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Adv Sony Khan
White *बंद करो बेटा बेटी में फर्क* """"""""""""""""""""""""""""""" प्यारी गुड़िया रानी बिटिया कहलाती है, अक्सर थके बाप के चेहरे पर मुस्कान ले आती है दिन भर अपनी मासूम किलकारियों से घर में रौनक लाती है भाई की जान बाप का गुरूर बन जाती है, तीज त्यौहार पर दीपों से घर को रोशन बनाती है, अक्सर रक्षाबंधन पर भाई की कलाई सजाती है, फिर भी न जाने क्यूं पराए घर की कही जाती है। करदो कन्यादान तो पुरुष की अर्धाग्नि बन जाती है, फिर भी दहेज़ के लोभियों द्वारा आग में जल जाती है। आज जान उसकी गई अगला नंबर तुम्हारा है, ऐसा अब हम होने नहीं देंगे यही लक्ष्य हमारा है। सरकार चाहें कोई भी हो जिम्मेदारी समाज की है किसी की बेटी की जान तो किसी कि मां की लाज है, इस सबको देख कर ही चलाया गया "मिशन शक्ति" आभियान है हर किसी को जिम्मेदारी के साथ जागरूक करना हमारा काम है। बेटा बेटी में फर्क करना यह बहुत बड़ा पाप है मानो कि जैसे हमारे ऊपर दुनिया में अभिशाप है बेटा बेटी में फर्क करोगे तो सुख नहीं पाओगे बेटे की चाहत में रहोगे तो बहू कहां से लाओगे ? हमको यही संकल्प लेना होगा बेटा बेटी की फर्क को मिटाना होगा, दोनों के साथ समानता के साथ रिश्ता निभाना होगा तभी हमारा और हमारे देश का कल्याण होगा। जब बेटा बेटी की पहचान नहीं शब्दों में सिर्फ "हमारी संतान" होगा । *ऐडवोकेट सोनी खांन* _द्वारा स्वरचित रचना_ ©Adv Sony Khan #Beti #बेटी #Self #selfconfidence #motivate #Motivation #Writer #my #Advocate #Reality मोटिवेशनल कविता इन हिंदी प्रेरणादायक मोटिवेशनल को
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read moreManzoor Alam Dehalvi
घर मका दुका छोड़ आए, हम तुम्हारे लिए। हर रिश्ते नाते सब तोड़ आए हम तुम्हारे लिए। अब मेरी जहां बस गई है तुझसे हर बेड़ियों को अब तोड़ आए हम तुम्हारे लिए। अब मेरा कुछ नहीं तुम्हारे सिवा हर उलझनों को छोड़ आए हम तुम्हारे लिए। , ©Manzoor Alam Dehalvi #मेरी कविता
#मेरी कविता
read moreWriter Mamta Ambedkar
White मन का जख्म बदन पर जो लगे, वो जख्म भर जाते हैं, वक़्त की मरहम से, दर्द भी मिट जाते हैं। पर जो गहरे घाव, मन के भीतर लगते हैं, वो हर धड़कन के संग, फिर से जी उठते हैं। न कोई मलहम, न कोई दवा कारगर, इन घावों को बस, सहेजना ही है बेहतर। ये घाव सिखाते हैं, जीवन का एक पाठ, हर दर्द के पीछे छुपा, कोई अटल सत्य का साथ। तो मन के जख्मों को, बस प्यार से थाम लो, दर्द की इस धारा में, खुद को पहचान लो। क्योंकि मन का घाव ही, तुम्हें मजबूत बनाएगा, और जीवन के हर मोड़ पर, नया सूरज दिखाएगा। ©Writer Mamta Ambedkar #sad_quotes हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता प्रेम कविता
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read moreWriter Mamta Ambedkar
