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हर्ष कुमार श्रीवस्तव "आज़ाद"
White *चुनावी बात * चुनावी दंगल, बिगुल मनुहार जन जन क़ो हैं पूरा अधिकार हर तरफ हैं मन की पुकार विस्वास से भरा जन पुकार राष्ट्र क़ो सम्पर्तित मताधिकार सम्मान बढ़ाता हैं जन सरकार सविधान का सरल अधिकार राज तिलक हो बिना तलवार चुनावी दंगल, बिगुल मनुहार जन जन क़ो हैं पूरा अधिकार ©हर्ष कुमार श्रीवस्तव "आज़ाद" #election_2024 चुनावी बात
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी आवारा पन सियासत हो गयी व्यवस्था सब कराहती है रीतियां नीतियां सब ताक पर बैठी हिटलरशाही नेताओ में पनपी जाती है संसद न्यायालय सब दबाबो मे आस जनता की टूटी जाती है जंगली व्यवस्था जंग छेड़े है हक जनता का सियासत छीने जाती है निलम्बित सब अधिकार कर बैठे कानूनी चाबुक और बुल्डोजर संस्कृति थोपे जाते है जीने का अधिकार नही बचा किसी का डर और भय का शासन थोपे जाते है चुनावी व्यवस्था खतरे में है लोकतंत्र भीष्म शय्या पर लेटा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #election_2024 चुनावी व्यवस्था खतरे में है #nojotohindi
Raj Purohit ji Bateshwar Dham Bah (Agra)
hanuman jayanti 2024 🙏देश की जनता से अपील🙏 देश को बचाना या देश को मिटाना है इसका फैसला जनता करती है फैसला आप लोगों को करना है रामराज्य या गठबंधन सरकार मोदी 🌹 गठबंधन (B)🤚 . ©Raj Purohit ji Bateshwar Dham Bah (Agra) चुनावी मैदान
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Village Life ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं उनकी की चाहत का महीना है ।।२ चुनावी हो रहे दंगल गली घर में लगे पर्चे । करो मतदान तुम बस अब सियासत का महीना है ।।३ लड़ेगी आँख तेरी भी किसी दिन तो हसीनों से । जिगर तू थाम लेना बस मुहब्बत का महीना है ।।४ अभी आयी जवानी है सँभलकर तुम जरा चलना । कदम बलखा न जाये अब नज़ाकत का महीना है ।।५ खिले जो फूल गुलशन में उन्हें कच्ची कली मानों भँवर को भी बता दो अब हिफ़ाज़त का महीना है ।।६ प्रखर से सीख लो कुछ इल्म झूठी इन रिवायतों के । बता देगा तुम्हें वो भी तिज़ारत का महीना है ।।७ २८/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- रखेगा याद हर कोई शहादत का महीना है । अदब से पेश आ इंसा इबादत का महीना है ।।१ नसीहत दे गये हमको वतन पे देख लो मिटकर । चलूँ अब चाल मैं
amnewsnational
am news national ©amnewsnational प्रणाम इंडिया फाउंडेशन ने गवर्नमेंट पॉलीटेक्निकल कॉलेज में युवा मतदाताओं को ज़रूर वोट देने के लिए प्रेरित किया। जगदीप सिंह राणा ए ऐम नियु
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।। बनाओ नेक को साथी बुराई त्यागकर सारी । नहीं भाई तुम्हारा भी बिगड़ना सीख जायेगा ।। अदाओ का हमें अपनी दिखाओ आज तुम जादू । सुना है इक इशारे पे वो हँसना सीख जायेगा ।। सँवर कर और अब ऐसे नहीं निकला करो बाहर । दीवाना देखकर तुमको मचलना सीख जायेगा ।। मिलेगी जब उसे ठोकर यहाँ हालात से जिसदिन । यकीं मानो उसी दिन से वो चलना सीख जायेगा ।। अभी नादान है देखो नहीं घर की फिकर कोई । पडेगा बोझ जब घर का सँभलना सीख जायेगा ।। चुनावी दौर है आया प्रखर मुमकिन नहीं कुछ भी । कहानी आज वो झूठी भी गढ़ना सीख जायेगा ।। २२/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- पिता की बात जब भी तू समझना सीख जायेगा । कठिन से भी कठिन राहे तू चलना सीख जायेगा ।।
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी देखो विनोद अठारह घण्टो की मेहनत का प्रतिफल अरबो का चन्दा आ रहा है राष्ट्र निर्माण की जगह ,पार्टीऔर दलों का कोष भरा जा रहा है आटे दाल दूध टेक्स के दायरे में महँगाई के तड़के से जनमानस मरा जा रहा है पेंशन रोजगार नॉकरी के लिये नही बजट सबसिडी से जनता को बे दखल किया जा रहा है चुनावी चन्दा मुखर हो चला है अब अपराधों से उसे बहार किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #binod चुनावी चन्दा मुखर हो चला है अब #nojotohindi
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२ लगाओ खूब नारे हिंद के अब । यहाँ कोई भी यूनानी नहीं है ।। ३ जरा सा हौसला करके तो देखो । कोई भी दरिया तूफ़ानी नहीं है ।।४ तुम्हीं से पूछने आये चले हम । हमीं पे क्यूँ मेहरबानी नहीं है ।।५ चुनावी खेल चालू हो गये तो । दिखा कोई भी अभिमानी नहीं है ।।६ लगे आरोप झूठे सैनिकों पे । हमारा देश बलदानी नहीं है ।।७ अदब से सर झुकाते हैं उन्हें बस । प्रखर की वह महारानी नहीं है ।।८ १२/०३ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२