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Ashok Verma "Hamdard"
निन्यानवे का चक्कर ******************** जीवन भर पैसा कमाया, दान पुण्य भी ऐसा वैसा निन्यानबे के चक्कर में, न शरीर बचा न पैसा, श्मशान जाकर भी सब देखे,कुछ समझ ना पाए ऐसा पेट फुलाकर धन कमाकर,सोये जैसे भैसा। दौलत की ऐसी भूख लगी की मां बाप को छोड़ा साला साली सरहज को केवल,अपने कुनवे से जोड़ा सास बन गई बड़ी महतारी,युग आ गया कैसा निन्यानवे के चक्कर में न शरीर बचा न पैसा।। ©Ashok Verma "Hamdard" निन्यानवे का चक्कर
Vibha Katare
यह ज़िन्दगी !!! मेरी दादी के शब्दों में कहूँ तो यह ज़िन्दगी निन्यानवे का फेर है । हम अधिक से भी अधिक की चाह में ही लगे रहते हैं कभी तृष्णा का काँटा अधिकतम पर पहुँचा ही नहीं पाते । मोह के धागे हमको कठपुतली सा नचाते है उमर भर, और हम उस नाच को ही ज़िन्दगी समझ बैठते हैं। मुझे तो ये मोह के धागे नहीं लगते, मोह की शाखाएँ होती हैं शाखाएँ क्योंकि धागों के कोई ओर-छोर होते हैं और मोह का कहाँ छोर है भला ! मोह तो छिछलता जाता है वृक्ष की शाखाओं सा.. बिना अपनी जड़ों पर बढ़ते बोझ का ख्याल किए ! #जिन्दगी #मोह #निन्यानवे_का_फेर #कठपुतली #शाखाएँ #yqdidi #random
Ashok Topno
बाधाओं से विचलित न हों विश्वास रखें जीवन में निन्यनावे द्वार बंद हो जाते हैं तब भी कहीं न कहीं एक द्वार खुला होता है ©Ashok Topno निन्यानवे द्वार#motivation #viral #nojoto #febkissday
ᴀᴊᴊᴜ💘
~ सुनो,, 💖सनम ❣मुझमें सौ ऐब हैं...!😍 ❣उनमें से निन्यानवें तुम हो...!😘😘 #gif ~ सुनो,, 💖सनम ❣मुझमें सौ ऐब हैं...!😍 ❣उनमें से निन्यानवें तुम हो...!😘😘
Mayank Sharma
मॉडर्न इश्क़ के सात मुकाम! (ज्ञान अनुशीर्षक में) #मॉडर्नइश्क़ के 'चौथे' पे भरपूर प्यार मिलने के बाद पांचवां मुकाम आपके सामने ये रहा। मजे से पढ़िए और मजे में रहिये 5. इबादत (उपासना) भयंकर
Krishnadasi Sanatani
कर्मों की सज़ा भोज के लिए एक व्यक्ति ने एक बार एक बकरे की बलि चढ़ाने की तैयारी आरम्भ की। उसके बेटे बकरे को नदी में स्नान कराने ले गये। नहाने के समय बकरा एकाएक बडी जोर से हँसने लगा; फिर तत्काल दुःख के आँसू बहाने लगा। उसके विचित्र व्यवहार से चकित हो कर बेटों ने उससे जब ऐसा करने का कारण जानना चाहा तो बकरे ने कहा कि कारण वह उनके पिता के सामने ही बताएगा। व्यक्ति के सामने बकरे ने यह बतलाया कि उसने भी एक बार एक बकरे की बलि चढ़ायी थी, जिसकी सज़ा वह आज तक पा रहा था। तब से चार सौ निन्यानवे जन्मों में उसका गला काटा जय श्री राम जा चुका है और अब उसका गले कटने की अंतिम बारी है। इस बार उसे एक बुरे कर्म का अंतिम दंड भुगतना था, इसलिए वह प्रसन्न होकर हँस रहा था। किन्तु वह दुःखी हो कर इसलिए रोया था कि अगली बार से तुम्हारे भी सिर पाँच सौ बार काटे जाएंगे। व्यक्ति ने उसकी बात को गंभीरता से लिया और उसके बलि की योजना स्थगित कर दी तथा अपने बेटों से उसे पूर्ण संरक्षण की आज्ञा दी। किन्तु बकरे ने व्यक्ति से कहा कि ऐसा संभव नहीं है, क्योंकि कोई भी संरक्षण उसके कर्मों के पाप को नष्ट नहीं कर सकते। कोई भी प्राणी अपने कर्मों से मुक्त नहीं हो सकता। जब बेटे उस बकरे को ले कर उसे यथोचित स्थान पर पहुँचाने जा रहे थे। तभी रास्ते में किनारे एक पेड़ के शाखा पर नर्म-नर्म पत्तों को देख ज्योंही बकरे ने अपना सिर ऊपर किया, तभी एक वज्रपात हुआ और पेड़ के ऊपर पहाड़ी पर स्थित एक बड़े चट्टान के कई टुकड़े छिटके। एक बड़ा टुकड़ा उस बकरे के सिर पर इतनी जोर से आ लगा कि पलक झपकते ही उसका सिर धड़ से अलग हो गया। ©Krishnadasi Sambhavi कर्मों की सज़ा भोज के लिए एक व्यक्ति ने एक बार एक बकरे की बलि चढ़ाने की तैयारी आरम्भ की। उसके बेटे बकरे को नदी में स्नान कराने ले गये। नहान
Gautam_Anand
एक नोटबुक है एहसास की जिल्द मढ़ी हुई यादों के धागे से जिसमें नत्थी कर रखे हैं मैंने समय के पन्ने और समय व्याकुल है वो चाहता है बीत जाना लेकिन बेबस लाचार सा अटका हुआ है अनंत वर्षो से इसी नोटबुक में मैंने बंधक बना रखा है समय को और टाँगता रहता हूँ याद की खूँटी पर बीते वक़्त बीती तारीखें आँखें जैसे खोज़ी कलम हो कोई ढूंढ लाती हैं सब यादें ऊकेर देती हैं सब तारीखें वैसे ही जैसे गुज़रा था सबकुछ पन्नों पर बोल पड़ती हैं वो सब तस्वीरें देखो अभी-अभी सामने से गुजरी है वो पहली तारीख तेइस नवम्बर निन्यानवे की जब तुम्हें देखा था पहली बार तुम्हारे लौट जाने पर यूँ ही मेरी मायूसी के दिन तुम्हारे पहले फोन कॉल की तारीख वो तुम्हारे कॉलेज की परीक्षा का पहला दिन कॉलेज के पास वाली नदी का किनारा जब मैं पहली बार तुमसे तुम्हारे शहर में मिला था चौदह फरवरी दो हज़ार दो और वो एक सीढ़ीनुमा लक्ष्मी रेस्टोरेंट जहाँ खाने को कुछ नहीं होता था बस साथ बैठने को सीढ़ियाँ मिल जाती थी एक नोटबुक है एहसास की जिल्द मढ़ी हुई यादों के धागे से जिसमें नत्थी कर रखे हैं मैंने समय के पन्ने और समय व्याकुल है वो चाहता है बीत जाना लेकि
एक इबादत
कारगिल..... आज के भारत की पराक्रमी नींव -💞kavi-ek kavyapremi💞✍️ काल्पनिक नही शौर्य गाथा आज वास्तविक है अभिमन्यु बने थे भारत के सैनिक ..पाकिस्तान ने कौरव बन घेरा था हजारों की तदाद में संख्या शत्रु की .. ग