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नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं, पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं। जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है, वहां दीवारें बस खामोश खड़ी

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हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं,
पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं।

जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है,
वहां दीवारें बस खामोश खड़ी हैं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हर घर की चौखट पे अरमान खड़े हैं,
पर अंदर बस कुछ वीरान पड़े हैं।
जहां रिश्तों की मिट्टी सूखी पड़ी है,
वहां दीवारें बस खामोश खड़ी

theABHAYSINGH_BIPIN

#coldwinter कोहरे से ठिठुर गया है सूरज दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त। छाई है काली घटा सी धुंध, धरती ढकी बर्फ की चादर में। हाथ-पैर अब जमने लगे

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कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे हैं,
सर्दी ने रोका हर काम।
हिम्मत भी थरथर कांप उठी,
लिपटे हम गर्म चादर में।

उठकर मुंह धुलना भी दुश्वार है,
किसने बर्फ डाल दी पानी में?
कौन है जो यूं कहर ढा रहा,
पूरे गांव को कैद किया है घर में?

राह अंधेरी, जमी हुई है,
थोड़ी उम्मीद बची है मन में।
चलता हूं बस सहारे इसके,
जो दिख रहा टॉर्च की रोशनी में।

शिथिल पड़े हैं मेरे जज्बात,
आलस ने ले लिया गिरफ्त में।
यह कैसा दिन, एक पल न सुहा,
सिकुड़ा पड़ा हूं एक चादर में।

हर कदम जैसे थम सा रहा,
जीवन को ढो रहा धुंध में।
क्या कभी सूरज की रौशनी लौटेगी,
या मैं यूं ही खो जाऊं रजाई में?

©theABHAYSINGH_BIPIN #coldwinter 
कोहरे से ठिठुर गया है सूरज
दिखता नहीं कहीं भी मुहूर्त।
छाई है काली घटा सी धुंध,
धरती ढकी बर्फ की चादर में।

हाथ-पैर अब जमने लगे

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो रास्ते थे कभी तेरा साथ देने वाले, अब उन्हीं पर अकेले ही चल पड़े हैं हम। वो जो हाथ थामते थे हर कदम में, अब खाली हैं, फिर भी

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जो रास्ते थे कभी तेरा साथ देने वाले,
अब उन्हीं पर अकेले ही चल पड़े हैं हम।

वो जो हाथ थामते थे हर कदम में,
अब खाली हैं, फिर भी दिल से चल पड़े हैं हम।


तेरे बिना भी अब खुद को पा लिया है हमने,
अब रास्ते अपनी मंज़िल की ओर ले चले हैं हम।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो रास्ते थे कभी तेरा साथ देने वाले,
अब उन्हीं पर अकेले ही चल पड़े हैं हम।

वो जो हाथ थामते थे हर कदम में,
अब खाली हैं, फिर भी

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले, मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले। ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा, जो मुझे ख

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चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले,
मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले।

ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा,
जो मुझे खा नहीं पाया, वो सबक बन बैठा।

तूफ़ानों से लड़ने का हुनर सिखा दिया,
नाव डूब भी गई तो समंदर बना दिया।

राह मुश्किल थी, मगर इरादा बुलंद था,
ख़ुद को हारा नहीं समझा, यही फ़र्ज़ था।

जंग जीतेंगे वही, जो लड़ने का हौसला रखें,
हार भी सर पे सजे, वो विजेता बनें।

मौत भी कहती रही, मुझसे किनारा कर ले,
मैंने हंसकर कहा, जीने का सहारा कर ले।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
चल पड़े हैं तो मुसाफ़िर नहीं रुकने वाले,
मंज़िलें कहती हैं, रस्ते भी झुकने वाले।

ज़िंदगी शेर थी, अब शेर मैं बन बैठा,
जो मुझे ख

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते, दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते। हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है, कभी आँधि

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White ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते,
दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते।
हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है,
कभी आँधियाँ तो कभी अश्क राहत नहीं करते।
चल पड़े हैं सफर में तन्हा सवालों के साथ,
जवाब आने से पहले ही हालात नहीं थमते।
गुज़री है ज़िंदगी बस इक छांव की तरह,
जो भी छूने की चाह थी, वो हसरत नहीं भरते।
राह-ए-इश्क़ में ठहराव का इंतज़ार किसे,
ये धड़कनें भी सुकून की इजाज़त नहीं करते।
मोहब्बत की राह में हर कदम पर ये जाना,
 मंज़िलें तो हैं मगर वो क़ुर्बत नहीं करते।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
ज़ख्म इतने हैं कि मरहम भी कहाँ तक रखते,
दर्द ऐसा है कि लफ्ज़ भी शिकायत नहीं करते।
हर मोड़ पर इक नया इम्तिहान मिलता है,
कभी आँधि

Shashi Bhushan Mishra

#पड़े स्वयं ही प्यास बुझानी#

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होती  है   मुझको   हैरानी,
जलन नहीं है प्रेम निशानी,

जिसने बांटे प्यार जगत में,
दुनिया है  उसकी  दीवानी,

राजा-रानी  परियों  वाली,
हमने भी है  सुनी कहानी,

झूठ बेचने निकला था वो,
हुआ  शर्म से  पानी-पानी,

वर्षों बाद  मिला था  कोई,
सूरत  थी  जानी पहचानी,

मंज़िल  दूर  नहीं है उनसे,
चलने की जिसने है ठानी,

पानी प्यास बुझाता 'गुंजन',
पड़े स्वयं ही प्यास बुझानी,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' 
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #पड़े स्वयं ही प्यास बुझानी#

Sevkram

तुम इंग्लिश पड़े हुए हो

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Rakesh frnds4ever

#समझाने को ,,,,,,,,, #सब लगे पड़े हैं #समझता ,,,,,,,, ,,,,,,,,, कोई नहीं है #सुनाने को ,,,,,,,,,,,,, सब उतावले हैं सुनने वाला ,,,,,,,

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F M POETRY

#सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.....

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White ज़ाम लेते हैं तेरी यादों में..

सुबह लेते हैं शाम लेते हैं..


यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.....

KpSogra

#Couple जिंदगी में अगर कुछ खोना पड़े तों दो लाइन हमेशा याद रखना... जो खोया है उसका ग़म नहीं, और जो पाया है वो किसी से कम नहीं। जो नहीं है व

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White जिंदगी में अगर कुछ खोना पड़े तों
दो लाइन हमेशा याद रखना...

जो खोया है उसका ग़म नहीं,
और जो पाया है वो किसी से कम नहीं।
जो नहीं है वो एक ख़्वाब हैं,
और जो हैं वो लाज़वाब हैं।

©KpSogra #Couple जिंदगी में अगर कुछ खोना पड़े तों
दो लाइन हमेशा याद रखना...

जो खोया है उसका ग़म नहीं,
और जो पाया है वो किसी से कम नहीं।
जो नहीं है व
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