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Aniket Rai

मजारों मे रहते हो या मिनारों में किसी पहाड़ पर रहते हो या नदी के किनारों में। गीता के उपदेश मे ढूंढ़ू या कुरान के सूरों में ये बता दो कि घर की

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बता दो कि तुम्हे हिंदू मानू या मुसलमान मानू? मजारों मे रहते हो या मिनारों में
किसी पहाड़ पर रहते हो या नदी के किनारों में।
गीता के उपदेश मे ढूंढ़ू या कुरान के सूरों में
ये बता दो कि घर की

Nagvendra Sharma( Raghu)

जिंदगी में 'उम्मीदें' महल, 'सपने' खंडहर और 'मिनारें' खुद्दारी होती है, टकरा जाता हूं खुद से अक्सर,मेरी कुछ इस तरह भी खुद से 'यारी' होती है । #मोहब्बत #दोस्ती #jaunelia #जुनून #nagvendrasharma #आखिरीमोहब्बत #ईश्वर_सिगरेट_और_मैं

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जिंदगी में 'उम्मीदें' महल, 'सपने' खंडहर और 'मिनारें' खुद्दारी होती है,
टकरा जाता हूं खुद से अक्सर,मेरी कुछ इस तरह भी खुद से 'यारी' होती है ।। जिंदगी में 'उम्मीदें' महल, 'सपने' खंडहर और 'मिनारें' खुद्दारी होती है,
टकरा जाता हूं खुद से अक्सर,मेरी कुछ इस तरह भी खुद से 'यारी' होती है ।

ASHKAR Shahi

"मलाल" जिंदगी भर मलाल रहेगा फिर भी इस इश्क़ का रंग लाल रहेगा, कर तो दिया तुमने खंजर-ए-दगा से वार इस दिल पर, ये दिल अब घायल ही र #yqdidi #malal #songlover #healing__heartt #i_am_lonely

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         "मलाल" 
जिंदगी भर मलाल रहेगा 
फिर भी इस इश्क़ का रंग लाल रहेगा,
कर तो दिया तुमने खंजर-ए-दगा से वार 
इस दिल पर, 
ये दिल अब घायल ही रहेगा...           "मलाल" 
जिंदगी भर मलाल रहेगा 
फिर भी इस इश्क़ का रंग लाल रहेगा,
कर तो दिया तुमने खंजर-ए-दगा से वार 
इस दिल पर, 
ये दिल अब घायल ही र

Shweatnisha Singh🌸

🍁*ऐसा क्यूँ है...!!!*🍁 वो‌ कहते हैं, इश्क़ है तुमसे, फ़िर ये दिलों के मकां बंज़र क्यूँ है! दर-ओ-दीवारों से यादें टपकती है, इन‌ ऊँ #विचार #reasons #nojotohindiwriters #nojotoworld #soothingsouls #कुछतोकमीहै #shweatnisha_singh #ऐसा_क्यूँ_है #अनसुलझे_पहलू #souluntold

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*ऐसा क्यूँ है...!!!*

वो‌ कहते हैं, इश्क़ है तुमसे,
फ़िर ये दिलों के मकां बंज़र क्यूँ है!

  दर-ओ-दीवारों से यादें टपकती है,
इन‌ ऊँची मिनारों में सन्नाटे क्यूँ हैं!

परवाज़ लगाए परिंदा उड़ कर आसमां में,
ज़मीं से बिछड़ कर, वो अकेला क्यूँ है!

जिस्मानी रिश्ते बिक रहे हैं थोक में,
है ये बाज़ार, तो हर शख़्स तन्हा क्यूँ है!

   ग़ुज़र‌ गया हर‌ क़स्बा राहगिरों की तरह,
मंज़िल पर आकर, तेरी आँखों में नमी क्यूँ है!

अंधेरे में चेहरे नज़र आते नहीं,
रौशनी हुई तो, पीठ‌ पर ख़ंज़र क्यूँ है!

महफ़िल में यार के, हँस रहा वो ज़ोर-ज़ोर‌ से,
सवाल है, महबूब मिरा, साथ मिरे यार के, खड़ा क्यूँ है!

