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Stories related to हैसियत प्रमाण पत्र

shalini jha

# भावों का जीवन को वरण कर जीवंत हो सुख दुख को बांटना जीवन की शाख पर पत्तों सा लहराना हवा के झोंको में सुगंध बन दिशाओं की निर्मलता

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White  भावों का जीवन को वरण  कर 
जीवंत रह दुःख  से सुख की यात्रा 
 जीवन की शाखाओं पर
पत्तों सा लहराना 
हवा के झोंको  में 
सुगंध बन दिशाओं की  
निर्मलता का स्पर्श   
नदी बन सागर के खारेपन में 
 घुल जाना  मिठास का  
छांव बन  छिप जाना शीतलता को 
 कुछ क्षण प्रकाश का 
 दिव्यता बोध  से भरे 
सकारकता के कई कई प्रमाण  हैं

©shalini jha # भावों का जीवन को वरण  कर 
जीवंत हो सुख दुख को बांटना   
 जीवन की शाख पर पत्तों सा 
लहराना हवा के झोंको  में 
सुगंध बन दिशाओं की  
निर्मलता

azad satyam

#Travelstories 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 अहम का वहम मत पालिए जनाब, स्वयं को उच्च समझ के जिसे तुच्छ समझ रहे हो, याद रखना तुमसे भी उच्च कोई है और उस

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💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

अहम का वहम मत पालिए जनाब,
स्वयं को उच्च समझ के जिसे तुच्छ समझ रहे हो,
याद रखना तुमसे भी उच्च कोई है
और उसके सामने तुम तुच्छ ही हो,
सो आसमान पर उड़ो,
लेकिन जमीन पर पैर टिकाने को बेताब रहो।
ताकि हैसियत पता रहे

#ek_panchi_diwana_sa

©azad satyam #Travelstories 
💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞

अहम का वहम मत पालिए जनाब,
स्वयं को उच्च समझ के जिसे तुच्छ समझ रहे हो,
याद रखना तुमसे भी उच्च कोई है
और उस

Andy Mann

बरगद की बराबरी की बातें करते हैं, 
     गमले मे उगे हुए कुछ लोग...||

©Andy Mann #हैसियत

anmol khede

फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विश्वसनीय पवित्र पुस्तक है जो हदीसों में से चुनी हुई हदीसों का प्रमाण लेकर बनाई गई है। हदीस मुसलमानों के लिए पवि

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say saheb ji

©anmol khede फजाईले आमाल मुसलमानों की एक विश्वसनीय पवित्र पुस्तक है जो हदीसों में से चुनी हुई हदीसों का प्रमाण लेकर बनाई गई है। हदीस मुसलमानों के लिए पवि

PRIYA SINHA

💌"प्रेम पत्र"📝

प्यार के पन्नों पर , 
प्यार की स्याही से -
लिखे थे मैंने कुछेक , 
प्यार भरे अल्फ़ाज़ ;
पर बहुत अफ़सोस - 
किसी को समझ नहीं आया ;
कभी कोई पढ़ हीं ना पाया ;
तो किसी को रास आया नहीं , 
मेरा प्यार-ए-बयां अंदाज़ ! 
कोई चला गया पन्ने पलट कर ;
तो कोई चला गया मुझसे हीं , 
बहुत बड़ा छल - कपट कर ! 
कोई चला गया प्यार के पन्नों , 
को हीं बेरहमी से फाड़ कर ;
तो कोई खुश होता रहा बहुत , 
मुझे हर-पल जीते-जी मारकर  ! 

प्रिया सिन्हा 𝟐𝟏 जनवरी 𝟐𝟎𝟐𝟓.
(मंगलवार)

©PRIYA SINHA #प्रेम #पत्र

Parul Sharma

वो पुराने खत जो कभी तुझ तक पहुंचे ही नहीं आज उन्हीं नज़्मों पर खूब वाहवाही मिलती है तुझे आह नहीं महसूस हुई तो क्या इस वाहवाही में किसी

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset  वो पुराने खत
कभी तुझ तक पहुंचे ही नहीं 
आज उन्हीं नज़्मों पर
खूब वाहवाही मिलती है 
तुझे आह नहीं महसूस हुई तो क्या 
 इस वाहवाही में 
किसी ना किसी की
आह दब जाती है वो बटोर लेता है 
अपने दर्द इन शब्दों के गागर में 
अगर किसी का भी दिल हल्का हो जाय 
दर्द घट जाये तो रचना पूर्ण है
इस गागर में सागर 
प्रेमिका व प्रेमी के प्रेम की अभिव्यक्ति है
जो नज़्में लिखी जाती है
अपने प्रेमी या प्रेमिका का के लिए 
जो सिर्फ एकतरफा हो दो तरफा भी हो
समझे नहीं जाते या समझे भी जाते हो
दफन तो नहीं है जाते
वो हो जाते हैं अमर कवि 
और कवि की रचना की तरह
तुमने जिन्हें जाना नहीं या 
थे अनभिज्ञ या जानबूझ कर अनजान थे
वो मेरे पुराने प्रेम पत्र 
जो पहुंचे नहीं तेरे दिल तक 
वन कर नज़्म अमर हो रहे हैं 
हर किसी के दिल में जगह बना के
किसी फिल्मी गाने की तरह
गायें जाते हैं गायें जायेंगे 
क्योंकि वो प्रेम पत्र है 
सब अब बस वो प्रेम पत्र है 
गुमनाम प्रेमिका के प्रेमी के लिए 
गुमनाम प्रेमी के प्रेमिका के लिए 
अब बस वाकई वो प्रेम पत्र ही है 
फिल्मी गानों की तरह जिन्हें 
कोई भी गा सकता है 
अपने प्रेमी प्रेमिका के लिए

©Parul Sharma वो पुराने खत जो
कभी तुझ तक पहुंचे ही नहीं 
आज उन्हीं नज़्मों पर
खूब वाहवाही मिलती है 
तुझे आह नहीं महसूस हुई तो क्या 
 इस वाहवाही में 
किसी

theABHAYSINGH_BIPIN

#GoldenHour Sheetal Shekhar Sarfraz Ahmad Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) Monu Kumar Saurabh Tiwari नज़र से नज़र मिलाकर तुम क

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नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे,
ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे।
उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर,
मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे।

अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है,
कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे।
टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी,
अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे।

बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं,
मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी।
मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका,
उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी।

ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी,
मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे।
बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी,
राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे।

भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं,
मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे।
नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर,
मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे।

बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त,
और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे।
मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया,
इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे।

दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा,
तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे।
मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू,
उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN #GoldenHour 
 Sheetal Shekhar  Sarfraz Ahmad  Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal)  Monu Kumar  Saurabh Tiwari 
 नज़र से नज़र मिलाकर तुम क

Parasram Arora

प्रमाण

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Unsplash एक नास्तिक ने एक आस्तिक से  
ईश्वर के होने काप्रमाण मांग लिया 

आस्तिक ने कहा" तुम हो मै हूँ  "
और हमारा ये होना ही ईश्वर के होने का जीवत प्रमाण हैँ

©Parasram Arora प्रमाण
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