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Sanatan_Sanskriti_Shubhash
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् | चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ‖1 ‖ अर्थ – हे चन्द्रशेखर (भगवान जिनका मुकुट चंद्रमा ह
read moreHARSHIT369
White आसमान कि सतह को छुने की कोसिस सिर्फ पर्वत हि कर सकते है क्युंकी इनमे वो जुनून वो उत्साह और वो काबिलियत होती है जो किसी और मे नही..! अत: पर्वत बनो..पर अहंकारनही पालना वरना कोई दसरथ मांझी की तरह बीच से चीर डालेगा..!! ©HARSHIT369 #पर्वत बनो मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स
#पर्वत बनो मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स
read moreRam Yadav
मेरे नाम के बिना क्या मुझे पहचान पाओगे? जिस जमीन का खून मेरे रगों में है...... उसने हजारों सालों से इंसान को जीते मरते देखा है तुम क्या चट्टानें कुरेद रहे हो? तुम कौन सा पानी बांध रहे हो? तुम किस हैवान जात के हो? नौ साल की लड़की में बीवी देखोगे? तुम गाय को सड़क पर मरते देखोगे? तुम जानवरों के कटने के जश्न मनाओगे? तुम मंदिरों मस्जिदों से हुंकार भरोगे? तुम विश्व युद्ध की बकवास करोगे? क्यों न करोगे? तुमने किसी बच्ची के नन्हे पैरों की पाजेब नहीं सुनी... तुमने किसी बच्चे की हथेली में अपनी उंगली पकड़ते नहीं देखी.... तुम्हें याद नहीं होगा मां के पसीने की महक और गोद की गर्मी में सुकून से बंद आँखें।।।।।।।।।।। हां रौंद दो तुम चीन की तरफ वाले निर्जन हिमालय जैसे अपने हिमालय को भी.... कैलाश से निकलती सारी नदियां सुखा दो,,,,,,, उत्तराखंड की गंगा को नाला बना दो,,,,,,,, कैसे सुन सकते हो धड़कन कैलाश की??????? कैसे जान सकते हो हिमालय से मानव उत्पत्ति की????????? तुम २००० सालों के इतिहास वाले नेताओं................. तुम तोड़ दो अब हमारे विश्वास को............ पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश समेत भारतीय उपमहाद्वीप।।।।।।।।।।।।।। मूर्ख धर्मांध, अनगिनत इंसानों का फैसला कर रहे हैं।।।।।।।। लड़ने से बचे लोगों का पानी, हवा और खाना भी छीनोगे?????????? फ्री इंटरनेट😏 ©Ram Yadav #अध्यात्म #भारत #कैलाश नये अच्छे विचार आज शुभ विचार अनमोल विचार बेस्ट सुविचार आज का विचार
gudiya
पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते अपने आधे हिस्से में अंधेरा और आधे में उजाला लिए रात को दिन और दिन को रात करते कभी-कभी कांपती हो तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले सभी कुछ को नष्ट कर दोगी पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो तुम्हारी सतह पर कितना जल है तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है लेकिन तुम्हारे गर्भ में गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है सिर्फ अग्नि पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो किन प्रक्रियाओं से गुजर कर कितने चुपचाप रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से भरा है तुम्हारा ह्रदय पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो -नरेश सक्सेना ©gudiya #NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार
#NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार
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