White हम सफ़र हज़ार फासले होने के बावजूद बडा सुकून हमें तेरा ख्याल देता है हज़ार फासले होने के बावजूद हज़ार फासले होने के बावजूद, तेरा ख्याल दिल को उजाल देता है। दूर रहकर भी जो पास लगे, ऐसा एहसास तेरा कमाल देता है। तेरी यादें बसी हैं सांसों में, हर धड़कन तुझसे सवाल करता है। क्यों दूरी का शिकवा करें, जब तेरा ख्याल ही जवाब देता है। बिछड़ने का ग़म होता है पर, तेरे ख्याल से हर दर्द टल जाता है। जैसे दूर चाँद को देखकर भी, मन को उसका नूर बहाल देता है। इस दिल का क्या हाल कहें, जो हर घड़ी तुझे पुकार देता है। ©Writer Mamta Ambedkar #love_shayari प्रेम कविता हिंदी कविता कविता कविताएं कविता कोश
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read moreWriter Mamta Ambedkar
White बारिश की बूंदे कितनी ख्वाहिश थी, बारिश की बूंदों को, आसमान से गिरकर, जमीन में दफ्न होने की। वो जो ऊंचाइयों में, बादलों की गोद में थीं, हर एक लम्हा सोचती थीं, धरती की मिट्टी से मिलने को। चमकते सूरज के डर से, बादलों में छुपती रहीं, पर दिल में हसरत थी, जमीन की आगोश में समाने की। फिर एक दिन बादलों ने भेजा उन्हें धरती को तोहफा बनाकर, जीवन को सींचने, और प्यास बुझाने। गिरती रहीं,झूमकर, नाचकर, हर पत्ती, हर शाख से लिपटकर, मिट्टी की खुशबू में, अपने अस्तित्व को मिटाने। दफ्न होकर मिट्टी में, वो बूंदें मुस्कुराईं, कि उनकी ख्वाहिश ने, जीवन को एक नई कहानी सुनाई। ख्वाहिशें भी ऐसे ही, अधूरी नहीं रहतीं, आसमान से गिरकर, ज़मीन पर मुकम्मल होती हैं। राइटर ममता आंबेडकर मोटिवेशनल कवित्री ©Writer Mamta Ambedkar #Sad_Status प्यार पर कविता कविता कोश प्रेम कविता कविता कविताएं
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read moreकवि प्रभात
मग देखेंगे नैन द्वय, तव तब तक प्रियतम | जब तक काल के ग्रास न, बन जायेंगे हम || ©कवि प्रभात हिंदी कविता कविता कोश कविता
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read moreSupriya Jha
विधाता ने बेेटी विदाई की कैसी विधि बनाई है। पिता के लाड में पली बेटी की आज विदाई है।। जिस घर में हर पल की यादें,बचपन की लड़ाई है। आज उससे ही मुझको करनी पड़ रही जुदाई है।। बिछड़ने की किसने ये रस्म बनाई है। मां के आंचल में पली बेटी की आज विदाई है।। पिता भाई ने छुप छुप कर आंसू बहायें है। मां बहने आंखो में आंसू लिए विदाई की दस्तूर निभाई है।। कितनी निष्ठुरता से पिता ने कन्यादान निभाया है। मुझको किसी के हाथ सौंप कर जिम्मेदारी से मुक्ति पाया है।। आखिरी वचन कहकर मां ने बड़ी बात सिखाई है। पिता के पगड़ी की लाज तू रखना इसमें ही कुल की भलाई है।। विधाता ने बेटी विदाई की कैसी विधि बनाई है। बचपन से ही क्युं बेटियां पराई धन कहलाई है।। ©Supriya Jha बेटी की विदाई
बेटी की विदाई
read moreKirbadh
इस क़दर मुहब्बत है तुझसे ग़र बयां कर दें तो, तूफ़ान मचा दे तेरे शहर में तभी तो ख़ामोश रहते हैं ©Kirbadh #ramleela कविता हिंदी कविता प्रेम कविता
#ramleela कविता हिंदी कविता प्रेम कविता
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