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Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
prashant Singh rajput
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lalitha sai
एक कथा.. जिस कथा में हो एक ऐसा अर्थ सबके सोच के परे हो... कुछ लघुकथा ऐसे दिल चुरा लेते है.. कोई सोच भी नहीं सकता.. अंत में एक सुकून के एहसास को.. दिल और दिमाग़ में छा जाते है.. बहुत पहले से ही मैं शॉर्टफ़िल्म के शौकीन हूँ.. कुछ कुछ शॉर्टफिल्म्स ऐसे होते है.. जिसे title कुछ अलग होता है.. देखने के बाद पता चले.. कितना म
Anil Ray
क्या लिखे अब अनिल तुझे कहानी.. तेरे किरदार जो बाजार में सरेआम बिकते है। ©Anil Ray ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 बहुत दर्द दिया है यें जिंदगी तुमने तहेदिल से तेरा, शुक्रिया अदा हो। पाशविकता में बसर, होता जीवन दर्द हमसफ़र बनकर न आया
Anil Ray
..............किताबें-जिंदगी का हरेक पृष्ठ कलम के आँसूओं में डूब गये.............! ..….........हे जिंदगी! जब से तुमको हम बस अल्फाज़ों में है लिखने लगे..........! .......निज स्वरूप से परे मिथ्या किरदार शख्स निजस्वार्थ में प्रयासरत रत है.....! सत्य-पृष्ठभूमि परेशां धूमिल झूठे पन्नों से खुली किताब को बयां होने में वर्षो लगे.! ज़िन्दगी किताब! का रचयिता नाटककार नेपथ्य से सारा नाटक पात्रों से कराता है! .....सारा नाटक खेलकर भूमिका अजीब इस मिट्टी शरीर को मिट्टी समाने लगे.....! ....अनिल नाटक ही सही किताबें-जिंदगी हर किरदार स्वर्णिम स्याही से प्रकाशित..! ...पन्नों में हो इतिहास बयां जमाने के लिए लिखने-पढ़ने में किताब को काल लगे....! ©Anil Ray ❣️✍🏻.. अखबारी मेरी मृत्यु-ख़बर हो ..✍🏻❣️ ज़ख्म देकर असहनीय दर्द दिया जिंदगी आपने इस दर्दे-दिल से भी, तेरा सदा शुक्रिया अदा हो। पाशविकता मे
Divyanshu Pathak
All fear revolve round the body as the center and would therefore disappear as soon as one got rid of attachment for the body. सारे भय मात्र देह के कारण होते हैं । शरीर ही भय का केंद्र है, जैसे ही शरीर का ज्ञान होता है सारे भय अपने आप मिट जाते हैं। वास्तव में भय का क
Anil Ray
पुरुष की एक संज्ञा उसका पौरुष और अदम्यता से परिपूर्ण अद्भुत साहस है। यह साहस अतिश्योक्ति और दुष्स्वरुप धारण कर पाशविकता में परिवर्तित... पुरुष सत्ता ही स्त्री शक्ति से श्रेष्ठ है...! और पुरुष सत्ता के समर्थक सदैव ही इसी रूप का अन्यायोचित उपयोग सतत रूप से सदियों से प्रचलित भी है। परन्तु...पुरुष हर्षोल्लास से खुशी मनाये वह सदा ही विकास क्रम में स्त्रियों से पिछड़ा हुआ अविकसित व विकासशील है। जिस दिन पुरूष सच में विकास प्राप्त कर पुरुषोत्तम स्वरुप में होगा वह स्त्री ही है। दरअसल वात्सल्य, प्रेम, दया एवं कोमलता से ही इस सृष्टि का संरक्षण सम्भव है और यह सब स्त्रियों के सद्गुण है पुरुषों के नही। स्वभाव का एक ओर नाम है प्रकृति..और जिसकी प्रकृति विकृत उसकी सृष्टि भी। अजीब है ऐसी विकृत मानसिकता वाले लोग इस महासृष्टि से अपना एकाधिकार चाहते है। जो पुरुष किसी स्त्री की आबरू को संरक्षण नही देता अथवा प्रयास ही नही करता है... वह पुरुष माँ का पुत्र, बहिन का भाई या फिर पत्नी का पति अथवा क्या महिला-मित्र कहलाने का न्यायिक अधिकारी है??? दोस्तों बंदिशें चारदीवारों की नही है चारदिवारी में बंद तहज़ीब की है वरना.. यह सृजन प्रकृति तो अपनी हैसियत गर्भावस्था के दौरान भी दिखा सकती है तुम साहस को अपनी निजी सम्पत्ति का ख्याल भी मन से निकाल फेक दो... अगर स्त्री प्रकृति है तो क्यों नही पुरुष इस प्रकृति में समर्पित भाव को लेकर पूर्णतः स्वयं को समाहित कर दे ताकि सृष्टि सुरक्षित और रमणीय रहे सदा। ©Anil Ray 🩷🩷🩷 स्त्री प्रकृति या प्रकृति स्त्री 🩷🩷🩷 पुरुष की एक संज्ञा उसका पौरुष और अदम्यता से परिपूर्ण अद्भुत साहस है। यह साहस अतिश्योक्ति और दुष्स
i am Voiceofdehati
शिवलिंग में "लिंग" शब्द का सही अर्थ (पूरा पढ़ें- अनुशीर्षक में) #विजयंत_सिंह_सनातनी: पढ़िए वास्तविक सच्चाई। #शिवलिंग_को_गुप्तांग_की_संज्ञा_कैसे_दी_दुष्टों_ने अब हम सनातनी हिन्दू खुद शिवलिंग को शिव् भगवा
RAJ SINGH ✔️