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koko_ki_shayri
ख़्वाब देखा है मैंने भी, मुक़ाम हासिल करना है! जन्नत की चाह तो नहीं, पर जिंदगी में इक नया आगाज़ की जरूरत हैं!! ©koko_ki_shayri #zindagi में नया आगाज़ चाहिए...💕💕
aditi the writer
आज हमने एक दुनिया बेची और एक दीन ख़रीद लिया हमने कुफ़्र की बात की सपनों का एक थान बुना था एक गज़ कपड़ा फाड़ लिया और उम्र की चोली सी ली आज हमने आसमान के घड़े से बादल का एक ढकना उतारा और एक घूँट चाँदनी पी ली यह जो एक घड़ी हमने मौत से उधार ली है गीतों से इसका दाम चुका देंगे - अमृता प्रीतम ©aditi the writer #Amrita Niaz (Harf) Kundan Dubey R Jain आगाज़
aditi the writer
वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली, मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली, मिट्टी हांसे, मिट्टी रोवे, अंत मिट्टी दा, मिट्टी होवे, ना कर बन्दया मेरी-मेरी, ना ऐह तेरी ना ऐह मेरी, चार दिना दा मेला दुनिया, फ़िर मिट्टी दी बन गयी ढेरी, ना कर एत्थे हेरा फेरी, मिट्टी नाल ना धोखा कर तू, तू वी मिट्टी मैं वी मिट्टी, जात पात दी गल ना कर तू, जात वी मिट्टी पात वी मिट्टी, जात सिर्फ खुदा दी उच्ची, बाकी सब कुछ मिट्टी मिट्टी बाबा फरीद ©aditi the writer #relaxation Niaz (Harf) Kundan Dubey आगाज़
aditi the writer
om namah shivaay वो भोला है शिव है पर करता जब तांडव है तब वो हलाहल पीने वाला नीलकंठ है गंगा को सर पर धारण करने वाला गंगाधर है गौरी का शंकर पार्वती का भोलेनाथ है भक्तों का भोले भंडारी है।। ©aditi the writer #mahashivaratri Niaz (Harf) Kundan Dubey आगाज़
aditi the writer
मैं बेचैन हूं आज अकेलेपन के कारण ये झरोखा ही है मेरा साथी बस मेरी खुशी है इसके कारण ये ही तो है जो मेरे दिलदार का दीदार करा देता है मुझसे मोहब्बत के कारण ©aditi the writer #झरोखा Niaz (Harf) Kundan Dubey आगाज़ R Jain
Gurudeen Verma
शीर्षक - हम वह मिले तो हाथ मिलाया --------------------------------------------------------------- हम वह मिले तो हाथ मिलाया बढ़ने को आगे हाथ हिलाया।। बात हुई पलभर के लिए। हाय ! यह भी कोई मिलना हुआ।। हम वह मिले तो-------------------।। इस इंसान को क्या हो गया है। रोग इसे ऐसा क्या हो गया है।। दौड़ रहा है सुख पाने को। दौलत का भूत यह हो गया है।। रुकता नहीं करने को विश्राम। हाय ! यह भी कोई जीना हुआ।। हम वह मिले तो-----------------।। बेच दिया इसने ईमान अपना। मार दिया इसने इंसान अपना।। छोड़ दिया है करना शर्म भी। भूल गया यह भगवान अपना।। लूट रहा है मुफ़लिसों को। हाय ! यह भी कोई इंसान हुआ।। हम वह मिले तो-----------------।। हमसे मिलन भूल गया वह कल का। हमसे वादा भूल गया वह कल का।। झूठा है उसका प्यार और रिश्ता। हमसे प्यार भूल गया वह कल का।। उसके लिए अजनबी है अब हम। हाय ! यह भी कोई साथी हुआ।। हम वह मिले तो------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीत
aditi the writer
जब हम रो नही पाते सुख से सो नही पाते जब हम खो नही पाते तब बचपन याद आता है जब चिंता सताती है हमारे तन को खाती है जब भी मन नही मिलता तब बचपन याद आता है जब हम टूट जाते है जब अपने रूठ जाते है जब सपने सताते है तब बचपन याद आता है बच्चे हम रह नही पाते बड़े हम हो नही पाते खड़े भी रह नही पाते तब बचपन याद आता है किसी को सह नही पाते अकेले रह नही पाते किसी को कह नही पाते तब बचपन याद आता है ©aditi the writer #bachapan jassi gill Niaz (Harf) shraddha.meera आगाज़