो उन्होंने बताया बेटा मराठा महाराजा छत्रपति शिवा जी महाराज के वंशजो में एक वीर योद्धा थे सदाशिव भाऊ जो मराठा साम्राज्य के रक्षक थे उन्होंने बाहरी आक्रमणकारियों को भारत से भागने के लिए आपने विश्वास पात्र सेनानायक इब्राहीम खान के साथ मिलकर युद्ध लड़ा उस वक्त उन्होंने भारतियों राजाओं से मदद मांगी परंतु कुछ राजाओं ने उनकी मदद ना की जिनमे कुछ राजा हिंदू थे पर उनमे से एक था सिराउजुदौला जिसने पहले तो हाँ कर दी परतुं जब उसको धर्म की कसम दी गयी तो उसने देश से पहले धर्म को चुना और सदा शिव भाऊ का साथ नही दिया इसके विपरीत सकीना बेगम ने सदा शिव भाऊ का साथ दिया और धर्म से पहले देश को रखा,पानीपत के मैदान मे अपनी मातृभूमि के लिए बाजीराव पेशवा के भतीजे सदा शिव भाऊ ने अदम्य साहस के साथ दुश्मनो से लडते हुए अपने प्राण त्याग दिये वो उस दिन हार कर भी जीत गए थे| क्युकी अहमद शाह अब्दाली ने खुद कहा था यहाँ के लोगो को हराना है तो इन्हे आपस मे लड़ाओ और इतिहास हमें सिखाता है की पहिचानो हाँ पहिचानो अपने आस पास से सिराउजुदौला और इब्राहिम खान जैसे वतन के गद्दारों को और सम्मान करो सकीना बेगम जैसी वतन की नारी शक्ति का " जब भारत पांडे जी ने प्रेम की और देखा तो वह सो चुका था आज के भारतीय युवाओं की तरह , भारत, देश प्रेम के जाग जाने की उम्मीद में था और शायद आज भी है धर्म देश से बड़ा नहीं होता, साहब ....... #जलज राठौर "पापा हम क्यों पढते हैं इतिहास कितना बोरिंग है ये सब्जेक्ट हैं ना मैं जब पैदा ही नही हुआ मुझे तब की भी तारीखों को याद करना पड़ता है " पास म