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RV Chittrangad Mishra

#camping ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन

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Unsplash ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर 
क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है

©RV Chittrangad Mishra #camping ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर 
क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन

Parastish

अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर

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White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें
देखे  जो  भी  कर  देती  हैं  उस  को  घायल वो आँखें 

दिल  में  पसरे  सन्नाटे  को  बाँध  के  अपने  पोरों  से 
बन के धड़कन  छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें 

शाम   सवेरे   डोले  ऐसे   मन   के   वीराँ   आँगन  में 
दूर  गगन   में  गोया  कोई  उड़ता  झाँकल  वो  आँखें

बचने  को  मुश्ताक़  जहां से मस्त रुपहली  क़ामत  पे 
शर्म  हया  का  पैराहन या  कह लो आँचल  वो आँखें 

उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना 
आलम  सारा  कर  दे  आबी  बरखा, बादल वो आँखें 

तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए 
कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें

©Parastish अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर
गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड
मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी
रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर

Poet Maddy

यूं तो शौक न था हमें कभी, महफ़िलों में शायरी पढ़ने का........ #HobbyPoetry#GATHERING#collide#disloyal#pen-PaperLifeSeemsAgeReach........

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यूं तो शौक न था हमें कभी,
महफ़िलों में शायरी पढ़ने का........
इक बेवफ़ा से क्या टकराए,
काग़ज़ पर कलम चलाने लगे........
जब सब पूछने लगे हमसे कि,
यहां आने में कितना वक्त लगा.......
कोई और होता ज़िंदगी लगती,
हमें तो यहां आने में ज़माने लगे......

©Poet Maddy यूं तो शौक न था हमें कभी,
महफ़िलों में शायरी पढ़ने का........
#Hobby#Poetry#Gathering#Collide#Disloyal#Pen-Paper#Life#Seems#Age#Reach........

Dharmendra Verma

#शौक

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Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

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आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain  आज का विचार 08.12.24  आज का विचार

Avadhesh Verma

दियरा का राजा का महल

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