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Ganesh Kumar Verma
मां के मन और बाप के सपनों को संजोती हैं बेटियां। कितनी प्यारी, कितनी सुन्दर,कितनी अच्छी होती हैं बेटियां। घर के चाहे रिश्ते हों या नाते रिश्तेदारी मे, घर आँगन की क्यारी मे , जीवन की फुलवारी मे, सारे संबंधो को पिरोती हैं बेटियां। कितनी प्यारी, कितनी सुन्दर,कितनी अच्छी होती हैं बेटियां। हो ख़ुशी का पल तो गाती हैं मधुर गान, ख़ुश हो जाये मन देख उनकी प्यारी मुस्कान। आँखों को हीं देख जाएँ मन की बात जान, बिन कहे, बिन सुने,लें सारी बातें मान। घर में चाहे कोई हो दुखी, पलकें भिगोतीं हैं बेटियां। कितनी प्यारी, कितनी सुन्दर,कितनी अच्छी होती हैं बेटियां। घर में माँ का हाथ बटायें, पापा के वे जूते लाएं। रुठे भाई को वे मनाएँ, उससे अपना प्यार जताएं। कभी मां के पैर दबाएँ, कभी बाप का सर सहलाएं। पल में रोयें, पल में रूठें, फिर पल में मान भी जाएँ। समुद्र मंथन में निकले सारे रत्न, जो नहीं निकला वो मोती हैं बेटियां। कितनी प्यारी, कितनी सुन्दर,कितनी अच्छी होती हैं बेटियां। ©Ganesh Kumar Verma # कितनी अच्छी होती हैं बेटियां।
Deepak jha
कभी-कभी कितनी बातें होती हैं केहने को, जब कोई सुनने वाला नहीं होता। कभी-कभी कितनी बातें होती हैं...
Ashvani Kumar
"चीज़ें कितनी सही होती हैं न?" "मतलब?" "अगर हमने संभाल लिया होता?" "पर चीज़े मेरी तरफ से ही ख़राब नहीं हुई थी!" "मैंने कभी तुम्हें इल्ज़ाम नहीं लगाना चाहा" "पर हालातों ने मुझे ही गलत ठहराया" "तो मुझपे विश्वास करना था" "विश्वास ही तो टूटा" "मैं माफ़ी माँग चुका था उसकी" "पर मैं माफ़ नहीं कर पाऊंगा क्योंकि चीज़े अब वापस वैसे नहीं हो सकती" "तो अब?" "अब पता है.. बस मैं कभी-कभी सोचता हूं" "क्या?" "चीज़ें कितनी सही होती हैं न.." ©Ashvani Kumar #Pinnacle चीजें कितनी सही होती हैं न
Ek villain
मन को इस अवस्था तक कैसे लाए जाइए है मात्र मन को साधने से और चित्र की व्यक्तियों पर अंकुश लगाने से संभव है सरोवर में तरंग है की तरंग हो तो चल छठ में देख पाना असंभव होता है चित्र की समस्त वृत्तीय जब शांत हो जाती है तब ही अपने मूल स्वरूप के दर्शन होते हैं इससे बढ़कर स्वयं के लिए कोई और पुरस्कार नहीं इससे बड़ी उपलब्धि कुछ भी नहीं ©Ek villain मन की अवस्थाएं
mannat maan
कितनी तकलीफ होती है जब कोई हमारा ही हमारे सामने किसी और को अपनी जिंदगी बना ले कितनी तकलीफ होती है
Puru
कितनी अजीब होती है इंसान की फितरत निशानियां को महफूज रख कर शख्स को देता है , ©Puru कितनी अजीब होती है।।