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AJAY NAYAK
माँ बदन को ढककर चीथड़ों से सूट बूट का आदमी बना दिया एक गज जमीं बेटे को मिल सके डोम को आखिरी चिर दे दिया। कोई उस मूरत को मां बुलाए, तो कोई उसे बुलाए माई नाम से अलग अलग जबान, अलग अलग नाम फिर भी उसकी एक ही पहचान। बात जब जब ख़ुद पर आई पचा लिया सारे दुःख दर्द बात जब जब आई बच्चों की लड़ गयी अपने ही सुहाग से । थोड़ा भी जान नहीं है शरीर में इस पड़ाव में पैरों ने भी धोखा दे दिया फिर भी कूद पड़ी पलंग से माँ कहकर बच्चों ने जो पुकार लिया । - अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #motherlove माँ बदन को ढककर चीथड़ों से सूट बूट का आदमी बना दिया एक गज जमीं बेटे को मिल सके डोम को आखिरी चिर दे दिया। कोई उस मूरत को मां
rajkumar
यह कहानी जरूर पढ़ना ©rajkumar घर में आज सुबह से ही बड़ी चीख पुकार मची हुई थी। ना जाने आज घर में कौन सा हंगामा हो गया था? रमेश की बीवी जोर जोर से चिल्ला रही थी। इतनी जोर से
Abhay Bhadouriya
वीर क्षत्राणी हाडी रानी की वीर गाथा (अनु शीर्षक में पढ़ें) प्रेम की बहुत सारी कहानियां पढ़ी होंगी आपने पर समर्पण और वीरता की ये कहानी अद्भुत है प्रेम, बलिदान ,समर्पण का इससे बेहतर उदाहरण शायद ही क
Sunil itawadiya
*अभी जिंदा रहने की उपयोगी सावधानियां* 🙏 👆अपने पूरे परिवार *को *बचाना हो तो इस उपयोगी (होमवर्क) सावधानियों को जरूर अमल करे* 🙏 अगर हम इ
DR. SANJU TRIPATHI
सिर ढककर कोसती जाए खुले सिर पर पूजती जाए इन पंक्तियों से यही अर्थ लगाया जा सकता है कि किसी भी व्यक्ति का आदर करना व्यक्ति के संस्कारों और दि
Writer1
सिर ढककर कोसती जाए खुले सिर पूजती जाए: ********************************************** अर्थात: संस्कार दिखावे में नहीं भाव में होने चाहिए । अ
SumitGaurav2005
अज्ञात
पेज-73 अर्श जी-अवश्य बहन.. !और एक बात आज सभी को भोजन मंडप के नीचे ही करना होगा.. यही प्रथा है.. चंद्रवती जी- आपने तो मेरे मुख की बात कह दी.. साधना जी- हाँ यानि पत्तल भोज.. वाह वाह.. कितना आनंद आयेगा ना बहन...! सभी एक साथ बैठकर भोजन करेंगे... ! दीदी सच कहूँ तो इतना सुख अनुभव हो रहा है ये सब देखकर कि क्या बताऊं ... सच में आजकल विवाह होते जरूर हैं मगर दिखावटी प्रतिस्पर्धा के लिये.. और हमारी कालोनी में जो हो रहा है वह तो ऐसा विवाह है जो शायद ही हम कभी भूल पायें..! अर्श जी-बिलकुल सच कहा बहन.. हमारी कालोनी में हर एक रत्न अपने आपमें अद्भुत है विलक्षण है.. किसी को कुछ कहने की कभी जरूरत ही नहीं होती.. सबमें इतना उत्साह भरा हुआ है कि बिना कुछ कहे ही हर कोई अपनी अपनी जबाबदारियाँ बख़ूबी निभा रहा है..! आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-73 चंद्रवती जी-और वो भी ऐसे कि सबका दिल जीत कर.. कभी कभी तो इन कल्पनाओं से निकलने का मन ही नहीं होता.. लगता है अब तो कल
kanta kumawat
मेरी माँ के बराबर कोई नहीं। बचपन के कुछ किस्से सुनों ज़रा में सो गया था सुकून से पर मेरी माँ रात भर सोई नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं। तुम भी माँ कीमत पता करों ज़रा आँचल के पल्लू में ढककर कभी धूप-छाँव में रोई नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं। देखकर अपने बच्चों को खाना में अभी भुखी हूँ कभी यह बात बताई नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं। आज भी सुकून मिलता घर में कोई एसा दिन नहीं जब माँ बोलकर खुशी पायी नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं। कान्ता कुमावत ©kanta kumawat मेरी माँ के बराबर कोई नहीं। बचपन के कुछ किस्से सुनों ज़रा में सो गया था सुकून से पर मेरी माँ रात भर सोई नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई न
Roopanjali singh parmar
जैसा कि मैंने तुम्हें पहले भी बताया है.. मुझे रंगों से बहुत प्यार है। ऐसा कोई रंग नहीं जो मुझे अपनी और नहीं खींचता, मगर फिर भी एक रंग है जो मेरे सामने आता है तो मैं अलग ही जुड़ाव महसूस करती हूँ। वो है.. "लाल रंग" जानते हो.. कभी किसी दुकान पर अगर मेरी नज़र लाल रंग के कपड़ों पर पड़ती है.. तो मैं हमेशा यही कहती हूँ.. ये लाल रंग मत दिखाया करो.. और दुपट्टे तो बिल्कुल भी नहीं। मुझसे जुड़ा हर शख़्स जानता है, मैं दुपट्टे बहुत पसंद करती हूँ, और अगर वो लाल रंग का हो, तो फिर तो ये मेरी कमजोरी है कि मैं नज़र अंदाज़ नहीं कर पाती। सुनो.. कभी अगर मुझसे ये कहना हो कि तुम मुझसे मोहब्बत करते हो.. तो ज़्यादा कुछ नहीं बस.. नीले रंग की सादी शर्ट पहनकर, किसी महंगे तोहफ़े से नहीं, बल्कि किसी लाल दुपट्टे से मेरे सिर को ढककर कह देना। इससे ज़्यादा ख़ूबसूरत सादगी भरा इज़हार हो ही नहीं सकता। #रूपकीबातें #roopanjalisingh जैसा कि मैंने तुम्हें पहले भी बताया है.. मुझे रंगों से बहुत प्यार है। ऐसा कोई रंग नहीं जो मुझे अपनी और नहीं खींचता, मगर फिर भी एक रंग है जो