ये कैसी लपटें उठी हैं कि, जल‌ रहा है जहां,
है बरसात, मगर, सीने में तपन क्यूँ है!

वो कहते हैं, सब ठीक है ख़बर यहाँ,
है सब ठीक वहाँ तो, मेरे शहर में ज़लज़ला क्यूँ है!

मुस्कुराकर मिल‌ रहे हैं वो, इक ज़माने के बाद,
आज भी वो बात-बात पर नज़र चुराते क्यूँ हैं!

नाकद्रों की टोली में इंसां बहुत हैं जनाब,
है ख़राब ज़माना, घर-घर में बेटियांँ क्यूँ है!

कई हैं जवाब, हर बात की बहुत लाजवाब,
है हज़ार विचार, मन‌ में इतने सवाल क्यूँ है!!

मन में इतने सवाल क्यूँ हैं...???

🍁🍁🍁

©Shweatnisha Singh🌸 🍁*ऐसा क्यूँ है...!!!*🍁

     वो‌ कहते हैं, इश्क़ है तुमसे,
फ़िर ये दिलों के मकां बंज़र क्यूँ है!

  दर-ओ-दीवारों से यादें टपकती है,
  इन‌ ऊँ

KHINYA RAM GORA

आ मिलन को तरस रही हैं , चार मिनारें ताज़ की 💞 दो बाहें " शाहजहाँ " की दो बाहें " मुमताज "की 💞.. 😇21.4.21 #PoetInYou enjoy life Deepak kum #शायरी

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चुप थे आ मिलन को तरस रही हैं , चार मिनारें ताज़ की 💞

दो बाहें " शाहजहाँ " की दो बाहें " मुमताज "की 💞.. 😇

©khinyaram (LADLA) gora आ मिलन को तरस रही हैं , चार मिनारें ताज़ की 💞

दो बाहें " शाहजहाँ " की दो बाहें " मुमताज "की 💞.. 😇21.4.21

#PoetInYou  enjoy life Deepak kum

Mohammad Arif (WordsOfArif)

लकीरें खींच देने से सरहदें नहीं बना करती दिलों में नफरतों होने से दीवारें नहीं बना करती मुल्क बन भी गया तो क्या हुआ जज़्बात में प्यार की बा #Quotes #Love #Hindi #Shayari #शायरी #urdu #Arif

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लकीरें खींच देने से सरहदें नहीं बना करती
दिलों में नफरतों होने से दीवारें नहीं बना करती

मुल्क बन भी गया तो क्या हुआ जज़्बात में
प्यार की बात करने से महलें नहीं बना करती

ये बूढ़ी आंखें रस्ता कब से देख रही है तुम्हारी
ऐसी कमाई करने से प्यारे रिश्ते नहीं बना करती

दिन रात हाय तौबा करने से क्या मिलेगा तुम्हें
रोज ऐसा करने से घर की मिनारें नहीं बना करती

देखा नहीं रुश्वाई तुमने कभी तंग गलियों में
महफ़िल में ऐसे रोने से किस्मते नहीं बना करती

तन्हाई का आलम हमसे अब मत पूछो आरिफ
अकेले रोने से बिगड़े हुए रिश्ते नहीं बना करती लकीरें खींच देने से सरहदें नहीं बना करती
दिलों में नफरतों होने से दीवारें नहीं बना करती

मुल्क बन भी गया तो क्या हुआ जज़्बात में
प्यार की बा

Qamar Abbas

मुहब्बत की दीवार बनवा देता,
या कोई हसीन शाहकार बनवा देता
शाहजंहा ने बनवाया एक ताजमहल गर तु हाँ कर तो तेरी खातिर
आसमां से ऊंची मिनार बनवा देता।

(क़मर अब्बास) #मिनार

Siddharth Balshankar

#firstquote जरुरत आज एक लफ्ज दिल में घर कर गया ना जाने लगा की, जैसे रूह को जिस्म की आयत की तरहा, जैसे तपती धुप में प्यासे को, पाण

