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theABHAYSINGH_BIPIN
मय कसी में डूबकर मैं कहीं तो पहुँचा, तुझ तक ना सही, कहीं और तो पहुँचा। इश्क़ में डूबने पर होश किसको रहता, होश में हूँ जो, अपने घर तक तो पहुँचा। कहाँ आती अब मुझे वो पहले की नींद, यादों में खोकर, मैं तुझ तक तो पहुँचा। सवरने के दिन थे और मैं इश्क़ में डूबा, साहिल की तलाश में, बीच नदी तो पहुँचा। मुकम्मल इश्क़ की गुज़ारिश थी मुझे, इश्क़ में, उसके घर तक तो पहुँचा। तलाश थी मुझे उसके दिल के रास्ते की, मय कसी में ख़ुद की नीलामी में तो पहुँचा। ©theABHAYSINGH_BIPIN #सफ़र मय कसी में डूबकर मैं कहीं तो पहुँचा, तुझ तक ना सही, कहीं और तो पहुँचा। इश्क़ में डूबने पर होश किसको रहता, होश में हूँ जो, अपने घर तक त
#सफ़र मय कसी में डूबकर मैं कहीं तो पहुँचा, तुझ तक ना सही, कहीं और तो पहुँचा। इश्क़ में डूबने पर होश किसको रहता, होश में हूँ जो, अपने घर तक त
read morevish
मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, जो थम जाऊँ.... मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, जो साहिल से टकराकर भी, अपने सागर से मिल जाऊँ.... जिंद़गी ©vish # नदी की वो धारा
# नदी की वो धारा
read moreSatish Kumar Meena
Unsplash स्वाध्याय ज्ञान प्राप्त करने का सबसे अच्छा साधन है इससे अनुभव के साथ साथ मस्तिष्क का भी विकास होता है। ©Satish Kumar Meena स्वाध्याय
स्वाध्याय
read moreSANIR SINGNORI
पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI #DesertWalk नदी बचाओ
#DesertWalk नदी बचाओ
read moreCHOUDHARY HARDIN KUKNA
सियाराम बाबा मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के नर्मदा नदी के घाट पर स्थित भट्याण आश्रम के संत हैं और यहीं रहते हैं। इनकी वास्तिक उम्र क्या है ये
read moreनवनीत ठाकुर
White जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों में बसते हैं, हर दिल में अपने निशान छोड़ चलते हैं। खुद को भुलाकर जो बांटते जहान हैं, बनती वही हस्ती की पहचान है। ©नवनीत ठाकुर #जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों
#जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों
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