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Arunima Thakur

मेरी दुल्हन              सुबह सुबह फोन की घंटी बज रही थी ।  मैं बहुत ही प्यारे सपनों में खोया था । कौन कमबख्त मुझे सपनों के लोक से निकालना #yqbaba #yqdidi #yqhindi #हिन्दीदिवस #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ankbyat #ATankD

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"मेरी दुल्हन"

(कृपया कहानी कैप्शन में पढ़े)
आपके स्नेह एंव सुझावों का स्वागत हैं) मेरी दुल्हन


             सुबह सुबह फोन की घंटी बज रही थी ।  मैं बहुत ही प्यारे सपनों में खोया था । कौन कमबख्त मुझे सपनों के लोक से निकालना

Anupama Jha

रतजगा था मेरा,चाँद परवाह मेरी करता रहा सिरहाने बैठ मेरे,मेरी दास्ताँ सुनता रहा। बहलाता, फुसलाता,मुझसे गुफ़्तगु करता रहा आहिस्ता आहिस्ता ,ज़ख् #yqdidi #दाग #गुफ्तगू #सोलह_कला

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रतजगा था मेरा,चाँद परवाह मेरी करता रहा
सिरहाने बैठ मेरे,मेरी दास्ताँ सुनता रहा।

बहलाता, फुसलाता,मुझसे गुफ़्तगु करता रहा
आहिस्ता आहिस्ता ,ज़ख्मों को मेरे सहलाता रहा।

नम आँखो को मेरे,चाँदनी से चूमता रहा
घास जैसे ओस को,खुद में जज़्ब करता रहा।

सुनकर दास्ताँ मेरे अधूरेपन की,बस खामोश रहा
कहाँ रह पाता वह भी पूरे रात का,यह मुझे समझाता रहा।

सोलह कलाओं को लेकर बैठा था,साथ मेरे
दाग की बात पूछने पर टालता रहा।

स्लेटी बादलों में छुपता रहा,दाग को अपने छुपाता रहा
न दिखाओ सरे आम दाग अपने,इशारों में यह बतलाता रहा। रतजगा था मेरा,चाँद परवाह मेरी करता रहा
सिरहाने बैठ मेरे,मेरी दास्ताँ सुनता रहा।

बहलाता, फुसलाता,मुझसे गुफ़्तगु करता रहा
आहिस्ता आहिस्ता ,ज़ख्

Dr Upama Singh

हर रंग का अपना वजूद रखते असर हर अच्छे बुरे की दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू इंसान को रंगों से डर नहीं होता गिरगिट की तरह बदलने वालों से हर #yqbaba #yqdidi #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #picturesthatspeak #atpaidtask #unique_upama #athorrorcolour

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         डरावना रंग जीवन के
      अनुशीर्षक में://👇👇

 हर रंग का अपना वजूद
रखते असर हर अच्छे बुरे की 
दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू
इंसान को रंगों से डर नहीं होता
गिरगिट की तरह बदलने वालों से हर

NEERAJ SIINGH

धूसर - स्लेटी रंग - मानसूनी घटाओं का रंग #neerajwrites #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqdidi #yqtales #yqhindi

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धूसर धुन्ध हल्की हल्की 
बारिश की बूंदे छलकी छलकी
हवाओ ने की रूमानी गलती
दिल को भाए मानसूनी झलकी धूसर - स्लेटी रंग - मानसूनी घटाओं का रंग
#neerajwrites #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqdidi #yqtales #yqhindi

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कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन4 कहानी लेखन पहली लघु कथा ************** ये हमारे साथ हकीक़त में घटित हुआ था इसमें कुछ भी काल्पनिक नहीं है, आशा करती #hindipoetry #trendingquotes #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #tarunasharma0004 #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #KKकविसम्मेलन4

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नमकीन वाली चाय (हास्य लघु कथा)
कृप्या अनु शीर्षक में पढ़ें कोरा काग़ज़ कवि सम्मेलन4
कहानी लेखन
पहली लघु कथा
**************
ये हमारे साथ हकीक़त में घटित हुआ था
इसमें कुछ भी काल्पनिक नहीं है,
आशा करती

Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

#बरता स्लेटी #friends #कविता

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वो बरता,स्लेटी
वो बालपन सेठी
सौंधी-सौंधी खुश्बू
उससे आती रहती
जिसमें थी,हमारी
यादो की खेती
वो बरता,स्लेटी
वो बालपन सेठी
उससे होकर ही,
नदियां थी बहती
खेलने में मजा
आता था इतना
भूख,प्यास सुधि
हमको न रहती
ज्यादा बरतेवाला
अमीरों का साला
पर फिसल गई है
बचपन की वो रेती
कोहिनूर सस्ता है
बचपन महंगा है
गर कोई धन बदले
लौटा दे,बचपन खेती
खुदा कसम,छोड़ दूं,
धन,जायदाद की बेटी
वो बरता स्लेटी
वो बालपन सेठी
इसके स्वाद आगे
मिठाई फीकी रहती
उसके स्वाद में,तो
अद्भुत तृप्ति रहती
वो बरते की मिट्टी
भीतर बड़ी महकती
ख़ास छोड़ दूं,
सब प्रपंच सारे
खा लूं फिर से
बरते ढेर सारे
में तो भूला दूँ 
सारी दुनियादारी
गर लौट आये 
बचपन की यारी
वो बरते,
जिसके लिये 
हम थे झगड़ते
अब नही रहे,
सो वर्ष हुए पूरे
मोबाइल युग मे
बच्चों के हाथों मे
न है,बरता स्लेटी
छोड़ दे,व्यर्थ हेकड़ी
उन्हें दे बरता स्लेटी
जिसमें बचपन की
वो चिड़िया चहकती
तोड़े मोबाइल बैटरी
ताकि बच्चे न पाये
रेडिशन हवा बहती
ओर पाये स्वस्थ रेती
वो बरता स्लेटी
बालपन की सेठी
उसमें मासूमियत
फूल से ज्यादा रहती
विज्ञान कहता है
बरते से पथरी होती
पर बचपन कहता है
इससे बीमारी न होती
तन से ज्यादा
मन के बढ़े,रोगी
बरते तो बरते है
ये हर व्याधि छेदी
जो काम करे,भले
वो खाते,स्लेटी बरते
स्लेटी बरते खाने से
मिटे तम घने से घने
खाते रहो,बरते स्लेटी
आंसू खाएंगे गुलेटी
हंसी की आयेगी,पेटी
यह है,बचपने की खेती

दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"

©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #बरता स्लेटी

#friends

JALAJ KUMAR RATHOUR

कहानियाँ और किस्से, पार्ट-२ विभिन्न विश्वस्नीय स्रोतों की सहायता से लगभग एक हफ्ते बाद मैंने और मेरे दोस्त अर्चित ने पता किया कि, उसका नाम #जलज

