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SHAILESH TIWARI
White हुस्न क्या है बुलबुला है मुझे तेरी रूह से प्यार है ये कागज़ के ग्रीटिंग कार्ड तो सब देते है मेरे हाथों मे मेरा दिल आज है ... तोड़ना , सहेजना चाहत है, अब तेरी अब दिल जो लग गया लग गया , सो लग गया ©SHAILESH TIWARI # हुस्न क्या है
# हुस्न क्या है
read moreRuhi
White जरुरी है क्या हर सफ़र पे चलना। सिर्फ़ एक रास्ता काफ़ी नही क्या।। कभी कभी बेमौसम बरसात भी होता है। हर मौसम का रंगीन होना ज़रूरी है क्या।। कभी दूरियों में भी प्यार दिखाया करो। हर बार मिल कर बताना ज़रूरी है क्या।। कभी आंखों में आंसू होना भी सही है। हर दिन मुस्कुराता जाए ये जरुरी है क्या।। कुछ ख्वाबों का अधूरा रहना भी सही है। हर सपनों का पूरा होना ज़रूरी है क्या।। फरिश्ता बन कर हज़ार ख़्वाब दिखाकर। झूठे वादे करना ज़रूरी है क्या।। रिश्तेदारी तो सब जानते हैं। ये बताओ सबको अपना कहना जरुरी है क्या।। बरसों पहले जो आइना टूटा था। आज वापस जुड़ने लगे तो मुश्किल है क्या।। तुमने तो मोहब्बत का अंजाम देखा है। ये बताओ दोबारा इश्क़ करना सही है क्या।। ©Ruhi ज़रूरी है क्या ?? #Thinking
ज़रूरी है क्या ?? #Thinking
read moreशुभम द्विवेदी
जीना क्या है? कल किसी दार्शनिक की भांति एक मित्र ने जिज्ञासा जाहिर की मैं असमंजस में पड़ गया क्या जवाब दूँ सहसा मेरे अंतर्मन से जवाब आया कि नफरतों की बाज़ार में मोहब्बत की दुकान हो कोई निर्धन या धनवान हो पूरे सभी के अरमान हों बूढा या जवान हो राजा या प्रजा हो सबका का अपना झोपडी या मकाँ हो। साक्षर हो या निरक्षर विरोधी हो या पक्षधर बराबर सम्मान हो ख़ुद पे न गुमान हो। अंत में मैंने कहा यही तो जिंदगी है अहा!अहा!अहा! वह बोला वाह!!! ©शुभम द्विवेदी #rayofhopeजीना क्या है
#rayofhopeजीना क्या है
read moreहिमांशु Kulshreshtha
नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..
क्या रिश्ता है..
read moreShashi Bhushan Mishra
आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
#आस्तीन के सांप बहुत थे#
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