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जरुरत 
आज एक लफ्ज दिल में घर कर गया 
ना जाने लगा की,
जैसे रूह को जिस्म की आयत की तरहा,
जैसे तपती धुप में प्यासे को,
पाणी की चाह की तरहा, 
जैसे मिनारो मे गुंजती आवाजों की तरहा,
जैसे माँझी को तलाश हो किनारे की तरहा
हमे इस लफ्ज की आदत हो,
सूरज की पेहेली निकलती किरण की तरहा,
अवकाश में फेले तारो की रोशनायो की तरहा
ये चार लफ्जों का अक्स हमें कुछ यू,
अपनासा तो नही लगता,
हर वक्त ये लफ्ज इम्तेहान सा तो नही लगता,
और कभी खुद को खुदि से पूछा जाये,
ये हमे बे आशियाना तो नही लगता,
आज मायीसो के दौर में,
अंधेरों सुलगती आग की चिंगारी यो में,
गरमी के मौसम मे लगे जैसे 
हवाओं ठंड की चाहत हो जैसे,
अपने चारो और ये लफ्ज हमे घुरता हो जैसे 
हमे शुरुवात के दौर में कोई क्यूँ नहीं मिलता,
हादसे गुजर जाते हि ये वक्त का पेमाना,
हम पे हुकुमत क्युँ ये करता,
आज भी और आने वाले कल मे भी,
हर शक्स मे भी ,हर पल मे भी
हम इस से दुरिया कब तक दिखायेंगे 
आप और हम से एक का असल रास्ता दिखायेंगे 
सभी से एक बात ही कहुँगा,
किसी की जरुरत बनो 
लेकीन जरुरतो का मोहताज मत बनो #firstquote
         जरुरत 
आज एक लफ्ज दिल में घर कर गया 
ना जाने लगा की,
जैसे रूह को जिस्म की आयत की तरहा,
जैसे तपती धुप में प्यासे को,
पाण

Siddharth Balshankar

आज एक लफ्ज दिल में घर कर गया ना जाने लगा की, जैसे रूह को जिस्म की आयत की तरहा, जैसे तपती धुप में प्यासे को, पाणी की चाह की तरहा, जैसे मिना #अनुभव

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जरुरत 
आज एक लफ्ज दिल में घर कर गया 
ना जाने लगा की,
जैसे रूह को जिस्म की आयत की तरहा,
जैसे तपती धुप में प्यासे को,
पाणी की चाह की तरहा, 
जैसे मिनारो मे गुंजती आवाजों की तरहा,
जैसे माँझी को तलाश हो किनारे की तरहा
हमे इस लफ्ज की आदत हो,
सूरज की पेहेली निकलती किरण की तरहा,
अवकाश में फेले तारो की रोशनायो की तरहा
ये चार लफ्जों का अक्स हमें कुछ यू,
अपनासा तो नही लगता,
हर वक्त ये लफ्ज इम्तेहान सा तो नही लगता,
और कभी खुद को खुदि से पूछा जाये,
ये हमे बे आशियाना तो नही लगता,
आज मायीसो के दौर में,
अंधेरों सुलगती आग की चिंगारी यो में,
गरमी के मौसम मे लगे जैसे 
हवाओं ठंड की चाहत हो जैसे,
अपने चारो और ये लफ्ज हमे घुरता हो जैसे 
हमे शुरुवात के दौर में कोई क्यूँ नहीं मिलता,
हादसे गुजर जाते हि ये वक्त का पेमाना,
हम पे हुकुमत क्युँ ये करता,
आज भी और आने वाले कल मे भी,
हर शक्स मे भी ,हर पल मे भी
हम इस से दुरिया कब तक दिखायेंगे 
आप और हम से एक का असल रास्ता दिखायेंगे 
सभी से एक बात ही कहुँगा,
किसी की जरुरत बनो 
लेकीन
जरुरतो का मोहताज मत बनो आज एक लफ्ज दिल में घर कर गया 
ना जाने लगा की,
जैसे रूह को जिस्म की आयत की तरहा,
जैसे तपती धुप में प्यासे को,
पाणी की चाह की तरहा, 
जैसे मिना

Tarik khan khokhar

मिनार #शायरी

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ना कोई ताज होता।। ना कोई मिनारे होती।।
जो बदल रहे है नाम मेरा शहरो का।।
हक बोलू  तो ना भारत का विस्तार होता।। मिनार
loader
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