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कहानियाँ  और किस्से, 
पार्ट-२
विभिन्न विश्वस्नीय स्रोतों की सहायता से लगभग एक हफ्ते बाद मैंने और मेरे दोस्त अर्चित ने  पता किया कि, उसका नाम "सांझ"है । वो बंसल जी की नातिन है और बंसल जी व अपनी नानी के साथ रहती है।
वैसे मोहल्ले के प्रत्येक युवा में एक नई ऊर्जा आ गयी थी, सभी युवाओं ने सुबह सुबह टहलना शुरू कर दिया था ये संपूर्ण असर सांझ की वजह से था। वो थी ही इतनी आकर्षित कि लोग उसके दीवाने हो जाते थे। मैं भी उसके इन आशिको  में शामिल था । १जुलाई को मेरे स्कूल खुलने वाले थे। इसलिए नई किताबो और कॉपियों पर नेमप्लेट और कवर चढ़ाने के लिए मैं राजू पुस्तक भंडार की दुकान पर गया था। 
हमारे छोटे से शहर में किताबो और पुस्तको के लिए यही एक प्रसिद्ध दुकान थी। राजू भैया की इतनी बिक्री होती देख मेरे मन में कई बार इसी धंधे में जुड़ने का प्लान  आया पर वक्त से साथ सब धीरे-धीरे बदलता चला गया। १जुलाई के दिन आज नौवी क्लास में मेरा पहला दिन था। विज्ञान वर्ग में गणित का मिलना हमारे कॉलेज में जैकपॉट के लगने जैसा था और ये जैकपॉट मेरे हाथ भी लगा था।  के. के इंटर कॉलेज के रूम नंबर 9 में हमारे क्लासटीचर बैठे हुए थे। मेरे पास आये एक लड़के ने कान के पास फुसफुसाते हुए कहा "बडे खतरनाक है नागेंद्र सर मेरा भाई बता रहा था", उसने बताया की उसका भाई दसवी क्लास में है और पिछली साल नागेंद्र सर उसी के क्लासटीचर थे। गणित विषय के ज्ञाता और कविताओं के शौकीन है। नागेंद्र सर, मैं और मेरे साथ जो लड़का आया था इतेंद्र चौहान , ने सर से अपना नाम क्रमांक पंजिका में दर्ज करवाया और पंखे की नीचे वाली सीट पर बैठ गए।बाये तरफ लड़के और दाहिने तरफ लड़कियो के लिए जगह थी। समझ नही आता कि जब हम बराबरी की बात करते है,लड़के और लड़कियो में फिर उनके लिए जगह अलग अलग क्यूँ, क्या उन्हे हम एहसासे कराते है कि तुम लड़की हो,या हम उनके हिस्से पर भी अपना हक समझते है,तभी नागेंद्र सर ने कहा" आज मैं अटेंडेंस ले रहा हूँ कल से गणित शुरू करेंगे और सर ने बोलना शुरू किया, "रोल न. 1-पूजा, फिर रुककर बोले नाम सिर्फ आज ही बोल रहा हूँ आगे से सिर्फ रोल न. बोलूँगा........ रोल न. -9 खुशी...... रोल न. - 15 दीक्षा... रोल न. -18 आराध्या, रोल न. 19- साँझ , क्लास के दरवाजे से आवाज आयी "प्रेजेंट सर", सुबह के दस बजे थे उस वक्त इस वजह से सूरज की सीधी रोशनी दरवाजे से होते हुए मेरी आँखों, मेरे लक्ष्य देखने से बाधित कर रही थी। दरवाजे पर हाँफती और अपनी जुल्फो को कानो का रास्ता मुकम्मल कराती स्लेटी कलर के कुर्ते और सफेद दुपट्टे में वो बिल्कुल, दिन में सूर्य के कम प्रकाश में नजर आने वाले चाँद के समान लग रही थी,जिसे देखने के लिए सूर्य की रोशनी से तुमको लड़ना पड़ता है और सूर्य की रोशनी से मेरा लड़ना सफल भी हो गया था क्युकी ये सांझ, मेरी वाली ही सांझ थी , सर रोल न. बोलते जा रहे थे और सर ने रजिस्टर बन्द कर दिया, मैं सर के पास गया और बोला सर मेरा नाम नही बुला, उन्होंने नाम पूछा और बोला रोल न.20, सो रहे थे क्या जब में बोल रहा था। पहला घण्टा बजा और सर चले गए और छोड़ गए मेरा उपहास मेरा क्लास के सभी चेहरो पर, 
... #जलज राठौर कहानियाँ  और किस्से, 
पार्ट-२
विभिन्न विश्वस्नीय स्रोतों की सहायता से लगभग एक हफ्ते बाद मैंने और मेरे दोस्त अर्चित ने  पता किया कि, उसका नाम

JALAJ KUMAR RATHOUR

कहानियाँ और किस्से, पार्ट-२ विभिन्न विश्वस्नीय स्रोतों की सहायता से लगभग एक हफ्ते बाद मैंने और मेरे दोस्त अर्चित ने पता किया कि, उसका नाम #जलज

