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DR. LAVKESH GANDHI
रस्ता और गाँव गाँव की पगडंडियों पर सुनसान राहों पर बैलगाड़ी पर बैठकर यात्रा भुलाए नहीं भूलती बैलगाड़ी के चक्के की चपर- चूं की आवाज और बैलों के गले के घुंघरूों की सुनसान चीरने वाली आवाज आज भी बरबस याद आ जाती है # रास्ता और गांव# सफर गांव का, यात्रा बैलगाड़ी की
Ajay Maurya
*Nee₹
क्या से क्या हो गई ज़िंदगी जैसे दौड़ हो गई ज़िंदगी; अब तो बैलगाड़ी भी ज़िंदगी से तेज़ चलती है ! #yourquotebaba #yourquotediary #yourquotepostman #jaddojahad क्या से क्या हो गई ज़िंदगी जैसे दौड़ हो गई ज़िंदगी; अब तो बैलगाड़ी भी ज़ि
bhim ka लाडला official
#Jitendra777
#गांव में देखने को, बैलगाड़ी नहीं मिलती। सूने पड़े हैं पनघट, पनिहारी नहीं मिलती। सुनने को खेलते बच्चों की, किलकारी नहीं मिलती। पक्के मकान ब
AJAY NAYAK
हम जीत गए हम चंद्रमा पर पहुंच गए। हम फिर से एक नया इतिहास रच गए बैलगाड़ी से सफर तय करते हुए हम चंद्रमा पर पहुंच गए । हम जीत गए हम चंद्रमा पर पहुंच गए। अपनी मेहनत से हम चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गए जहां तक अभी तक किसी के न पड़े थे कदम। ये उपलब्धि है इसरो के वैज्ञानिकों की ये उपलब्धि है १४० करोड़ के विश्वास की। ऐसे आगे बढ़ेंगे भले बार बार हारेंगे कभी न होंगे निराश हर रोज हर पल सीखते हुए हम बढ़ते जाएंगे हमारे क़दम । हम जीत गए हम चंद्रमा पर पहुंच गए। –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #chandrayaan3 हम जीत गए हम चंद्रमा पर पहुंच गए। हम फिर से एक नया इतिहास रच गए बैलगाड़ी से सफर तय करते हुए हम चंद्रमा पर पहुंच गए । हम जीत ग
Mukesh Poonia
#maxicandragon
#गरबसिंह बात है छोटी पर खास है सुनना तुम्हें बस बकवास हैं मेरी नहीं, है बात इक दिन की जब सुनी बात थी गरबसिंह की गरबसिंह हाँ हाँ गरबसिंह न कोई राजा न कोई जोकर सीधा साधा सा एक नौकर हिंदुस्तान के मध्यप्रदेश में छिंदवाडा मे किसी वेश में गाँव अमरवाडा करबडोल के रामजी के घर से खेत में एक गरबसिंह फेक रहा था ताजमहल और लालकिले को कभी दिल्ली कभी बम्बई तो कभी आगरा फेक रहा था कहता कुतुबमीनार में चढके बम्बई क्या सुंदर दिखता हैं मथुरा का पेडा सडकों में बम्बई पूना के बिकता हैं करबडोल तहसील कि दूरी तीन मील रही होगी बैलगाड़ी घास फसल बस उतनी दूर गई होगी दोष नहीं था गरबसिंह का बस बात छुपछुपकर सुनता था याददाश्त कमजोर थी लेकिन संवाद अधूरे बुनता था गदगद हो जाता गरबसिंह जब सब वाह गजब सब कहते थे गरबसिंह बस फेकने वाले हमारे घर में नौकर थे #Sadharanmanushya ©#maxicandragon #गरबसिंह बात है छोटी पर खास है सुनना तुम्हें बस बकवास हैं मेरी नहीं, है बात इक दिन की जब सुनी बात थी गरबसिंह की
Neerav Nishani
तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है। और तू मेरे गांव को गंवार कहता है।। ऐ शहर मुझे तेरी औकात पता है। तू चुल्लू भर पानी को वॉटर पार्क कहता है।। थक गया है हर शख़्स काम करते करते। तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है।। गांव चलो वक़्त ही वक़्त है सबके पास। तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है।। मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे है। तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है।। जिनकी सेबा में खपा देते थे जीवन सरा। तू उन ही मां बाप को अब भार कहता है।। वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लेट थे। तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है।। बड़े बड़े मसले हल करती थी पंचायतें। तू आंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है।। बैठ जाते थे अपने पराए बैलगाड़ी में। पूरा परिवार ना बैठ पाए उसे तू कार कहता है।। अब बच्चें भी बड़ों का अदब भूल बैठें है। तू इसे नए दौर का संस्कार कहता है।। ©Neerav Nishani तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है। और तू मेरे गांव को गंवार कहता है।। ऐ शहर मुझे तेरी औकात पता है। तू चुल्लू भर पानी को वॉटर पार्क कहता है।