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Naveen
अँधेरे में ये दूर बैठी है सिसक रही जो मेरी धड़कन है..! तुम पास हो, फिर बहुत दूर चले गए देह से निकले, परिंदा फिर बनकर..!! ©Naveen Chauhan #प्राण
maher singaniya
प्राण शर्म ना आयीं निष्ठुर पापियों को छल से मुझपे प्रहार किया...!! समर्थ थी मैं लड़ने को असमर्थ तेरे हत्यार ने बना दिया...!! युद्ध करता दो हाथों से तूने फरेब के शस्त्र से मेरा घात किया...!! खुद के भूखे तन के खातिर खंजर से शरीर में छेद किया...!! ए खुदा अब तो उठ जा कितने प्राण ऐ नामर्द लेते जाएंगे...!! तेरे द्वार कभी खुलेंगे या बेजुबान के लिए हमेशा बंद रह जाएंगे...!! ©maher singaniya प्राण...
B.L Parihar
तुम से अलग,कुछ भी नहीं चाहिए, ज़िंदगी में, थोड़े से तुम !!!!!!! और तुम, फिर तुम,बस तुम, सिर्फ तुम ही तुम...!!!!!!! समझे तुम!!!!!! 😘😘 #प्राण प्यारी
Vivek Pandey
नींद अँखियाँ के जाने परान भइल बा मोरा जिनगी के जइसे जहान भइल बा। जौन भोरे भजनिया के गावल गइल उहै हियरा में अबले निशान भइल बा।। ----विवेक ©Vivek Pandey #प्राण Dark
Bhairav
🚩 | | ॐ | | 🚩 🌻 श्री कृष्णम शरणं मम्🌻 🌸 | | जय माता दी | | 🌸 shraddhaabhaktee90@gmail.com "हम भाग्य के ज्ञाता हैं,भाग्य विधाता नहीं" 🛕 🛕 🛕 🪔 स्वस्थ रहें,मस्त रहें और व्यस्त रहें...!🪔 🙏🏻|| Pandit Bhairav Maharaj ||🙏🏻 🛕 🛕 🛕 🪴 🚩 | | 🦚" प्राण " 🦚 | | 🚩🪴🚩 इच्छाओं के रहते यदि, प्राण चले जायें तो वो हुई मृत्यु...😤 🤷♂️ और 🤷♂️ प्राण के रहते हुये इच्छायें चली जाए तो वो हुई मुक्ति...🙏🏻 shraddhaabhaktee90@gmail.com 💐🤝🏻💐 राधे-राधे ©Bhairav #प्राण #RIPMilkhaSingh
The good"लेखक"
मैं ये सोच रहा हूँ ये क्या चल रहा हैं? वायु तो सोना बन गई, फिरभी सोचता हूँ कि ये क्या चल रहा हैं? प्राण वायु बिक रही हैं, तस्करो और चोरों का धंधा बन गया, पर फिरभी सोचता हूँ? ये क्या चल रहा हैं? !........इरिश ©The good"लेखक" प्राण वायु
Parasram Arora
मैं न कोई श्रेष्टता.प्राप्त आत्मा हूं और न ही किसी सिर् फिरे देवता का कोई भग्न अंश इसके बावजूद मुझे देवता मानकर एक मान्यता प्राप्त मंदिर में मेरी प्राण प्रतिष्ठां कर दी गई....... और मुझे विवश होकर अगरबत्ती का प्रधुषित.दम घोटू धुँवे से सामना करना पड़ा.... और श्रद्धांलुओं द्वारा चढ़ाया हुआ अर्घ्य अभिषेक अर्चना और पूजा कों नचाहते हुए भी स्वीकार करना पड़ा ©Parasram Arora प्राण प्रतिष्ठा
Deepak Sisodia
सबको यहाँ, बस अपने ही, मतलब से मतलब हैं जो था यहाँ कल, आज हैं, और बस वहीं अब हैं मण्डी फकीरों की लगी , बिकता ख़ुदा देखा अब तो दुआओं में भी, उनके उनका मतलब हैं रिक्शे चलाने वाले भी , बाबा थे बचपन में बच्चों को भी क्या इल्म, के क्या अदब अब हैं दौलत की चम चम में, यहाँ सब चमचमाता हैं सिक्कों की ये आवाज़ हमदम , क्या गज़ब ढब हैं अब तो यहाँ हर बात में, बस आप दिखता हैं ख़ुद के ख़ुदा हम आप हैं, और आप ही रब हैं दीपक सिसोदिया मतलब ही मतलब....