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श्यामजी शयमजी
White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में ©श्यामजी शयमजी #cg_forest कविता कविता
#cg_forest कविता कविता
read moreHARSH369
Black ए! रोशनी के अन्नन्त सागर ए! पुरे ब्रह्मान्द के रखवाले हे! कृष्णा, हे !भोलेनाथ,हे !ब्रह्मा आप तीन नही एक ही हो... अपने कर्म पथ को विभाजित करने के उद्देश्य से लोगों को राह दिखाने के उद्देश्य से अनंत धर्मो को एक साथ लाने के उद्देश्य से अलग अलग कार्य करने के उद्देश्य से आपको एक रूप को अनेको मे विभाजित होना पड़ा..! कर्म फल दाता आप,निर्वाहन कर्ता आप,विनाशक आप वरदाता आप हि तो हो..! आपको कोटी कोटी प्रनाम..!! ©HARSH369 #आपको प्रणाम #विचार
आपको प्रणाम विचार
read moreAsha Koli
White मत भूलना उन्हें अपनी खुशियाँ निछावर करके सीचा है जिन्होंने तुम्हारा भविष्य तुम्हारे कोमल कोमल हाथों को मजबूती से पकड़ कर सिखाया है जिन्होंने तुम्हे चलना खुद अपने हिस्से में एक रोटी कम खाती है पर वो माँ तुम्हे भरपेट सुलाती है वो बाप एक एक पैसे के लिए कड़ी मेहनत करता है त्योहार पर अपने लिए चाहे नए कपड़े ले न ले पर अपने बच्चे की हर इच्छा पूरी करता है मॉ बाप खुद कड़ी धूप में तपकर अपने बच्चों को छाव मे रखते हैं मत भूलना इन्हें अपनी जिंदगी के किसी भी मोड़ पर क्योंकि तुम आज जो कुछ भी हो इनके परिश्रम और त्याग कि बदौलत हो! ©Asha Koli मत भूलना उन्हें
मत भूलना उन्हें #कविता
read moreManish Raaj
उन्हें मिला होता ------------------ मैंने बाग़ में गुलाब देखा फिर, उन्हें देखा और सोचा, क़ाश मैं बाग़ को और गुलाब उन्हें मिला होता मनीष राज ©Manish Raaj #उन्हें मिला होता
हिमांशु Kulshreshtha
White उन्हें हदें पसन्द थीं हम ही बेहद हो गए ©हिमांशु Kulshreshtha उन्हें...
उन्हें... #शायरी
read moreGhumnam Gautam
b e t o o o o ©Ghumnam Gautam #अधूरा #ghumnamgautam #मन #प्रणाम #नवरात्र
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
कविता #शायरी
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