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कहानियाँ  और किस्से, 
पार्ट-२
विभिन्न विश्वस्नीय स्रोतों की सहायता से लगभग एक हफ्ते बाद मैंने और मेरे दोस्त अर्चित ने  पता किया कि, उसका नाम "सांझ"है । वो बंसल जी की नातिन है और बंसल जी व अपनी नानी के साथ रहती है।
वैसे मोहल्ले के प्रत्येक युवा में एक नई ऊर्जा आ गयी थी, सभी युवाओं ने सुबह सुबह टहलना शुरू कर दिया था ये संपूर्ण असर सांझ की वजह से था। वो थी ही इतनी आकर्षित कि लोग उसके दीवाने हो जाते थे। मैं भी उसके इन आशिको  में शामिल था । १जुलाई को मेरे स्कूल खुलने वाले थे। इसलिए नई किताबो और कॉपियों पर नेमप्लेट और कवर चढ़ाने के लिए मैं राजू पुस्तक भंडार की दुकान पर गया था। 
हमारे छोटे से शहर में किताबो और पुस्तको के लिए यही एक प्रसिद्ध दुकान थी। राजू भैया की इतनी बिक्री होती देख मेरे मन में कई बार इसी धंधे में जुड़ने का प्लान  आया पर वक्त से साथ सब धीरे-धीरे बदलता चला गया। १जुलाई के दिन आज नौवी क्लास में मेरा पहला दिन था। विज्ञान वर्ग में गणित का मिलना हमारे कॉलेज में जैकपॉट के लगने जैसा था और ये जैकपॉट मेरे हाथ भी लगा था।  के. के इंटर कॉलेज के रूम नंबर 9 में हमारे क्लासटीचर बैठे हुए थे। मेरे पास आये एक लड़के ने कान के पास फुसफुसाते हुए कहा "बडे खतरनाक है नागेंद्र सर मेरा भाई बता रहा था", उसने बताया की उसका भाई दसवी क्लास में है और पिछली साल नागेंद्र सर उसी के क्लासटीचर थे। गणित विषय के ज्ञाता और कविताओं के शौकीन है। नागेंद्र सर, मैं और मेरे साथ जो लड़का आया था इतेंद्र चौहान , ने सर से अपना नाम क्रमांक पंजिका में दर्ज करवाया और पंखे की नीचे वाली सीट पर बैठ गए।बाये तरफ लड़के और दाहिने तरफ लड़कियो के लिए जगह थी। समझ नही आता कि जब हम बराबरी की बात करते है,लड़के और लड़कियो में फिर उनके लिए जगह अलग अलग क्यूँ, क्या उन्हे हम एहसासे कराते है कि तुम लड़की हो,या हम उनके हिस्से पर भी अपना हक समझते है,तभी नागेंद्र सर ने कहा" आज मैं अटेंडेंस ले रहा हूँ कल से गणित शुरू करेंगे और सर ने बोलना शुरू किया, "रोल न. 1-पूजा, फिर रुककर बोले नाम सिर्फ आज ही बोल रहा हूँ आगे से सिर्फ रोल न. बोलूँगा........ रोल न. -9 खुशी...... रोल न. - 15 दीक्षा... रोल न. -18 आराध्या, रोल न. 19- साँझ , क्लास के दरवाजे से आवाज आयी "प्रेजेंट सर", सुबह के दस बजे थे उस वक्त इस वजह से सूरज की सीधी रोशनी दरवाजे से होते हुए मेरी आँखों, मेरे लक्ष्य देखने से बाधित कर रही थी। दरवाजे पर हाँफती और अपनी जुल्फो को कानो का रास्ता मुकम्मल कराती स्लेटी कलर के कुर्ते और सफेद दुपट्टे में वो बिल्कुल, दिन में सूर्य के कम प्रकाश में नजर आने वाले चाँद के समान लग रही थी,जिसे देखने के लिए सूर्य की रोशनी से तुमको लड़ना पड़ता है और सूर्य की रोशनी से मेरा लड़ना सफल भी हो गया था क्युकी ये सांझ, मेरी वाली ही सांझ थी , सर रोल न. बोलते जा रहे थे और सर ने रजिस्टर बन्द कर दिया, मैं सर के पास गया और बोला सर मेरा नाम नही बुला, उन्होंने नाम पूछा और बोला रोल न. 20,सो रहे थे क्या जब में बोल रहा था। पहला घण्टा बजा और सर चले गए और छोड़ गए मेरा उपहास मेरा क्लास के सभी चेहरो पर, 
... #जलज राठौर कहानियाँ  और किस्से, 
पार्ट-२
विभिन्न विश्वस्नीय स्रोतों की सहायता से लगभग एक हफ्ते बाद मैंने और मेरे दोस्त अर्चित ने  पता किया कि, उसका नाम
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