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mangalviras
जो लोग दोलत के नंशै चुर होतै है ः उन्हीं लोगै सै उनके अपनै ही बहुत दुर होतै ः ना वो किसी को दोलत के नशे मै मान सम्मान दे सकते है ः और ना ही कुछ पल वो अपनो के पास रह सकते है ः ः। ।मंगल विरास ।।ः ©mangalviras #delhiearthquake नशा दोलत का
mangalviras
अब वो पहले जेसा समय नही रहा जब अच्छे को अच्छा और बुरै को बुरा कहा करतै थै ः अब तो उसै ही अच्छा कहा जाता है जो दोलत मंद होता है ः चाहे वो कितना भी बुरा क्यों ना हो ः और ऐसा इसलिए होनै लगा है क्योंकि आज के समय मै इन्सान सै ज्यादा दोलत को महत्व देनै लगै है लोग ः ः।।मंगल विरास ।।ः ©mangalviras दोलत का महत्व
mangalviras
जो सही समय पर सही जगह काम आ जायै वो दोलत खास होती है ः बाकी तो बहुत सै लोगो के जेब मै हजारों लाखो की सिल्लक पडी रहती है ः ः।। मंगल विरास ।।ः ©mangalviras समय पर काम आनै वाली दोलत
R.S. Meena
तन या धन वो चाहत भी अजीब है, जिसमें दोलत है ढेर सारी, पर दिल से सब गरीब हैं। सिखाते फिरते दुनियादारी, पर धन के ही वो करीब हैं। बदले भेष, बदले वाणी, पर ना निभाएँ जिम्मेदारी। वो कैसे अमीर हैं, उनसे तो अच्छे गरीब हैं। वो चाहत भी अजीब है, जिसमें दोलत है ढेर सारी, पर दिल से सब गरीब हैं। सिखाते फिरते दुनियादारी, पर धन के ही वो करीब हैं। बदले भेष, बदले वाणी, प
mangalviras
दोलत कमानै कै चक्कर मै इन्सान इतना गिरता जा रहा ः जहाँ नजर आती थी लहलहाती फसल वहां बिल्डिंगै बना रहा ःअपनै राज्य का चारा किसी और राज्य मे ले जा रहा ः दोलत कमानै कै चक्कर मै इन्सान कितना गिरता जा रहा ः अपनी इच्छा पुरती के लिये नदी तालाब को सुखा रहा ः लेकिन पशु पक्षियों के पिनै कै लिये कुछ पानी कहीं भर के रखनै सै कतरा रहा ःदोलत कमानै कै चक्कर मे इन्सान कितना गिरता जा रहा ः ः।। मंगल विरास ।।ः ©mangalviras दोलत के कमानै के चक्कर मै
Sarfaraj idrishi
आने लगी जो पास मे दोलत हराम की रस्मे तमाम भूल गए ऐहतराम की.. ओर सुन्नत नफिल का जिनको अभी तक नही पता कमिया निकालने लगे वोह भी इमाम की.. . ©Sarfaraj idrishi #Winter आने लगी जो पास मे #दोलत #हराम की रस्मे #तमाम भूल गए #ऐहतराम की ओर #सुन्नत #नफिल का जिनको अभी तक नही पता #कमिया निकालने लगे वोह भी
mummy_s_prince
ना जाने क्यों करते है कुछ़ लोग ऐसा, जिनकी वज़ह से होती बदनाम ईऩ्सानियत है। ऐ ख़ुदा क्यों तु उन्हें ऐसी सज़ा नहीं देता, ख़त्म़ हो जाएं वो भी जो करते ऐसे अपराध है। क्या मिला तुझे इक अबोल के साथ करके ऐसा, क्या खोया था तुने जो तु बन बेठा आज़ ऐसा हेवान है। नहीं चाहता हूं कि हो तेरे साथ कुछ़ भी बुरा मैं ऐसा, पर ख़ामोंश रह ना सकूंगा ऐसी तेरी घिनोनी हरक़त है। — % & देख़कर कुछ़ ऐसा जो हुआ नहीं किसी अबोल के साथ, ड़र गया था देख़कर उस अबोल की आँख में आएं आंसू। क्या हो रहा है ईश्वर तेरी बनाई दुनिया में अबोल