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Stories related to अजगर सांप कैसा होता है

VIKHYAT REKWAR

जैसा बड़ा भाई होता है।

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White भाई शायरी इन हिंदी ... यार वो कोई और नहीं भाई होता है ! ... जिसका दोस्त जैसा बड़ा भाई होता है। ... वो बहन बड़े नसीबो से मिलती है ! ... तभी तो इस रिश्ते में इतना प्यार होता हैं।। ... ना भाईं

©VIKHYAT REKWAR  जैसा बड़ा भाई होता है।

Radhe Radhe

सच हमेशा कड़वा होता है

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Unsplash मेरी बात बहुत कड़वी है 
लोग अक्सर नाराज हो जाते हैं 
कही मैंने सुना है
सच हमेशा कड़वा होता है। 
🤭🤭🤭

©Radhe Radhe सच हमेशा कड़वा होता है

vksrivastav

कौन कैसा है जानना है अगर Life Shayari #SAD #Videos #viral #Trending #vksrivastav

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अनिल कसेर "उजाला"

वक़्त का होता नहीं ठिकाना है।

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Anuj Ray

# नफ़ा नुकसान तो होता रहता है "

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Unsplash नफ़ा नुकसान तो होता रहता है"

जर ज़मीन जोरू ,पसंद आने पे 
आदमी पैसों की जरा भी फ़िक्र नहीं करता। 

उसकी मनपसंद मुराद जो मिल 
जाती है उसको नफ़ा नुकसान तो होता रहता है।

पसंद आई चीज़ हाथ से निकल 
जाए तो उम्र भर दिल में मलाल होता रहता  है।

लोग सयाने कहते हैं पसंद आई वस्तु 
मुंह मांगे दम पर लो, नफ़ा नुकसान तो होता रहता है।

©Anuj Ray # नफ़ा नुकसान तो होता रहता है "

Praveen Jain "पल्लव"

#leafbook जड़ो से काटकर शिक्षा, कैसा ज्ञानी बना रही है

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Unsplash पल्लव की डायरी
जड़ो से काटकर शिक्षा
कैसा ज्ञानी बना रही है
उधेड़ रही परिवार समाज की बुनियाद
आज रिश्तों की बाँट लगा रही है 
बढ़ रहे है चरित्रों में दोष
वासनाओ में युवा डूबकी लगा रहे है
लज्जा हया शर्म सब ताक पर है
उच्च शिक्षा पाकर भी
निखार उनके जीवन मे नही आ रहा है
डिग्रियों के नाम पर
भारत का स्वरूप बिगाड़ा जा रहा है
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #leafbook जड़ो से काटकर शिक्षा, कैसा ज्ञानी बना रही है

neha rajput

इतना बड़ा अजगर सांप रूम से निकला

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Devendra Sahis

यें कैसा लंगड़ा है 😂😂 Comedy

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Ganesh Din Pal

#यह कैसा पागलपन?

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Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

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आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#
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