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Anjali Singhal
"इश्क़ की तड़प है साहिब, उम्रभर तड़पाएगी। मारेगी नहीं जान से, पर जान लेकर जाएगी।।" ©Anjali Singhal "इश्क़ की तड़प है साहिब, उम्रभर तड़पाएगी। मारेगी नहीं जान से, पर जान लेकर जाएगी।।" #AnjaliSinghal #shayari #shayaristatus #status #lovestat
"इश्क़ की तड़प है साहिब, उम्रभर तड़पाएगी। मारेगी नहीं जान से, पर जान लेकर जाएगी।।" #AnjaliSinghal #Shayari #shayaristatus #status lovestat
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White "शमा" बताओ किस देश में दज़्ज़ाल हुकूमत नहीं करता... मगर खुदा के गजब से तख्त उसका भी चला जाता है.... #Shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #good_night "शमा" बताओ किस देश में दज़्ज़ाल हुकूमत नहीं करता... मगर खुदा के गजब से तख्त उसका भी चला जाता है.... #Shamawritesbebaak #nojoto #qu
#good_night "शमा" बताओ किस देश में दज़्ज़ाल हुकूमत नहीं करता... मगर खुदा के गजब से तख्त उसका भी चला जाता है.... #shamawritesBebaak nojoto qu
read moreनवनीत ठाकुर
न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत काफी है, आराम नहीं, बस राहत काफी है। सुकून की तलाश में भटक रहा हूँ, खाली पेट को बस बरकत काफी है। न शानो-शौकत, न चाहत बड़ी, बस इंसान की भूख मिट जाए। जिंदगी की असली हकीकत यही, कि पेट भरे, तो सुकून आ जाए। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का
#नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का
read moreAshraf Fani
अदावत की अदालत है साहिब इंसाफ़ नहीं मिल पायेगा कानून यहॉं बेमानी है यहाँ न्याय तड़प मर जायेगा ©Ashraf Fani अदावत की अदालत है साहिब इंसाफ़ नहीं मिल पायेगा कानून यहॉं बेमानी है यहाँ न्याय तड़प मर जायेगा #ashraffani हिंदी शायरी Sushant Singh Rajput 'द
अदावत की अदालत है साहिब इंसाफ़ नहीं मिल पायेगा कानून यहॉं बेमानी है यहाँ न्याय तड़प मर जायेगा #ashraffani हिंदी शायरी Sushant Singh Rajput 'द
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White हर दिल में छुपा कोई राज़ है न साहिब सबके जीने का अपना अंदाज है न साहिब..! हुकूमतें आई हैं तो जायेंगी भी एक दिन किसके सर रहा हर वक़्त ताज है न साहिब..! अच्छा बुरा वक़्त नहीं इंसान हुआ करते हैं वही तो कल था वही तो आज है न साहिब..! बदल जाना कोई बुरी बात भी तो नहीं सुबह आफ़ताब रात में महताब है न साहिब..! एक की ख़ुशी दूसरे का ग़म ही तो कहा जाये एक को माने तो दूजा नाराज है न साहिब..! इतनी बड़ी ज़िंदगी कहीं तो फिसला होगा इंसानी दामन में कहीं तो दाग़ है न साहिब..! बदलेगी दुनिया और भी जाने क्या होगा किसे फ़िक्र कि अभी तो आगाज है न साहिब..! ग़ुमाँ किस किस का किया जाये हैरत बड़ी है जब ज़िंदगी ही अपनी दगाबाज है न साहिब..! ©अज्ञात #है ना साहिब
#है ना साहिब
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