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Stories related to उतार दियो

Dhaneshdwivediwriter

#DearKanhaहे प्रभु! इस उलझे से जीवन को अब तो सवांर दो खरीदने से भी न मिला, वो सुकुन थोड़ा उधार दो, दिल की हर धड़कन में बस तेरा ही नाम हो प्रे

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हे प्रभु! इस उलझे से जीवन को अब तो सवांर दो
खरीदने से भी न मिला, वो सुकुन थोड़ा उधार दो
दिल की हर धड़कन में बस तेरा ही नाम हो,
प्रेम की वो अमृतधारा मेरे जीवन में उतार दो।



























.......

©Dhaneshdwivediwriter #DearKanhaहे प्रभु! इस उलझे से जीवन को अब तो सवांर दो
खरीदने से भी न मिला, वो सुकुन थोड़ा उधार दो, 
दिल की हर धड़कन में बस तेरा ही नाम हो
प्रे

Sumit Kumar

#love_shayari बिना उतार दिया आगे मत बदन ही 😄😄🤔🤔🥰

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White 🌞अब सोच रहा हू की चांद पर तो 🌝चंदनी तो नहीं मिली जाधा सार्च किया तो एलियन मिले तो अब क्या 🤔सोच रहे हो की 🌞 से रोसनी 😇लेकर आए फिर 😄क्या आए गा 🤔🌝

©Sumit Kumar #love_shayari बिना उतार दिया आगे मत बदन ही 😄😄🤔🤔🥰

N S Yadav GoldMine

#SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} हर प्रकार की उम्मीद व ख्वाहिश की टोकरी का बोझ उतार कर फेक दो, दुःख और परेशानी खुद ब खुद नाराज होकर आपको छोड़

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset {Bolo Ji Radhey Radhey}
हर प्रकार की उम्मीद व ख्वाहिश
की टोकरी का बोझ उतार कर
फेक दो, दुःख और परेशानी खुद 
ब खुद नाराज होकर आपको
छोड़ कर चली जायेगी।
जय श्री राधेकृष्ण जी!!
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey}
हर प्रकार की उम्मीद व ख्वाहिश
की टोकरी का बोझ उतार कर
फेक दो, दुःख और परेशानी खुद 
ब खुद नाराज होकर आपको
छोड़

N S Yadav GoldMine

#SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey} हर प्रकार की उम्मीद व ख्वाहिश की टोकरी का बोझ उतार कर फेक दो, दुःख और परेशानी खुद ब खुद नाराज होकर आपको छोड़

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset {Bolo Ji Radhey Radhey}
हर प्रकार की उम्मीद व ख्वाहिश
की टोकरी का बोझ उतार कर
फेक दो, दुःख और परेशानी खुद 
ब खुद नाराज होकर आपको
छोड़ कर चली जायेगी।
जय श्री राधेकृष्ण जी!!
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #SunSet {Bolo Ji Radhey Radhey}
हर प्रकार की उम्मीद व ख्वाहिश
की टोकरी का बोझ उतार कर
फेक दो, दुःख और परेशानी खुद 
ब खुद नाराज होकर आपको
छोड़

theABHAYSINGH_BIPIN

#erotica उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलग

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उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर,
इस सर्द दिसंबर को जून कर दो।
लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर,
मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलगा दो।

जाग रहा है इश्क़ का कबूतर खत पर,
तेरे अंगों की महक में बिखेर दो।
मेरे होठों पे उकेर, अपनी सासों की लकीर,
इस रात को मुझे अपने बदन में बसा दो।

भड़क रही है आग तेरे बदन की लहरों में,
तेरी छुअन से हर नस को झुलसा दो।
कबसे क़ैद है इश्क़ का ये सिपाही,
अपने कोमल स्पर्श से आज़ाद कर दो।

हर सांस तेरे रिदम से बंधी है अब,
तेरे बदन की नर्म लकीरों में खो जाने दो।
हवाओं में मिलकर जलते हुए इन लम्हों को,
मेरी हर शरारत को ख़ुद में समा लो।

©theABHAYSINGH_BIPIN #erotica 

उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर,
इस सर्द दिसंबर को जून कर दो।
लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर,
मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलग

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari उतार शराफत का मुखौटा कभी, सच्चाई से भी सामना कर। बारिश हो या आँधियाँ रास्ते में, बस मंज़िल की बात किया कर। मानता हूँ, लोग कर

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White उतार शराफत का मुखौटा कभी,
सच्चाई से भी सामना कर।
बारिश हो या आँधियाँ रास्ते में,
बस मंज़िल की बात किया कर।

मानता हूँ, लोग करते हैं बातें हज़ार,
बस अपने सफर का इरादा कर।
मुश्किलें बहुत हैं, पर हार न मान,
मायूसियों को हंसकर दूर किया कर।

थाम ले एक बार फिर से हाथ,
यूँ बार-बार ना हाथ छुड़ाया कर।
उकेर दे आसमान में अपनी तस्वीर,
अपने महबूब पर ऐतबार किया कर।

होने दे चर्चे अपने इश्क़ के यार,
ऐसी बातों से तू ना घबराया कर।
नकार दे दुनियादारी की बातों को,
इश्क़ की धुन यूँ ही गुनगुनाया कर।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 
उतार शराफत का मुखौटा कभी,
सच्चाई से भी सामना कर।
बारिश हो या आँधियाँ रास्ते में,
बस मंज़िल की बात किया कर।

मानता हूँ, लोग कर

theABHAYSINGH_BIPIN

कौन है जो सूरज को धमका रहा, कोहरे का जाल यूं फैला रहा? क्यों उजाले को निगलने चला, सांसों तक को ठंडा बना रहा? ठंड में अब पानी भी डरा रहा, खु

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कौन है जो सूरज को धमका रहा,
कोहरे का जाल यूं फैला रहा?
क्यों उजाले को निगलने चला,
सांसों तक को ठंडा बना रहा?

ठंड में अब पानी भी डरा रहा,
खुद को भाप में बदल रहा।
किसको यह कारीगरी सूझी है,
जो प्रकृति पर कहर ढा रहा?

कौन है जो चुराने चला,
जो इतनी जल्दी दिन ढल रहा?
समय को घेरने वाला कौन,
जो हर पल को सर्दी में ढल रहा?

उतार दिया है काम का बोझ,
काम छोड़ खुद को गर्म कर रहा।
सर्दी से ठिठुर गए हैं सारे,
इंसान बैठा अलाव जला रहा।

निकले ही हाथ-पैर हो गए सुन्न,
हवा में ऐसी नमी छोड़ रहा।
अब तो पानी पीना भी मुश्किल है,
कौन है जो बर्फ से पानी भिगो रहा?

©theABHAYSINGH_BIPIN कौन है जो सूरज को धमका रहा,
कोहरे का जाल यूं फैला रहा?
क्यों उजाले को निगलने चला,
सांसों तक को ठंडा बना रहा?

ठंड में अब पानी भी डरा रहा,
खु
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