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ARTI JI
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N S Yadav GoldMine
White विष्णुपुराण १।१७।२६) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'पिताजी! वे विष्णु भगवान् केवल मेरे ही हृदय में नहीं बल्कि सम्पूर्ण लोकों में स्थित हैं। वे सर्वगामी तो मुझको, आप सबको और समस्त प्राणियों को अपनी-अपनी चेष्टाओं में प्रवृत्त करते हैं।' ऐसी बातें सुनकर तो राक्षसराज का क्रोध अत्यन्त भड़क गया, और वह भक्त प्रह्लाद को भयानक त्रास देने लगा। हरिनाम लेनेvवाले प्रह्लाद को विष पिलाया गया, पर्वत से गिराया गया, सर्पों से डसाया गया, आग में जलाया गया इत्यादि अनेक प्रकार से राक्षसों ने जबरदस्ती जोर-जुल्म ढहाये, किन्तु उसका कुछ भी अनिष्ट न कर सके :- जय श्री राधे कृष्ण जी.... जाको राखै साइयाँ मारि सकै नहिं कोय। बार न बाँका करि सकै जो जग बैरी होय॥ कहा करै बैरी प्रबल जो सहाय रघुबीर। दस हजार गजबल घटॺो घटॺो न दस गज चीर॥ जय श्री राम जी.... प्रबल शत्रु सामने हो तो भी सारे संसार का वार खाली चला जाता है, उसका कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता। भक्त पर अत्यन्त अत्याचार होने पर अन्त में खम्भे में से प्रह्लाद के प्यारे परम प्रभु को प्रकट होना ही पड़ा। ©N S Yadav GoldMine #car विष्णुपुराण १।१७।२६) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'पिताजी! वे विष्णु भगवान् केवल मेरे ही हृदय में नहीं बल्कि सम्पूर्ण लोकों में स्थित हैं। व
Ramkishor Azad
मैं एक ऐसे मझधार में खड़ा हूं कि कहा जाना है और कहीं पर जा रहा हूं, मंज़िल तक नहीं पहुंच सका हूं जिनको समझना और खुद को समझा रहा हूं! झुक गया हूं उनके सम्मान में कि आंच नहीं आने दूंगा अपनें पिता जी की शान में,, काश! वो मुझे एक काबिल समझ पाते समाज की नजरों से दूर जाकर शब्दों में!! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramkishor Azad #bike_wale #मझधार #मंजिल #जिंदगी_का_सफर #शायरी #rsazad #treanding #viral #Love #पिताजी_को_समर्पित rasmi Nîkîtã Guptā Swarn Deep Bogal Pooja
Ramkishor Azad
White मैं एक ऐसे मझधार में खड़ा हूं कि कहा जाना है और कहीं पर जा रहा हूं, मंज़िल तक नहीं पहुंच सका हूं जिनको समझना और खुद को समझा रहा हूं! झुक गया हूं उनके सम्मान में कि आंच नहीं आने दूंगा अपनें पिता जी की शान में,, काश! वो मुझे एक काबिल समझ पाते समाज की नजरों से दूर जाकर शब्दों में!! डीयर आर एस आज़ाद... ©Ramkishor Azad #bike_wale #मझधार #मंजिल #जिंदगी_का_सफर #शायरी #rsazad #treanding #viral #Love #पिताजी_को_समर्पित rasmi Nîkîtã Guptā Swarn Deep Bogal Pooja
N S Yadav GoldMine
White (विष्णुपुराण १।१७।२०) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'हे पिताजी! हृदय में स्थित भगवान् विष्णु ही तो सम्पूर्ण जगत् के उपदेशक हैं। हे तात! उन परमात्मा को छोड़कर और कौन किसको कुछ सिखा सकता है।' भक्त प्रह्लाद जी।। ©N S Yadav GoldMine #mango_tree (विष्णुपुराण १।१७।२०) {Bolo Ji Radhey Radhey} 'हे पिताजी! हृदय में स्थित भगवान् विष्णु ही तो सम्पूर्ण जगत् के उपदेशक हैं। हे त
N S Yadav GoldMine
White यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ प्रह्लाद ने कहा-पिताजी! मैंने जो पढ़ा है वह सुनिये-l श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पादसेवनम्। अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} (श्रीमद्भा० ७।५।२३) जय श्री राधे कृष्ण जी...... 'भगवान् विष्णु के नाम और गुणों का श्रवण एवं कीर्तन करना, भगवान् के गुण, प्रभाव, लीला और स्वरूप का स्मरण करना, भगवान् के चरणों की सेवा करना, भगवान् के विग्रह का पूजन करना और उनको नमस्कार करना, दास भाव से आज्ञा का पालन करना, सखा-भाव से प्रेम करना और सर्व स्वसहित अपने-आपको समर्पण करना।' ऐसी बात सुनकर हिरण्यकशिपु चौंक पड़ा और उसने पूछा-यह बात तुझे किसने सिखायी? मेरे राज्य में मेरे परम शत्रु विष्णु की भक्ति का उपदेश देकर मेरे हाथ से कौन मृत्यु मुख में जाना चाहता है? ©N S Yadav GoldMine #good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म
N S Yadav GoldMine
White यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ प्रह्लाद ने कहा-पिताजी! मैंने जो पढ़ा है वह सुनिये-l श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पादसेवनम्। अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} (श्रीमद्भा० ७।५।२३) जय श्री राधे कृष्ण जी...... 'भगवान् विष्णु के नाम और गुणों का श्रवण एवं कीर्तन करना, भगवान् के गुण, प्रभाव, लीला और स्वरूप का स्मरण करना, भगवान् के चरणों की सेवा करना, भगवान् के विग्रह का पूजन करना और उनको नमस्कार करना, दास भाव से आज्ञा का पालन करना, सखा-भाव से प्रेम करना और सर्व स्वसहित अपने-आपको समर्पण करना।' ऐसी बात सुनकर हिरण्यकशिपु चौंक पड़ा और उसने पूछा-यह बात तुझे किसने सिखायी? मेरे राज्य में मेरे परम शत्रु विष्णु की भक्ति का उपदेश देकर मेरे हाथ से कौन मृत्यु मुख में जाना चाहता है? ©N S Yadav GoldMine #good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म
Shishpal Chauhan
Quotes on Father पिता हमारे घर की शान है, सदा बढ़ाते हमारा मान है। जीवन उनके बिना वीरान है, वे ही गुणों की अद्भुत खान है। संभालते हमेशा घर बार है, परिवार का कंधों पर भार है। जीवन हमारा उनका उधार है, उन्हीं से रहती घर की बहार है। पल-पल करते सुधार है, करते रहते सदा सोच विचार है। वे लगाते घर का बेड़ा पार है। सुख-दुख में भी सबसे करते प्यार है, नहीं मानते कभी हार है। ©Shishpal Chauhan #पिताजी_को_समर्पित